एक यूट्यूब चैनल की रिपोर्ट में बताया गया कि सोमवार 11 नवंबर को दिल्ली दंगों की साजिशकर्ता Gulfisha Fatima की जमानत के लिए कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में पूरा जोर लगा दिया जिसे 11 अप्रैल, 2020 को उत्तर पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा की साजिश के लिए UAPA में गिरफ्तार किया गया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सिब्बल की याचिका पर सुनवाई करने से मना कर दिया और दिल्ली हाई कोर्ट को 25 नवंबर को उसकी जमानत याचिका पर सुनवाई करने की सलाह दी।
सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि -
“हाई कोर्ट मामले की सुनवाई नहीं कर रहा है, केस को किसी न किसी बहाने स्थगित किया जा रहा है, हाई कोर्ट ने मामले को 24 बार इसलिए स्थगित किया क्योंकि पीठासीन जज छुट्टी पर थे तथा 6 बार मामले को अन्य वजहों से स्थगित किया गया;
लेखक चर्चित YouTuber |
यह स्वतंत्रता का प्रश्न है, उसके मामले को किसी न किसी बहाने से स्थगित किया जा रहा है, वह 4 साल 7 महीने से जेल में है तथा उसका मामला 2 साल से हाई कोर्ट में लंबित है;
किसी को 4 साल 7 महीने तक जेल में रखने का क्या मतलब है? वह एक महिला है, 31 साल की;
मुकदमा शुरू होने का कोई सवाल ही नहीं है, दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई अगली तारीख 25 नवंबर है;
मुझे यहीं जमानत चाहिए”
सिब्बल का मतलब है कि जब दिल्ली दंगे हुए उसकी कथित साजिशकर्ता फातिमा, उस समय 27 साल की थी। मतलब 27 साल की उम्र में वह दंगों की साजिश रचने के काबिल थी और अब सिब्बल तड़प रहा है कि उसे 4 साल 7 महीने से जेल में रखने का क्या मतलब है? तो फिर दंगे करने का का क्या मतलब था? जेल में रखने का कोई मतलब नहीं है तो सिब्बल यह बता दे कि दंगे करने का क्या मतलब था जिसमे पुलिसकर्मियों समेत 53 लोग मारे गए थे? इस जिहादी सोच का सिब्बल बचाव कर रहा है।
सिब्बल को बताना चाहिए कि आखिर फातिमा की लाखों रुपये की रोज की फीस कौन दे रहा है क्योंकि सिब्बल की एक दिन की फीस 30 से 40 लाख रुपये होती है? क्या कोई आतंकी संगठन तो पैसा नहीं दे रहा सिब्बल को?
सिब्बल की तड़प देखो, वह कह रहा है कि 2 साल से दिल्ली हाई कोर्ट उसकी जमानत पर सुनवाई नहीं कर रहा और 24 बार जज के छुट्टी पर होने की वजह से सुनवाई नहीं हुई और 6 बार अन्य कारणों से।
सिब्बल हर किसी अपराधी, आतंकी, देशद्रोहियों और बड़े बड़े लोगों का वकील होता है। चिदंबरम का केस भी सिबल के पास था। आज सिब्बल कह रहा है कि फातिमा की सुनवाई हाई कोर्ट में 30 बार टाली गई लेकिन वह यह भूल गया कि सीबीआई कोर्ट के जज OP Saini ने Aircel-Axis मामले में 20 मार्च, 2018 से लेकर 5 सितंबर, 2019 तक 22 बार चिदंबरम की गिरफ़्तारी पर रोक लगाई थी। अगर सिब्बल की नज़र में चिदंबरम को लाभ देना उचित था तो, फातिमा की जमानत पर कोर्ट में 2 साल सुनवाई न होने पर भी कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए।
हर तरह से केस का फैसला अपने पक्ष में ही करवाना चाहता है सिब्बल। तीस्ता सीतलवाड़ के मामले में तो सिब्बल ने परदे के पीछे रह कर भी 4 घंटे में सुप्रीम कोर्ट में 2 बेंच बनवा कर उसे रात में ही जमानत दिला दी थी। फिर अब तड़प क्यों फातिमा के लिए।
एक बात और गौर करने वाली है कि मुस्लिमों के कल्याण के लिए भी एक “काफिर” ही तड़प रहा है।
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