महाराष्ट्र में कुल 420 मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव में खड़े थे। कांग्रेस, NCP (शरद पवार) और शिवसेना (उद्धव) ने AIMPLB के मौलाना सज्जाद नोमानी के सामने ‘आत्मसमर्पण” करके भी मुस्लिमों को टिकट नहीं दिए। कुल 420 मुस्लिमों में से 218 निर्दलीय थे।
कांग्रेस ने केवल 9 मुस्लिमों को टिकट दिया और अजित पवार ने 5 को और ओवैसी ने 16 को टिकट दिया। शरद पवार और उद्धव ने एक एक को ही टिकट दिया यानी उन्होंने नोमानी से सौदा करके भी मुस्लिमों को टिकट नहीं दिया। टाइम्स ऑफ़ इंडिया के मुताबिक 150 विधानसभा क्षेत्रो में कोई मुस्लिम उम्मीदवार नहीं था।
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-अब्दुल सत्तार (शिवसेना-शिंदे);
-सना मलिक (NCP-अजित पवार);
-हसन मुशरिफ (NCP-अजित पवार);
-हारुन खान (उद्धव शिवसेना);
-साजिद खान पठान (कांग्रेस);
-असलम शेख (कांग्रेस);
-अमिन पटेल (कांग्रेस);
-अबू आज़मी (समाजवादी पार्टी);
-Rais शेख (समाजवादी पार्टी); और
मुफ़्ती इस्माइल कासमी (ओवैसी पार्टी)
जो दिग्गज मुस्लिम हारे उनमे कुछ हैं। ओवैसी की पार्टी के वारिस पठान; इम्तियाज़ जलील; हाजी फारूक मक़बूल; फारूख शेख; डॉ गफ्फार कादरी; और नसीर सिद्दीकी (कुल 6)।
कांग्रेस के आरिफ नसीम खान; मुज़फ्फर हुसैन; और आसिफ शेख रशीद।
NCP (शरद पवार) का फहाद मलिक (स्वरा भास्कर का पति) और NCP(अजित पवार का) नवाब मलिक।
एक अनुमान के अनुसार मुंबई में मुस्लिम 20% हैं और 10 सीटों पर 25% से ज्यादा हैं लेकिन फिर भी केवल 5 मुस्लिम जीत सके।
2019 में महाराष्ट्र में 61.44% वोट पड़े और अबकी बार 66.05% यानी करीब 5% जयादा और इसका कारण हिंदू मतदाताओं का खुलकर बाहर निकलना और भाजपा और उसके घटक दलों को वोट देना रहा। अब मुस्लिमों ने भाजपा को वोट दिया या नहीं, कह नहीं सकते लेकिन जिस तरह नोमानी ने फतवे जारी किए उसके अनुसार मुस्लिमों का वोट भाजपा को मिलना संभव नहीं लगता और भाजपा+ की जीत के पीछे हिंदू एकजुट होना ही मुख्य कारण माना जा सकता है।
महायुति को कुल 50.19% वोट मिला जबकि MVA को मात्र 34.79% जो अपने आप में बहुत बड़ा अंतर है।
उधर उत्तर प्रदेश में कुंदरकी उपचुनाव में 62% मुस्लिम मतदाता होते हुए भी भाजपा के रामवीर सिंह 1 लाख 45 हजार वोट से जीत गए। उन्हें वोट मिले 1,70,371 और सपा के मोहम्मद रिज़वान को मिले मात्र 25,580। उसे सीट पर कुल मतदाता थे 3,84,673 जिसमे 2,22,588 वोट पड़े यानी 57% और इसका मतलब है 238000 वोट तो मुस्लिमों के ही थे। यह गणित इशारा करता है कि मुसलमानों ने सपा को वोट नहीं दिया और भाजपा को वोट दिया है।
45% मुस्लिम वोटर वाली सीसामऊ सीट समाजवादी पार्टी भाजपा से केवल 8564 वोट से जीती है और यह समाजवादी पार्टी के लिए खतरे की घंटी है।
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