संकट की घड़ी में भी क्या इस्कॉन चिन्मय प्रभु को जिहादियों के हाथों मरने के लिए छोड़ देगा?

सुभाष चन्द्र
शेख हसीना के तख्तापलट के बाद बांग्लादेश में पूरा हिंदू समाज जिहादियों के निशाने पर है और सबसे बड़ा जिहादी तो मोहम्मद यूनुस साबित हो रहा है जिसने आतंकी संगठनों पर से बैन हटा लिया जिससे वो हिंदुओं पर हमले करें। इस्लामिक ताकतों के निशाने पर हमेशा होते हैं, हिंदू उनके मंदिर और हिंदू महिलाएं। इन सभी पर बर्बरबर्ता की हर सीमा पार कर देते हैं जिहादी
सबसे ज्यादा बर्बरता तो हिंदू महिलाएं झेलती हैं जिन्हें इस्लामिक जिहादी अपनी हवस का शिकार बनाते हैं और यह तब से हो रहा है जब से मुग़ल दरिंदे भारत में आए थे
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अब चिन्मय प्रभु को गिरफ्तार करके उन पर राजद्रोह का आरोप लगाया गया और यह पूरे इस्कॉन समूह के लिए चिंता का विषय होना चाहिए
 भारत ने कड़ा रुख अपनाया है और शेख हसीना ने भी चिन्मय प्रभु को छोड़े जाने की मांग की है ममता बनर्जी ने कहा है - “हम नहीं चाहते कि किसी भी धर्म को नुकसान पहुंचे मैंने यहां इस्कॉन से बात की है, लेकिन यह दूसरे देश का मामला है और केंद्र सरकार को इस पर कार्रवाई करनी चाहिए हम इस मुद्दे पर उनके साथ खड़े हैं”
लेकिन संकट की घड़ी में भी मूर्खता का परिचय देकर और हिन्दू समाज को बांटने के लिए बांग्लादेश इस्कॉन ने गुरुवार को चिन्मय प्रभु को सभी पदों से हटा दिया। संगठन के जनरल सेक्रेटरी चारू चंद्र दास ब्रह्मचारी ने उन पर अनुशासनहीनता का आरोप लगाते हुए कहा कि -“चिन्मय कृष्ण दास का अब इस्कॉन संगठन से कोई संबंध नहीं है इस्कॉन संगठन चिन्मय प्रभु के किसी भी बयान या प्रतिक्रिया की जिम्मेदारी नहीं लेता है उन्होंने बताया कि हाल ही में इस्कॉन संगठन से चिन्मय प्रभु को निकाल दिया गया था
इसका मतलब है कि इस्कॉन बांग्लादेश ने संकट काल में चिन्मय प्रभु को अकेले जिहादियों के हाथों मरने के लिए छोड़ दिया जो भी मतभेद आपस में हैं, वो एक दिन में तो पैदा नहीं हुए होंगे लेकिन यह मौका मिला इस्कॉन बांग्लादेश के जनरल सेक्रेटरी चारु चंद्र दास ब्रह्मचारी को चिन्मय प्रभु से अपना हिसाब किताब चुकता करने के लिए लेकिन चंद्र दास को यह मालूम होना चाहिए कि आज जो चिन्मय प्रभु के साथ हुआ है, वह कल उनके साथ भी हो ही नहीं सकता बल्कि निश्चित रूप से होगा क्योँकि जिहादी किसी के नहीं होते 
हिंदू समाज पर खड़े हुए गंभीर संकट के बावजूद इस्कॉन वाले संकट को समझ ही नहीं रहे और लगता है भारत में चर्चित नारा उन्होंने सुना नहीं “बटोगे तो कटोगे” और “एक हैं तो सेफ है” लेकिन लगता है इस्कॉन समाज तो कटने को तैयार बैठा है चिन्मय प्रभु से जो भी मतभेद हैं, वो बाद में भी सुलझाए जा सकते है लेकिन अभी तो एकजुट रहने की जरूरत है 
भारत में ही नहीं विश्व भर में हिंदू समाज बांग्लादेश के हिंदुओं की पीड़ा समझ रहा है और आक्रोशित है लेकिन फिर भी इस्कॉन बांग्लादेश ऐसे समय में दो फाड़ हो रहा है, यह घोर निंदनीय है बागेश्वर बाबा का पैगाम हिंदू एकता के लिए केवल भारत के लिए नहीं है अपितु संसार भर के हिंदुओं के लिए है 
भारत के “सेकुलर” दलों के “काफिर हिंदुओं” के लिए बांग्लादेश के हिंदुओं के दर्द से कोई लेना देना नहीं है जब उन्हें कश्मीर के हिंदुओं के दर्द से भी कुछ मतलब नहीं था और इसलिए आज ये “काफिर सेकुलर हिंदू” मुंह में दही जमाए हुए बैठे हैं
भारत सरकार की तरफ से बांग्लादेश को दी जाने वाली हर सुविधा रोक देनी चाहिए और चेतावनी देनी चाहिए कि यदि हिंदुओं का दमन बंद नहीं हुआ तो भारत Direct Action लेने पर मजबूर होगा

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