ब्राज़ील में हुई G20 बैठक के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटिश प्रधानमंत्री Keir Starmer के बीच द्विपक्षीय वार्ता हुई थी जिसमें मोदी जी ने विजय माल्या और नीरव मोदी के प्रत्यर्पण का विषय भी उठाया था लेकिन क्या आश्वासन मिला ब्रिटिश नेता से पता नहीं। वैसे ब्रिटेन बहुत दिनों से भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौता (FTA) करने का इच्छुक है जिसकी एक खास वजह है कि ब्रिटेन की आर्थिक हालत आजकल ठीक नहीं है और भारत के साथ FTA होने से उसकी अर्थव्यवस्था को संजीवनी मिल सकती है।
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लेखक चर्चित YouTuber |
भारत के व्यापार समझौते UAE, मॉरीशस और ASEAN देशों के साथ हैं और नूज़ीलैण्ड, इज़रायल और ओमान के साथ FTA के लिए बातचीत चल रही है। कुछ अन्य देशों के साथ भी बात हो रही है जिनमें बांग्लादेश, कनाडा, पेरू और साउथ अफ्रीका शामिल हैं।
बांग्लादेश और कनाडा के साथ तो FTA करने का सोचना भी आत्मघाती साबित हो सकता है क्योंकि ये दोनों देश भारत के प्रति घोर शत्रु बोध रखते हैं। कनाडा जो कर रहा है वह भी दुनिया के सामने है और बांग्लादेश को तो इस्लामिक जिहादियों से भारत से बिलकुल अलग कर दिया है और वहां हिंदुओं पर बर्बरता चरम पर है।
अभी हाल ही अपनी यात्रा में जर्मनी के Chancellor Olaf Scholz ने भारत के साथ ज्यादा व्यापार बढ़ाने पर जोर देते हुए भारत को Military Approvals के लिए Special Status दिया और चीन पर निर्भरता कम करने के लिए भारत को वरीयता दी है। यह बताता है भारत दुनिया के लिए कितना बड़ा बाजार बन चुका है और हम भी किसी एक देश पर व्यापार के लिए निर्भर नहीं हैं।
स्पेन के राष्ट्रपति Pedro Sanchez ने भी कुछ दिन पहले से भारत से व्यापार बढ़ाने की बात कहते हुए उम्मीद जताई कि यूरोपियन यूनियन (EU), जो 27 देशों का समूह है, और भारत के बीच FTA हो सकता है।
ब्रिटेन तो दुनियाभर के अपराधियों की शरणस्थली बना हुआ है जहां हर देश के अपराधी मौज से रहते हैं। भारत के विजय माल्या और नीरव मोदी समेत 20 से ज्यादा हर तरह की अपराधी ब्रिटेन में बैठे हैं और उनके प्रत्यर्पण में ब्रिटिश सरकार कोई रूचि नहीं दिखाती और लचर कानून के सहारे उनका भारत आना संभव ही नहीं है। उन अपराधियों को यदि ब्रिटेन भारत भेजने के कदम उठाए तब ही FTA पर बातचीत के लिए आगे आए।
कनाडा तो हमारे अनेक wanted को लिए बैठा है और उन्हें भारत विरोधी गतिविधियां चलाने की छूट देता है - ऐसे में कनाडा से भी FTA का सवाल ही नहीं पैदा होता।
जहां तक EU का सवाल है, उसके भी कई मसले भारत के साथ हैं जो FTA साइन होने की राह में रोड़ा हो सकते हैं। EU और भारत के WTO में wine, spirits, and pharmaceuticals
को लेकर टकराव है। EU को भारत में Insurance और व्यापार में FDI पर कुछ पाबंदियों से एतराज है।
इन विषयों पर तो बात हो सकती है लेकिन 2 विषय ऐसे हैं जिनमे, EU भारत की संप्रभुता को चुनौती देता है और उनकी वजह से FTA करना ही नहीं चाहिए।
-पहला विषय है, EU की नज़र में भारत में लोकतंत्र की कमी है और लोकतांत्रिक मूल्यों में गिरावट हो रही है;
-और दूसरा है कि EU अपने को मानवतावादी-सेकुलर समूह समझता है और भारत को “हिंदूवादी” देश है जहां व्यक्ति के ऊपर समुदाय (हिंदू) को समझा जाता है। EU कोई अब तो आभास हो जाना चाहिए जिसके 17 देशों ने मुस्लिमों को अपने अपने देश से बाहर निकालने का फैसला किया है।
ये दोनों गंभीर विषय हैं जिन पर यदि EU भारत के लिए विचार नहीं बदलता तो कोई FTA नहीं होना चाहिए, अलबत्ता EU के अलग अलग देशों से भारत FTA कर सकता है।
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