ब्रिटेन ने यूक्रेन समस्या पर यूरोपीय देशों (EU) मार्च 2 बैठक बुलाई थी जिसमें यूक्रेन को लेकर चर्चा की गई। लेकिन इस पर बात करने से पहले यह याद करना होगा कि 23 जून, 2016 को ब्रिटेन में EU से अलग होने के लिए जनमत संग्रह में फैसला हुआ और एक फरवरी, 2020 को ब्रिटेन EU से औपचारिक तौर पर अलग हो गया।
इसलिए यूक्रेन को लेकर ब्रिटेन को EU की बैठक बुलाने का कोई अधिकार नहीं था। EU की बैठक तो EU Parliament की प्रेसिडेंट Roberta Met Sola या यूरोपीय काउंसिल के प्रेसिडेंट António Costa या यूरोपीय कमीशन की प्रेसिडेंट Ursula von der Leyen को बुलानी चाहिए थी। ब्रिटिश प्रधानमंत्री Keir Starmer को यह बैठक बुलाने का कोई अधिकार नहीं था।
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लेखक चर्चित YouTuber |
“ट्रंप से संबंध बहाल करें जेलेंस्की रिश्ते सुधारने का रास्ता खोजें जेलेंस्की ट्रंप की मदद को भूलना ठीक नहीं
शांति समझौता सुरक्षित करने की उम्मीद”।
अब पता नहीं Mark Rutte की नसीहत के बाद हुआ या पहले, लंदन पहुंचने से पहले जेलेंस्की की कुछ हालत जरूर खराब हुई जो उसने कहा -
“उम्मीद है US से रिश्ते मजबूत होंगे;-
अमेरिका ने यूक्रेन की मदद की;
हम अमेरिका से मिल रहे हर तरह के समर्थन के लिए बेहद आभारी है;
मैं राष्ट्रपति ट्रंप और अमेरिकी जनता का धन्यवाद करता हूँ, खासकर इन तीन सालों के दौरान जब हम पूरे तरीके से बड़े पैमाने पर रूस से आक्रमण झेल रहे हैं;
बिना अमेरिकी मदद हम 3 साल से युद्ध नहीं लड़ सकते थे” -
और आज एक खबर के अनुसार जेलेंस्की ने यह भी कहा है कि यूक्रेन अमेरिका के साथ Minerals Deal के लिए तैयार है।
एक तो ब्रिटेन को EU की बैठक बुलाने का कोई अधिकार नहीं था, फिर भी ब्रिटिश पीएम Keir Starmer ने बैठक को एक चौधरी की तरह संबोधित किया। बैठक में कहा गया कि
“यूक्रेन की रक्षा क्षमताओं को बढ़ाएंगे;
शांति के लिए यूक्रेन की संप्रभुता जरूरी;
यूक्रेन को 2 बिलियन डॉलर की मदद;
रूस समझौते की शर्तें तय नहीं करेगा;
अमेरिका हमारा विश्वसनीय सहयोगी;
जंग ख़त्म करने की योजना पर काम करेंगे;
UK फ्रांस यूक्रेन के साथ काम करेंगे और US के सामने रखेंगे जंग रोकने का प्लान यूक्रेन में न्यायपूर्ण शांति चाहते हैं; और हमें इस समय मिलकर काम करना होगा”।
बाइडन काल में EU समेत सभी देशों ने जेलेंस्की को अनार के झाड़ पर चढ़ाए रखा और कल की EU की बैठक में भी यही हुआ। युद्ध समाप्त करने से ज्यादा इस बात पर जोर दिया गया कि युद्ध में यूक्रेन की मदद कैसे की जाए। महाभारत में दुर्योधन को शकुनि, कर्ण और दुःशासन चढ़ाए रहते थे और आज जेलेंस्की को चढाने वालों की भी कमी नहीं है।
बेशक इस बैठक में कहा गया कि अमेरिका हमारा विश्वसनीय सहयोगी है लेकिन किसी ने जेलेंस्की को नहीं कहा कि आपने ट्रंप से लाइव झगड़ा करके अच्छा नहीं किया।
यह बात सही है कि युद्ध विराम के बाद यूक्रेन को सुरक्षा की गारंटी चाहिए लेकिन यह गारंटी कोई बाहरी देश नहीं दे सकता। ये गारंटी अगर रूस से चाहता है जेलेंस्की तो उसे भी गारंटी देनी होगी कि वह अपनी तरफ से कोई गड़बड़ नहीं करेगा। हमास को ले लो, हर बार इज़रायल से समस्या वह ही खड़ी करता है और फिर पीड़ित होने का नाटक करता है जब पिटाई होती है।
इसलिए EU देशों और ब्रिटेन को यूक्रेन पर काबू रखने की जरूरत है। अगर अमेरिका ने NATO छोड़ दिया तो कौन संभालेगा के नए NATO की कमान और क्या NATO का अस्तित्त्व बचेगा भी, यह सोचने का विषय है।
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