रमजान के महीने में खून ख़राब न हो, ऐसा हो नहीं सकता। भारत में भाजपा और RSS पर नफरत फ़ैलाने का आरोप लगाने वाले अब देख सकते हैं कि रमजान के “पवित्र” महीने में सीरिया में मुस्लिम ही मुस्लिमों के खून के प्यासे हो रहे हैं, वहां मुस्लिमों को मारने वाले RSS वाले नहीं है।
और यही पाकिस्तान में हो रहा है।
खैबर पख्तूनख्वा के बानू प्रान्त में 5 मार्च को रमजान के महीने में ही पाकिस्तानी तालिबान ने आत्मघाती हमला करके 18 लोगों का क़त्ल कर दिया जिसमें 5 पाकिस्तानी सैनिक थे और 30 लोग घायल हुए।
पिछले 3 दिनों में सीरिया के अपदस्थ राष्ट्रपति बशर अल असद के अल्पसंख्यक अलावी संप्रदाय के हमले के जवाब में सरकार के प्रति वफादार सुन्नी बंदूकधारियों द्वारा की गई कार्रवाई में अब तक दोनों तरफ के 1000 लोग मारे जा चुके हैं। यानी मरने वाले भी रोजा रखने वाले मुस्लिम हैं और मारने वाले भी रोजा रखने वाले मुसलमान ही हैं। लेखक
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असद के जाने के बाद यह समझना उचित नहीं था कि उसने हार मान ली है। उसके लड़ाके पूरी ताकत से लड़ रहे हैं और यह हयात तहरीर अल-शाम(HTS) के लिए बड़ा झटका है। ब्रिटिश स्थित सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स के अनुसार 745 नागरिकों के अलावा, 125 सुरक्षा बल के सदस्य और असद से जुड़े सशस्त्र समूहों के 148 लड़ाके मारे गए हैं। आम नागरिकों में अधिकतर को नजदीक से गोली मारी गई।
कुछ दिन पहले 26 फरवरी को इज़रायल ने भी दक्षिणी सीरिया पर हमला किया था और बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा था कि इज़रायल अपने देश से लगते क्षेत्रों में सीरिया की इस्लामिक सरकार की सैन्य शक्तियों को बर्दाश्त नहीं करेगा।
कल हिज़्बुल्लाह के नए चीफ Naim Qassem ने भी इज़रायल को धमकी दी है कि हिज़्बुल्लाह हथियार नहीं डालेगा और अभी वह लेबनॉन को इज़रायल से टक्कर लेने के लिए समय दे रहा है।
उधर अफगानिस्तान का तालिबान लगता है भारत के साथ कुछ खिचड़ी पका रहा है जिससे वह पाकिस्तान को तोड़ने में भारत की मदद कर सके और बदले में वह चाहता है कि भारत अफगानिस्तान में विकास के बड़े बड़े प्रोजेक्ट शुरू करे।
कुल मिला कर कुछ इस्लामिक देशों में शांति संभव नहीं लगती। हमास इज़रायल के बंधकों को रिहा करने के मूड में नहीं है और ट्रंप उसे भयंकर नतीजे भुगतने की धमकी दे रहा है।
भारत के मुस्लिम हर हिंदू त्योहार में उत्पात मचाना अपना अधिकार समझते हैं और दूसरी तरफ UAE के कई शेख BAPS के अबू धाबी मंदिर में रोजा इफ्तार में गए और हिंदुओं की सहनशीलता की जमकर प्रशंसा की।
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