हिंदुओं को अपने त्योहार भी कोर्ट के आदेश से मनाने पड़ेंगे, कितना जलील करेगी ममता और सेकुलर दल हिंदू मानस को; कोर्ट का आदेश कोई गर्व की बात नहीं है, डूब मरने की बात है

सुभाष चन्द्र

आखिर कब तक हिन्दुओं को अपने त्यौहार मनाने के लिए किसी भी कोर्ट के आगे माथा पीटना पड़ता है? भारत की सियासत में दो नटवर लाल है, एक अरविन्द केजरीवाल दूसरी ममता बनर्जी। पिछले दो चुनावों में चोटिल होने का ड्रामा कर सहानुभूति से चुनाव जीते। ममता चुनावों में चाहे जितना भी चोटिल या हॉस्पिटल में दाखिल होने का ड्रामा खेले हिन्दुओं को ममता पार्टी को एक भी वोट नहीं देना चाहिए। जब से बंगाल की बागडोर ममता के हाथ आयी है, हिन्दू खुद बताये अब तक कितने जानलेवा हमले हुए है फिर भी हिन्दू का ममता या इसकी पार्टी को वोट देकर सत्ता देना अपनी दुर्गति होने के लिए बंगाल हिन्दू ही जिम्मेदार है। क्यों देते हो वोट? जब बीजेपी को हराने मुसलमान एकजुट हो सकता है फिर सनातन विरोधियों को हराने हिन्दू क्यों नहीं एकजुट होता?   

कलकत्ता हाई कोर्ट के जस्टिस तीर्थंकर घोष ने कल रामनवमी की शोभायात्रा की शर्तों से अनुमति दी है। इस यात्रा को ममता की पुलिस ने कानून व्यवस्था का बहाना बना कर निकालने से मना कर दिया था कहीं यह लिखा गया है कि कोर्ट ने 3 से 5 बजे तक यात्रा की अनुमति दी है और कहीं यह लिखा है कि कोर्ट ने रैली सुबह 8.30 से 12 बजे तक पूरी करने के आदेश दिए हैं

शोभायात्रा में कोई हॉकी, लाठी या हथियार लेकर नहीं जाएगा और कोई Vehicle नहीं जाएगी, मोटरसाइकिल या कार ट्रक आदि, भगवान राम के रथ के सिवाय; इसके अलावा भी कई अन्य शर्तें लगाई गई हैं;

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यह याचिका अंजनी पुत्र सेना ने  दायर की थी कोर्ट ने अनेक शर्ते थोपी हैं, केवल 500 व्यक्ति होने चाहिए रैली में, उनके नाम और आधार कार्ड या पैन कार्ड पुलिस को जमा करने होंगे 10 लोग जिम्मेदार होंगे रैली निकालने के लिए

बंगाल की 9 करोड़ की आबादी में 70% हिंदू हैं लेकिन उन्हें इस तरह अपने त्योहार मनाने के लिए कोर्ट की अनुमति लेनी पड़ेगी वह भी शर्तों के साथ तो इसका मतलब साफ़ है कि ममता राज में हिंदुओं को 8वे दर्जे का नागरिक माना जाता है कोर्ट के इस आदेश पर हमें गर्व नहीं होना चाहिए और न ही अपनी जीत समझनी चाहिए बल्कि इसके लिए कोर्ट और ममता को लानत भेजनी चाहिए

यह ऐसा नहीं पहली बार हो रहा है

-पिछले वर्ष ममता ने मुहर्रम से पहले गणेश विसर्जन करने पर प्रतिबंध लगा दिया था तब भी गणेश विसर्जन की अनुमति कलकत्ता हाई कोर्ट ने देते हुए कहा था कि “right to practice festivities and ceremonies is part of the right to life”.

-ममता ने 2017 में मुहर्रम के दिनों में दुर्गा विसर्जन पर प्रतिबंध लगा दिया था तब Acting Chief Justice राकेश तिवारी और जस्टिस हरीश टंडन ने प्रशासन को आदेश दिए कि मुहर्रम के जुलूस और दुर्गा विसर्जन के लिए यात्रा के मार्ग अलग अलग तय किए जाएं और विजय दशमी तक midnight तक दुर्गा विसर्जन की जा सकेगी;

-2020 में कोरोना काल में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की अवहेलना करते हुए तेलंगाना सरकार ने गणेश चतुर्थी शोभायात्रा पर तो पाबंदी लगा दी लेकिन मुहर्रम जुलूस को रोज निकालने की अनुमति पुलिस ने दी

-2022 में मद्रास हाई कोर्ट ने हिंदुओं को गणेश मूर्ति स्थापित करने से पहले लोकल मुस्लिम जमात से स्वीकृति लेने के आदेश दिए लेकिन शोभायात्रा निकालने की अनुमति नहीं दी ऐसा खतरनाक फैसला हिंदुओं पर कुठाराघात था और एक गलत परंपरा शुरू करने वाला था - मुसलमानों का एक तरह हिंदुओं पर राज कायम कर दिया;

-2023 में भी जस्टिस Sabyasachi Bhattacharyya ने गणेश पूजन को public property पर मनाने की अनुमति दी जो ममता सरकार ने नहीं दी थी;

-बॉम्बे हाई कोर्ट ने प्लास्टर ऑफ़ पेरिस से बनी गणेश की मूर्तियों पर बैन लगा दिया;

-सुप्रीम कोर्ट ने NGT के ढोल ताशे नगाड़े बजाने वालो की संख्या 30 नियत करने को सुप्रीम कोर्ट ने स्टे कर दिया और कहा कि this restriction could have significant impact on the cultural practice.

यह बड़ा खतरनाक ट्रेंड बनता जा रहा है हर गली मोहल्ले में मस्जिद बनी हैं और मुसलिम नहीं चाहते कि उनकी मस्जिद के करीब से कोई शोभायात्रा निकले और निकलती है तो पत्थरबाजी होती है और अन्य तरह से हमले होते हैं। अगर कोर्ट की अनुमति हर त्योहार के लिए लेनी पड़ती है तो कोर्ट को ममता जैसी सरकारों पर ऐसे आदेश देने पर सख्त बैन लगा देना चाहिए ममता और बाकी इंडी गठबंधन के दल देश को गृहयुद्ध में धकेलना चाहते हैं

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