वक़्फ़ बिल एक्ट बनने से पहले ही सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी कितने उतावले हैं; वक़्फ़ बोर्ड एक दाग था और न्यायपालिका पर भी दाग लगा हुआ है; सोच समझ कर निर्णय करें; क्या सुप्रीम कोर्ट वक़्फ़ के आगे नतमस्तक होगा? वीडियो

सुभाष चन्द्र 

अप्रैल 5 को राष्ट्रपति ने वक़्फ़ संशोधन बिल को संसद से पास होने के बाद मंजूरी दी है लेकिन उसके पहले ही ओवैसी और कांग्रेस के मोहम्मद जावेद ने सुप्रीम कोर्ट में बिल को ही चुनौती दे दी जो किसी मायने में उचित नहीं थी। बिल को संसद में पास होने के बाद और एक्ट बनने से पहले कैसे चुनौती दे सकते हो, इसका मतलब ये लोग संसद की भूमिका को ही चुनौती दे रहे हैं फिर तो राज्यसभा और लोकसभा को प्रतिवादी बनाना चाहिए 

लेखक 
चर्चित YouTuber 
सुना है मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और जमीयत उलेमा ने भी याचिका दायर की है और वकील खड़े हुए हैं कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी अब ये सोचते होंगे कि सुप्रीम कोर्ट में ये सेटिंग कर लेंगे और कानून को गिरवा देंगे जैसे इलेक्टोरल बांड को गिरवा दिया था

अनेक लोग कह रहे हैं कि ओवैसी समेत बड़े बड़े मुस्लिम नेताओं ने वक़्फ़ की संपत्तियों पर कब्ज़ा किया हुआ है एक मौलाना तो कह रहा था मुस्लिम संगठनों के किसी भी व्यक्ति की संपत्ति देख लो सबमे गड़बड़झाला मिलेगा एक तरफ मुस्लिम नेता मुसलमानों को सड़कों पर उतरने के लिए भड़का रहे हैं और यह काम कांग्रेस नेतृत्व भी कर रहा है और दूसरी तरफ ये कोर्ट में भी लड़ना चाहते हैं कई राज्यों में मुस्लिम वक़्फ़ बिल के पास होने पर जश्न भी मना रहे हैं

इसमें तो कोई शक नहीं है कि वक़्फ़ की संपत्तियों में जमकर घोटाला हुआ है और किसी गरीब मुसलमान को कुछ नहीं मिला यानी यह मुस्लिम समाज के लिए भी एक दाग था जिसे मिटाने के लिए कुछ संशोधन किए गए हैं।   

लेकिन अब मामला न्यायपालिका के पास गया है और यह नहीं भूलना चाहिए कि आज न्यायपालिका स्वयं कलंकित है खासकर यशवंत वर्मा के घर से मिले धन के बाद वैसे सुप्रीम कोर्ट के कई निर्णय संदेह के घेरे में रहे हैं केजरीवाल की जमानत में यह कैसे मान लिया जाए कि कोई सौदेबाजी नहीं हुई क्योंकि उसके लिए संजीव खन्ना ने जो 3 जजों की बेंच बनाने के लिए कहा था वह 9 महीने बाद भी नहीं बनी है

 

ठीक चुनाव से पहले इलेक्टोरल बांड्स पर चंद्रचूड़ का निर्णय देकर सात साल बाद उन्हें असंवैधानिक कहना अपने आप में संदेह पैदा करता था और वह संदेह तब और पुख्ता हो गया जब अमेरिका से 182 करोड़ रुपया भारत में अस्थिरता फ़ैलाने के लिए भेजने की बात सामने आई एक तरफ सुप्रीम कोर्ट कहता है कि अवैध निर्माण गिराना गलत नहीं है और दूसरी तरफ ऐसे निर्माणों को बनाने के लिए बढ़ावा देता है हल्द्वानी के बनफूलपुरा में रेलवे लाइन पर हजारो लोगों के कब्जे को गिराने पर जनवरी, 2023 में रोक लगा दी और तब से कोई सुनवाई नहीं हो रही

चंद्रचूड़ ने Places of Worship act में किसी सर्वे पर रोक ना लगाने की बात कही थी और कहा था कि यह एक्ट सर्वे करने से नहीं रोकता लेकिन संजीव खन्ना ने चीफ जस्टिस बनकर सभी सर्वे बंद करा दिए, चल रहे मुकदमों की सुनवाई रोक दी और कोई भी फैसला सुनाने से मना कर दिया जब तक इस पर सुप्रीम कोर्ट फैसला न सुना दे याद रहे यह मामला 2020 से चल रहा है जिसका मतलब है पंचवर्षीय योजना पूरी हो गई और अब अगली पंचवर्षीय योजना शुरू कर दी गई है 

इसलिए सुप्रीम कोर्ट को वक़्फ़ मामले में संसद के अधिकारों से टकराने से पहले 50 बार सोच लेना चाहिए अभी पहले ही सुप्रीम कोर्ट के जज दबाव में हैं जो अपनी संपत्तियों की घोषणा करने की बात कर रहे हैं उपराष्ट्रपति धनखड़ कई बार कह चुके है कि न्यायपालिका के पास  विधायिका की कानून बनाने के शक्तियां नहीं है, वे केवल विधायिका और कार्यपालिका का काम है -इसलिए कोर्ट एक्ट को खारिज करने की भूल न करे

No comments:

Post a Comment