यह प्रश्न मेरे मन में बार बार उठता है कि क्या भगवान बुद्ध सच में विष्णु के अवतार थे और अगर थे तो क्या उन्होंने सनातन धर्म और हिंदू देवी देवताओं का विरोध और अपमान किया और अगर किया तो फिर भी हम सनातनी भगवान बुद्ध की पूजा क्यों करते है?
किसी धर्म का सत्य उसके अनुयायी बताते है। उनका आचरण ही उनके धर्म की पहचान बनता है और बौद्ध धर्म के मानने वालों में हिंदुओं और हिंदू देवी देवताओं के प्रति नफरत ने ही मेरे मन में ऐसे प्रश्न उत्पन्न किए हैं। इसी वजह से ही ख्याल आया कि देश का चीफ जस्टिस भी कोई पहला बौद्ध बना है और इसलिए क्या माना जा सकता है कि अब चीफ जस्टिस के रहते अदालत में हिंदू विरोध और बढ़ेगा?
![]() |
| लेखक चर्चित YouTuber |
“मैं ब्रह्मा, विष्णु और महेश में कोई विश्वास नहीं करूंगा और न उनकी भगवान मान कर पूजा करूंगा, मैं राम और कृष्ण में न कोई विश्वास रखूंगा और उनकी पूजा करूंगा;
मैं गौरी, गणेश और अन्य हिंदू भगवानों में न विश्वास रखूंगा और न उनकी पूजा करूंगा”
प्रबल विरोध होने के बाद राजेंद्र पाल को त्यागपत्र देना पड़ा और अपने त्यागपत्र में उसने केजरीवाल को लिखा कि वो समारोह में निजी तौर पर गया था, AAP या दिल्ली कैबिनेट का उससे कोई लेना देना नहीं था -“Along with 10,000 people I repeated the 22 vows taken by BR Ambedkar in the event”.
इसके बाद में गूगल पर सर्च किया कि अंबेडकर ने कौन सी 22 प्रतिज्ञा ली थी जिनके बारे में राजेंद्र पाल कह रहा था। और मैंने यह पाया कि अंबेडकर ने भी बुद्ध धर्म अपनाते हुए 22 प्रतिज्ञा की थी। उनमें शुरू की 8 प्रतिज्ञा लिख रहा हूं जो निश्चित रूप से सनातन विरोधी थी। अब यह शोध का विषय है (मुझे जानकारी नहीं है) कि क्या भगवान बुद्ध ने ऐसे आदर्श समाज को दिए थे?
- I shall have no faith in Brahma, Vishnu and Maheshwra,
and I shall not worship them;
- I shall have no faith in Rama and Krishna, who are
believed to be incarnation of God and I shall not worship
them;
- I shall have no faith in Gauri, Ganapati and other gods
and goddesses of Hindus, and I shall not worship them;
- I do not belive in the incarnation of God;
- I do not and shall not believe that Lord Buddha was
the incarnation of Vishnu. I believe this to be sheer
madness and false praopganda;
- I shall not perform Shraddha and I shall not give pind;
- I shall not act in a manner violating the principles and
teachings of the Buddha;
- I shall not allow ceremonies to be performed by Brahmins,
अब देखिए भगवान बुद्ध के मुख्य उपदेश क्या थे। उनमें कही सनातन धर्म के विरोध की बात नहीं थी ➖
-दूसरों का बुरा न करें;
-सत्य के बारे में कहा कि 3 चीज़ें ज्यादा देर तक छुपी नहीं रह सकती - सूर्य, चंद्रमा और सत्य ( सूर्य और चंद्रमा हिंदुओं के देवता हैं);
-जीवन का उद्देश्य सही रखें;
-प्रेम मार्ग अपनाएं;
-खुद जैसा औरों को समझें;
-स्वयं पर विजय प्राप्त करो;
-दूसरों को सुख दें;
-बैर भाव न रखें;
-पशु हिंसा से बचें; और
-चर्म धारण न करें (सिंह, बाघ और चीते का चर्म को धारण नहीं करना चाहिए)
भगवान बुद्ध के उपदेशों में कहीं वह नहीं कहा गया जैसी अंबेडकर ने 22 प्रतिज्ञाओं में कहा गया, इसमें हिंदू धर्म के प्रति नफरत झलकती है। शायद यही कारण है कि बौद्ध जनसंख्या देश में नहीं बढ़ी। 1951 में बौद्घ जनसंख्या 0.5% थी जो 2011 में भी केवल 0.7% थी।
देश के चीफ जस्टिस बीआर गवई भी अंबेडकर के अनुयायी हैं और जाहिर है वे भी अंबेडकर की हिंदू विरोधी प्रतिज्ञाओं को मानते होंगे? इसलिए सुप्रीम कोर्ट में हिंदू विरोध बढ़ना निश्चित है और कोई बड़ी बात नहीं वक़्फ़ संशोधन कानून भी ख़ारिज कर दिया जाए।



No comments:
Post a Comment