बेवफा, बेपेंदी का लोटा निकले डोनाल्ड ट्रंप; सीरिया से दोस्ती कर रहे, यूक्रेन से सौदा कर लिया, अभी बलूचिस्तान को भी मान्यता देंगे

सुभाष चन्द्र

बहुत लोगों ने चाहा था कि डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति बने लेकिन लोगों से ट्रंप ने विश्वासघात किया। भारत के लिए भी बेवफा निकले और सही मायने में बेपेंदी के लोटे साबित हो रहे है। अमेरिका का राष्ट्रपति ट्रम्प हो या कोई और कोई फर्क नहीं पड़ता। इतिहास साक्षी है कि इंडो-पाक युद्ध में अमेरिका ने हमेशा पाकिस्तान का ही साथ दिया है।  

खुद ढोल बजाया कि उन्होंने भारत पाकिस्तान के बीच युद्ध रुकवा दिया और आज पलट गए ये कह कर कि इसमें उनका कोई योगदान नहीं है। 

एप्पल कंपनी को सलाह दी है कि वह भारत में अपनी इंडस्ट्री न लगाएं और भारत का ख्याल करने की जरूरत नहीं है क्योंकि भारत खुद अपना ख्याल रख सकता है। 

पाकिस्तान को IMF से एक बिलियन डॉलर दिला दिया जो भारत के खिलाफ ही उपयोग होना है, यह ट्रंप जानते थे। उसके पहले पिछले महीने पाकिस्तान को 400 मिलियन डॉलर की मदद की

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अजीबोगरीब व्यक्तित्व नज़र आ रहा है ट्रंप का। पहले कहा था गाज़ा पर कब्ज़ा कर उस पर अपना कंट्रोल रखेंगे और गाज़ा के लोगों को कहीं और भेजा जायेगा। यह काम वे नहीं कर सके। 

उन्होंने कहा था एक महीने में रूस यूक्रेन युद्ध रुकवा देंगे लेकिन नहीं रुकवा सके और यूक्रेन से खनिजों के लिए समझौता कर ठंडे पड़ गए। चीन पर 145% की ड्यूटी लगा कर खुद पीछे हट गए और चीन से व्यापारिक समझौता कर लिया जिसमे चीन पर लगी ड्यूटी को 30% तक नीचे ले आए

अभी सऊदी अरब में ट्रंप ने सीरिया के राष्ट्रपति अहमद अल शारा से मुलाकात की। यह किसी भी अमेरिकी राष्ट्रपति की सीरिया के किसी भी राष्ट्रपति से 25 साल में पहली मुलाकात है। शारा को 2013 में UN ने Global Terrorist declare किया था और 10 मिलियन डॉलर का इनाम रखा गया था

सबसे बड़ी बात शारा के लिए ट्रंप के दिल में मोहब्बत की दुकान खुल गई और सीरिया पर लगे अमेरिकी प्रतिबंधों को जल्द हटाने की घोषणा की। उसे Tough Guy and a fighter with a strong past कहा। शारा को यह भी सलाह दी है कि सीरिया इज़रायल के साथ अपने संबंध सामान्य करे जबकि सीरिया और इज़रायल की कटर दुश्मनी है

अल शारा के संबंध कभी अल कायदा से हुआ करते थे जिसने अमेरिका में 9/11 किया था और जब शारा सत्ता में आये थे तब अमेरिका ने उनके संगठन को आतंकी संगठन कहा था 

अरब देश ट्रंप को खुश करने में लगे हैं। सऊदी अरब ने अमेरिका को 140 अरब डॉलर के हथियारों का आर्डर दिया और साथ ही 4 वर्षों में 600 अरब डॉलर का निवेश करने का समझौता भी किया है। उधर क़तर बड़ी संख्या में बोइंग विमानों की खरीद का आर्डर देगा और ट्रंप को 40 करोड़ का बोइंग 747; 8 लक्ज़री विमान उपहार में देगा

बलूचों को अमेरिका मान्यता नहीं देता लेकिन कल बलूचों ने अपने को स्वतंत्र देश घोषित कर दिया ट्रंप जिस तरह चल रहे हैं उसे देख कर लगता है वे बलूचिस्तान को मान्यता दे सकते हैं इसका कारण है बलूचिस्तान में भारी मात्रा में खनिजों का होना

बलूचिस्तान में कोयले, कॉपर, गोल्ड, आयरन ओर और क्रोमाइट के भंडार हैं। इसके अलावा मार्बल, Limestone, gypsum और अन्य non-metallic minerals भी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं। अमेरिका को इस सभी minerals और धातुओं की जरूरत है। जैसे यूक्रेन से ट्रंप ने समझौता किया उसके खनिजों के लिए वैसा ही समझौता ट्रंप बलूचिस्तान के साथ भी कर सकता है और बदले में करोड़ों डॉलर दे सकता है बलूचिस्तान के डेवलपमेंट के लिए। देखना यह होगा कि बलूचिस्तान भारत का कितना अहसान मान कर खनिजों की डील भारत के साथ है या अमेरिका को अधिमान देता है

कुल मिला कर सत्य यह है कि ट्रंप अपनी विश्वसनीयता खो रहे हैं। ऐसा कहते हैं रिपब्लिकन पार्टी के अनेक नेता भी ट्रंप के खिलाफ हो चुके है। 

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