सुप्रीम कोर्ट को वक़्फ़ कानून पर स्टे लगाने से बचना चाहिए; वैसे भी वक़्फ़ गैंग धराशाई हो गया है

 (#5% आबादी की कौम अल्पसंख्यक हो)

सुभाष चन्द्र

पिछली बार जब कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट ने स्टे लगाया था तब बहुत से कानून के जानकारों का मत था कि सुप्रीम कोर्ट को केवल कानून की वैधता पर विचार करना चाहिए, उस पर स्टे लगाने से बचना चाहिए कृषि कानूनों को स्टे कर और उसके लिए विशेषज्ञों की समिति की रिपोर्ट पर 8 महीने बैठे रहने के बाद सुप्रीम कोर्ट की घनघोर बेसती हुई थी। 

सुप्रीम कोर्ट वक़्फ़ संशोधन कानून में कमियां तो बता सकता है लेकिन संसद द्वारा पारित कानून को ख़ारिज नहीं कर सकता क्योंकि वह 140 करोड़ जनता की भावनाएं प्रदर्शित करता है और सरकार की जवाबदेही जनता के प्रति है जबकि 3 जजों की जवाबदेही जनता के प्रति नहीं है

लेखक 
चर्चित YouTuber 

अब वक़्फ़ गैंग येन केन प्रकारेण चाहता है कि वक़्फ़ संशोधन कानून को सुप्रीम कोर्ट स्टे कर दे अंतरिम आदेश के लिए फैसला सुरक्षित कर लिया गया है लेकिन उसके लिए भी चीफ जस्टिस गवई ने टिप्पणी की थी कि कोई ठोस कारण आपको बताना होगा और वह कारण बताने में “काफिर” वकील कपिल सिब्बल, सिंघवी आदि सफल नहीं हुए

सबसे बड़ा मुद्दा कोर्ट के सामने वक़्फ़ संपत्तियों के रजिस्ट्रेशन का था यह रजिस्ट्रेशन 1923 से 1954 तक 6 महीने में करवाना अनिवार्य था और 1954 में इसे 3 महीने कर दिया गया कपिल सिब्बल स्वयं कोर्ट में कह गया कि दिल्ली में वक़्फ़ की केवल 2 संपत्तियां रजिस्टर हैं और जम्मू कश्मीर और तेलंगाना में कोई भी संपत्ति रजिस्टर नहीं है उत्तर प्रदेश के लिए ओवैसी ने खुद कहा था कि 1 लाख 29 हजार में से एक लाख 12 हजार के कागज वक़्फ़ के पास हैं ही नहीं यानी 86% संपत्तियां रजिस्टर नहीं है जबकि यूपी सरकार के सर्वे में बताया गया कि 97% संपत्तियां रजिस्टर नहीं हैं

इसलिए रजिस्ट्रेशन के मामले में वक़्फ़ गैंग कमजोर विकट पर खड़ा है वैसे भी सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एन के सिंह के 8 जनवरी, 2025 के फैसले में साफ़ कहा गया था कि “mere transfer of possession and payment of consideration will not transfer ownership, unless sale deed is registered as per section 54 of the transfer of property Act, 1982”.

यही कारण है कि वक़्फ़ बोर्ड ने हिंदुओं की लाखों संपत्तियों पर कब्ज़ा किया हुया है जिसका कभी कोई रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ इसलिए ही वक़्फ़ कौंसिल में 2 गैर मुस्लिमों को जगह दी गई थी एक्ट में जिसे फ़िलहाल कोर्ट ने रोक दिया है तमिलनाडु के 5000 साल पुराने चोला राजाओं द्वारा बनाए गए पूरे गांव को वक़्फ़ घोषित कर दिया जहां 1500 साल पुराना मंदिर भी है कोर्ट ने उन्हें मामले पर विचार करने का भरोसा दिया

एक महत्वपूर्ण विषय पर सिब्बल गैंग ने और रोना धोना मचाया कि Waqf by User को ख़त्म करना गलत है मतलब वक़्फ़ बोर्ड जबरन गैर कानूनी तरीके से कब्ज़ा किए बैठा है तो उसे कानूनी मान्यता दी जाए 

5 साल तक मुस्लिम धर्म का पालन करने वाला ही अपनी संपत्ति वक़्फ़ कर सकता है, यह प्रावधान गलत बताया सिब्बल ने दरअसल 2013 के कानून में बदलाव किया गया था कि कोई भी व्यक्ति अपनी संपत्ति वक़्फ़ कर सकता है जबकि यह पहले केवल मुस्लिम ही कर सकते थे अब धर्मान्तरण करा कर किसी भी हिंदू से उसकी संपत्ति वक़फ करा लेते है चाहे वो कुछ दिन बाद इस्लाम को त्याग ही क्यों न दे

झारखंड में मुस्लिम आदिवासी लड़कियों से शादी कर रहे हैं क्योंकि वहां संपत्ति का उत्तराधिकार महिला के बच्चो को मिलता है और इस तरह उनकी संपत्तियों पर कब्ज़ा किया जा रहा है आदिवासी क्षेत्रों में वक़्फ़ बैन किया गया है

सिब्बल गैंग ने कहा कि यह कानून गैर संवैधानिक है, वक़्फ़ की प्रॉपर्टी छीन लेगा बोर्ड भी लोगों को लूटता रहा है अगर यह कानून गैर संवैधानिक है तो 1954, 1995 और 2013 के भी कानून गैर संवैधानिक थे 

No comments: