कोई माँग रहा सबूत तो कोई कह रहा चील-कौवे मारे, किसी को ‘सिंदूर’ शब्द से ही दिक्कत: 'सिन्दूर' को साम्प्रदायिक बताने वाले हिन्दू क्या वास्तव में हिन्दू हैं? पाकिस्तान पर कार्रवाई के बाद भारत में बिलबिला कर निकल रहे ‘पाकिस्तानपरस्त’

कांग्रेसियों ने पहले एक्शन पर सवाल किए फिर 'ऑपरेशन सिंदूर' के नाम पर सवाल खड़े करने लगे (साभार- हिदुस्तानम/X)
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम की बैसारन घाटी में 22 अप्रैल, 2025 को हुए आतंकी हमलों के जवाब में भारतीय सेना ने मंगलवार (6 मई, 2025) की रात ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाकर पाकिस्तान में बसे 9 आंतकी ठिकानों को ध्वस्त कर दिया। पूरा देश इस बात पर जश्न मना रहा है। 24 हिंदुओं समेत कुल 26 पर्यटकों की मौत पर हुए एक्शन में लगभग 100 आतंकियों को मार गिराया गया।

जहाँ एक ओर पूरे देश में पहलगाम के हमले के बदले को लेकर खुशी का माहौल है। पहलगाम हमले के बाद गमगीन देश संतोष में है, क्योंकि ‘न्याय’ हुआ है। वहीं, दूसरी ओर विपक्ष के राजनेताओं को भारतीय सेना के इस शौर्य पर भी संदेह है। जिन्हें संदेह नहीं है, उन्हें इस मिशन के नाम से परेशानी हो रही है।

'सिन्दूर' को साम्प्रदायिकता से जोड़ने वाले हिन्दू नेताओं को वोट देने वाले हिन्दुओं को कहीं डुबके के मर जाना चाहिए या फिर पूछो इनसे कि क्यों 'सिन्दूर' को अपमानित कर रहे हो। इनके परिवार की महिलाओं को भी सख्ती से इनसे पूछना चाहिए। 'सिन्दूर' को किसी मुस्लिम नहीं इन कालनेमि हिन्दुओं द्वारा कलंकित किया जाना इनके हिन्दू होने पर ही संदेह करता है। समस्त हिन्दू महिलाओं को ऐसे कालनेमि हिन्दुओं का बहिष्कार करना चाहिए।   

कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चौहान ने सरकार पर साधा निशाना

‘ऑपरेशन सिंदूर’ से कई कांग्रेस नेता परेशान दिख रहे हैं। जहाँ एक ओर नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के मुखिया राहुल गाँधी और अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने एक साथ सामने आकर इस ऑपरेशन की सराहना की थी तो वहीं दूसरी ओर कई अन्य कांग्रेस नेताओं को इस ऑपरेशन के नाम या काम में खामियाँ नजर आईं।

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चौहान ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कह दिया कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम रखकर सरकार इसका भावनात्मक लाभ ले रही है। चौहान ने कहा, “युद्ध विमानों, बंदूकों और बमों का उपयोग करके लड़ा जाता है, भावनाओं या प्रतीकात्मकता से नहीं।”

हालाँकि, पृथ्वीराज चौहान के इस बयान से कांग्रेस पार्टी ने किनारा कर लिया। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने ही चौहान के बयान को गलत बता दिया। खेड़ा ने कहा, “इस समय किसी को भी मिशन पर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए। सरकार कोई भी कदम उठाए, कांग्रेस पार्टी पूरी मजबूती के साथ उनके साथ खड़ी है।”

राशिद अल्वी ने फिर माँगे सबूत

कांग्रेस के नेता राशिद अल्वी भी भारतीय सेना के इस मिशन की सफलता पर सवाल खड़े करने में पीछे नहीं रहे। उन्होंने यह तक पूछ डाला कि ऑपरेशन में क्या हर एक आतंकवादी मारा गया है?
राशिद अल्वी ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को सबसे न्यूनतम जवाब माना है। उन्होंने कहा, “क्या सभी आतंकवादी खत्म हुए? मोदी ने कहा था कि आतंकवादियों का नामोनिशान मिटा देंगे। अगर यह हुआ तो अच्छा है।” बता दें कि राशिद अली पहले भी सर्जिकल स्ट्राइक पर सबूत माँग चुके हैं।

उदित राज ने नाम पर जताई आपत्ति

उनके अलावा कांग्रेस के ही वरिष्ठ नेता उदित राज ने भारतीय सेना के इस मिशन के नाम पर ही आपत्ति जताई। उदित राज ने कहा,”सिंदूर एक विशेष धर्म से संबंधित है। बेहतर होता कि मिशन का कोई और नाम दिया होता।”
उदित ने यह भी कहा कि सरकार को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बारे में स्पष्टता रखनी चाहिए। पाकिस्तान के पीएम का संसद में 3 राफेल मार गिराने पर भी अपना पक्ष रखना चाहिए और बताना चाहिए कि पाक पीएम झूठे हैं। कांग्रेस के अलावा ‘झारखंड मुक्ति मोर्चा’ (JMM) की राज्यसभा सांसद महुआ माजी को भी ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का नाम नहीं पसंद आया। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर को ज्यादा महत्व नहीं दिया जाना चाहिए।
माजी ने कहा, “जब तीनों सेनाओं को अपने लक्ष्य और समय चुनने की छूट दी गई तो भी प्रधानमंत्री मोदी ने इसका नाम ‘ऑपरेशन सिंदूर’ रख दिया, इसलिए इसमें कुछ राजनीति ज़रूर है, नाम कुछ और भी हो सकता था।” माजी ने इसके बाद पाकिस्तान की परमाणु धमकी को भी दोहराया।

इमरान मसूद ने कहा, पाकिस्तान हँस रहा

इनके अलावा सहारनपुर से कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने भी ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता पर सवाल उठा दिए। उन्होंने सरकार से इस मिशन का पूरा हिसाब माँग लिया। मसूद ने कहा, “हमने बार-बार कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लीपा-पोती नहीं सख्त एक्शन होना चाहिए, जो सेना ने करके दिखाया।” इसके अलावा एक न्यूज चैनल से बातचीत करते हुए इमरान मसूद ने सर्जिकल स्ट्राइक पर भी कहा, “पाकिस्तान हमारे हम लोग का मजाक उड़ाता है। उनका कहना है कि सर्जिकल स्ट्राइक में हिंदुस्तानियों ने हमारे तीन कौवे मार दिए। इससे पूरी दुनिया में हमारा मजाक बन गया है।”
विपक्ष को पहले मौका मिला था कि पहलगाम पर कोई कड़ा एक्शन नहीं लिया गया। अब जब सरकार ने एक्शन ले लिया तो उसमें भी उन पर सवाल खड़े कर दिये। कुल मिलाकर विपक्ष को एक्शन तो चाहिए था लेकिन उस एक्शन को हजम करना नहीं आ पाया।

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