मई 9/10 की सुबह पाकिस्तान के जिस तरह 6 एयरबेस भारत ने तबाह किए, उसे देख कर पाकिस्तान के होश उड़ गए और मई 10 को उसने “सफ़ेद झंडा” खड़ा कर दिया। ट्रंप के आगे गिड़गिया पाकिस्तान कि किसी तरह भारत को रोको, ट्रंप ने खुद बात नहीं की बल्कि उसके प्रशासन के लोगों ने बात की और ट्रंप को पाकिस्तान का रोना सुनाया। और शाम 5 बजे से Ceasefire शुरू हो गया लेकिन केवल 48 घंटे के लिए। 12 मई को दोनों देशों के बीच बात होगी लेकिन भारत ने अब तक जो भी कदम उठाए हैं सिंधु जल समझौता suspend करने समेत, उन्हें वापस नहीं लिया है।
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लेखक चर्चित YouTuber |
लेकिन पाकिस्तान तो आतंक का Manufacturing Hub है, आतंकवाद पाकिस्तान के खून में रचा बसा है, वो बाज आएगा, ऐसी कल्पना नहीं कर सकते। परंतु अब अगर ऐसा दुस्साहस किया पाकिस्तान ने तो उसे बहुत भारी पड़ेगा। पाकिस्तान को ही नहीं पूरे विश्व को भारत की तीनो सेनाओं की शक्ति का अहसास हो गया होगा। अमेरिका के F-16 और चीन JF17 युद्धक विमानों को जिस तरह भारत की निर्मित मिसाइलों ने गिराया है, वह दोनों देशों के लिए चिंता का विषय बना रहेगा। भारतीय सेनाओं को अभूतपूर्व शौर्य दिखाने के लिए शत शत नमन।
1965 के युद्ध में भारत की सेना ने अमेरिका के टैंक की धज्जियाँ उड़ाकर अमेरिका की नींद उड़ा दी थी। ये वह टैंक जो अमेरिका ने बटवारे के समय इस शर्त पर दिया था कि इंडो-पाक युद्ध में इस्तेमाल नहीं होगा। लेकिन धोखेबाज़ पाकिस्तान युद्ध मैदान में ले आया था।
भारत में बैठे आतंकवाद को समर्थन देने वालों के बयानों और हरकतों को भी देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने का प्रयास मानकर कार्रवाई करनी चाहिए।
एक पागल-ए-आज़म है संजय राउत, उसने तो पहलगाम हमले को आतंकी हमला मानने से ही मना कर दिया। राउत ने कहा है जिन लोगों ने हमला किया, उन्हें पकड़ कर लाइए और पीड़ितों से पहचान कराई जाए कि यही लोग थे मारने वाले और फिर उन पर मुकदमा चला कर सजा दीजिए।
इससे बड़ा समर्थन आतंकिवादियों को और क्या हो सकता है? संजय राउत और उसके जैसे अन्य लोगों पर NIA को UAPA में केस दर्ज कर जेल में डालना चाहिए।
अब देश की अंदरूनी देश विरोधी ताकतों पर भी लगाम लगाने का समय आ गया है। देश में रह रहे घुसपैठियों को निकाला जाए।
दूसरी बात, अब हर आतंकवादी का केस किसी निचली अदालत में बेशक चले, उसे हाई कोर्ट की कार्रवाई समझा जाना चाहिए जिसके फैसले की अपील केवल सुप्रीम कोर्ट में हो। घुसपैठियों के केस भी हाई कोर्ट के स्टेटस वाली निचली अदालत में ही चलने चाहिए जिसके लिए कानून में बदलाव की जरूरत है।
अभी के ceasefire को अंत नहीं समझना चाहिए, यह तूफान के आने से पहले की शांति साबित हो सकती है और अगर कोई शरारत की जो वह करेगा तो अबकी बार पाकिस्तान का कब्र में दफ़न होना तय है। भारत के साथ तो ceasfire हो गया लेकिन बलूचिस्तान अभी बाकी है और उसके साथ TTP अफगानिस्तान का भी खड़ा होगा। कहां तक बचेगा आतंकिस्तान?
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