ये देश के लिए गर्व की बात है कि जिस चिनाब ब्रिज को 2002 में अटल जी के समय में शुरू किया गया, वो आज देश को प्रधानमंत्री मोदी ने समर्पित किया। यह 359 मीटर ऊँचा विश्व का सबसे ऊंचा पुल है और लम्बाई 1315 मीटर है। इस पर जब वंदे भारत ट्रेन गुजरी तो उसे देखकर तबियत खुश हो गई।
इस परियोजना को मंजूरी नरसिम्हा राव की सरकार में 1994 में मिली थी लेकिन काम अटल जी के समय में 8 साल बाद 2002 में शुरू हुआ। आधारशिला 2006 में गुलाम नबी आज़ाद ने रखी लेकिन काम पूरी तरह शुरू नहीं हुआ। यह मोदी के आने की बाद ही हुआ जब 2017 में पुल का बेस तैयार हुआ और 2022 में निर्माण पूरा हुआ। तब से ट्रायल चल रहा था और आज देश को समर्पित हुआ, यह पुल कोंकण रेलवे कॉर्पोरेशन और रेल मंत्रालय ने बनाया है।लेखक
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इसके अलावा भारत का पहला 725 मीटर लंबा केबल स्टेड रेल ब्रिज जम्मू और कश्मीर से कटड़ा एवं रियासी जिलों को जोड़ने वाला ब्रिज भी मोदी जी ने देश को समर्पित किया।
उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला को जोड़ने रेल लिंक ट्रेन और माता वैष्णो देवी-कटड़ा-श्रीनगर के लिए पहली हाई स्पीड वंदे भारत भी शुरू की गई।
लेकिन इतना सब कुछ जम्मू कश्मीर को देने के बाद भी आज विपक्ष को यह रास नहीं आ रहा। उसके नेता फिर भी कमियां निकाल रहे हैं। मोदी की कोई भी उपलब्धि हो, उसे देख कर विपक्ष के नेताओं को तो जैसे बवासीर का दौरा पड़ जाता है।
सवाल यह है कि कश्मीरियों को भी क्या सब कुछ मिलना रास आता है और आज की सौगात भी क्या पसंद आएगी? आज भी आप कश्मीरियों से पूछोगे तो उनका जवाब होगा कि उन्हें 370 वापस चाहिए। यही कारण था कि पिछले विधानसभा चुनाव में कश्मीरी मुस्लिमों ने मोदी को न के बराबर वोट दिया और सबका वोट NC और कांग्रेस को गया क्योंकि उन दोनों दलों ने 370 वापस लाने का वादा किया था।
कश्मीरियों ने जिस 370 के वापस लाने के वायदे पर कांग्रेस और NC को वोट दिया है और उसके वापस न होने पर इनकी स्थिति क्या होगी, अभी से समझा जा सकती है।
कहने का मतलब है कश्मीर की जनता को मोदी कुछ भी दे दे, उनका वोट कभी भी मोदी को नहीं मिलेगा। जबकि कश्मीरियों को आज की पाकिस्तान की हालत देख कर समझना चाहिए कि वे कश्मीर में कितने सुख चैन से रह रहे हैं। यह बात कड़वी है लेकिन सत्य है। पाकिस्तान तो कश्मीर मांगता फिरता है लेकिन कश्मीर लेकर वो कश्मीरियों की भी हालत वैसी ही कर देगा जैसी आज पाकिस्तानियों की है।
नरेंद्र मोदी देश के हर राज्य के लिए हर मुमकिन काम कर रहे हैं बिना किसी भेदभाव के। लेकिन विपक्षी दलों की राज्यों में सरकारें मोदी को बस पैसे के लिए याद करती है, जब उन्होंने अपने अपने राज्यों को कंगाल कर दिया है। अभी सुना है ममता बनर्जी भी मोदी से मिलने आना चाहती है क्योंकि उसे भी पैसा चाहिए। ममता को सुप्रीम कोर्ट ने लट्ठ मारा है कि राज्य सरकार के कर्मचारियों को 11 हजार करोड़ रुपया DA का दो और वो देने के लिए उसके पास है नहीं, उसे अगर मोदी पैसा नहीं देंगे तो मोदी को सरकारी कर्मचारियों में बदनाम करेगी कि आपको DA देने के लिए मोदी पैसा नहीं दे रहा।
आज की सौगात से भी अगर कश्मीरी संतुष्ट नहीं होते तो यह उनके लिए शर्म की बात है। लेकिन मोदी ने इतिहास में भारत का गौरव बढ़ा दिया और विश्व को भी बता दिया कि भारतीय कंपनियों, उनके Engineers और उनकी तकनीक की क्या वैल्यू है।
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