‘ब्रिटेन नरक बन गया है, यह मुझे नॉर्वे की याद दिला रहा है’: क्यों 2900 करोड़ रूपए का घर बेचकर देश छोड़ रहे अरबपति जॉन फ्रेडरिकसन? 300 साल पुराना है ‘द ओल्ड रेक्टोरी’

            दिग्‍गज अरबपति जॉन फ्रेडरिकसन बेच रहे करीब 2900 करोड़ का घर (फोटो साभार: द इंडियन एक्सप्रेस)
जॉन फ्रेडरिकसन ने लंदन स्थित अपना आलीशान घर ‘द ओल्ड रेक्टोरी’ बेचने का फैसला किया है। वे ब्रिटेन के सबसे धनी व्यक्तियों में से एक हैं। उनका कहना है कि ब्रिटेन अब ‘नरक’ बन गया है। उनके घर की कीमत लगभग 2900 करोड़ रुपए बताई जा रही है।

जानकारी के अनुसार, जॉन फ्रेडरिक्स का 300 साल पुराना घर ‘द ओल्ड रेक्टोरी’ ब्रिटेन के सबसे महँगे घरों में से एक माना जाता है। फ्रेडरिकसन जहाजों के एक बड़े कारोबारी और ब्रिटेन के नौवें सबसे अमीर व्यक्ति हैं। वह ब्रिटेन को नरक बताकर अब दुबई चले गए हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, ‘द ओल्ड रेक्टोरी’ घर की कीमत लगभग 33.7 करोड़ डॉलर (करीब 2900 करोड़ रुपए) है। यह घर 30,000 वर्ग फीट में बना हुआ है। इसमें कुल 10 बेडरूम हैं। इसके अंदर बड़ा बगीचा भी है, जो करीब दो एकड़ में बना हुआ है।

यह बकिंघम पैलेस के बाद ब्रिटेन का तीसरा सबसे बड़ा निजी घर है। 81 साल के फ्रेडरिकसन ने 2001 में यह प्रॉपर्टी खरीदी थी। तब से वह यही रहते थे। हालाँकि अब उन्होंने घर को बेचने की घोषणा करते हुए यूएई में शिफ्ट होने का फैसला किया है।

फ्रेडरिकसन ने कहा, “ब्रिटेन नरक बन गया है। यह मुझे नॉर्वे की याद दिला रहा है। मैं नॉर्वे से जितना हो सके, बचने की कोशिश करता हूँ।” बता दें कि फ्रेडरिकसन का जन्म नार्वे में हुआ था। इससे पहले फ्रेडरिक्सन ने इस साल की शुरुआत में अपनी शिपिंग फर्म, सीटैंकर्स मैनेजमेंट का लंदन स्थित मुख्यालय भी बंद कर दिया था।

Henley & Partners की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2025 में करीब 16,500 करोड़पति यूके छोड़ने वाले हैं। यह संख्या किसी भी अन्य अमीर देश की तुलना में काफी ज्यादा है। यूके भले ही अभी भी दुनिया में पाँचवाँ सबसे बड़ा करोड़पतियों का गढ़ है, लेकिन बीते दस सालों में ये टॉप 10 अमीर देशों में अकेला ऐसा देश है जहाँ अमीर लोगों की संख्या घट रही है।

इसका बड़ा कारण है टैक्स नीतियों में हुए हालिया बदलाव, जिसके तहत अब अपनी संपत्ति पर ज्यादा टैक्स देना होगा। इसके तहत प्राइवेट स्कूल की फीस पर 15% VAT भी लगने वाला है। इन सब कारणों से यूके के कई करोड़पति अब दूसरे देशों का रुख कर रहे हैं, क्योंकि ब्रिटेन की अपेक्षा किसी अन्य देश में उन्हें टैक्स का बोझ कम और फायदे ज्यादा नजर आ रहे हैं।

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