डॉ सुब्रमणियम स्वामी के 2012 का सोनिया गांधी, राहुल गांधी और अन्य के खिलाफ दायर आपराधिक केस आज 13 साल बाद भी लटका हुआ है और ट्रायल पर हाई कोर्ट ने स्टे लगाया हुआ है।
डॉ स्वामी ने ट्रायल कोर्ट में इस केस में अन्य Evidence देने की अनुमति मांगी थी जिसे ट्रायल कोर्ट ने 11 फरवरी, 2021 को मना कर दिया। उसके खिलाफ डॉ स्वामी दिल्ली हाई कोर्ट चले गए लेकिन वहां मामला लटकता रहा। दिल्ली हाई कोर्ट की जस्टिस नीना कृष्णा बंसल ने 22 जुलाई, 2024 को डॉ स्वामी, सोनिया गांधी और राहुल गांधी को अपनी दलीलों पर लिखित नोट 2 हफ्ते में देने को कहा और यह भी आदेश दिया कि इसके बाद यदि लिखित नोट दाखिल किए गए तो 15000 रुपए जुर्माना लगेगा। केस की अगली तारीख 29 अक्टूबर तय कर दी गई।
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वो लिखित नोट अभी तक दाखिल नहीं किए गए है। 29 अक्टूबर को क्या हुआ पता नहीं लेकिन कोर्ट ने 27 फरवरी, 2025 को ट्रायल कोर्ट में चल रहे केस पर स्टे और बढ़ा दिया। डॉ स्वामी और सोनिया/राहुल ने लिखित नोट दाखिल करने के लिए और समय मांगा। हाई कोर्ट के जस्टिस विकास महाजन ने केस की तारीख 28 जुलाई, 2025 के लिए तय कर दी।
हाई कोर्ट ने 22 फरवरी, 2021 को डॉ स्वामी की याचिका पर नोटिस जारी कर सुमन दुबे, ऑस्कर फर्नांडेस (अब मर चुके हैं), सैम पित्रोडा (जो अमेरिका भाग चुके हैं) और Young Indian से भी जवाब मांगा था, आरोपियों में एक मोतीलाल वोरा भी थे और उनकी भी अब मौत हो चुकी है। और ट्रायल कोर्ट में चल रहे केस पर अगले आदेश तक स्टे लगा दिया जिसे 27 फरवरी, 2025 को और आगे बढ़ा दिया।
ये तो एक तमाशा हो गया कि 4 साल बाद भी केस वहीँ खड़ा है जहां से शुरू हुआ था। हाई कोर्ट के 22 जुलाई, 2024 के आदेश के क्या मायने रह गए? मतलब ट्रायल कोर्ट में न डॉ स्वामी Evidence दे सकेंगे और न केस का ट्रायल शुरू होगा। लेकिन प्रश्न यह भी है कि सोनिया और राहुल का लिखित नोट न जमा करना तो समझ आता है परंतु डॉ स्वामी ने वह लिखित नोट अब तक दाखिल क्यों नहीं किया, यह समझ से परे है।
न्यायपालिका की लेटलतीफी ही जिम्मेदार है अपराध बढ़ने के लिए। अभियुक्तों को पता होता है कि 15-20 साल तक केस का फैसला नहीं होना और इसकी आड़ में वे मौज करते हैं।
अभी भी अगर हाई कोर्ट का निर्णय डॉ स्वामी के पक्ष में या विरोध में आता है तो दूसरे पक्ष के पास सुप्रीम कोर्ट जाने का मार्ग खुला होगा जहां और 2-4 साल लग सकते हैं।
दिल्ली हाई कोर्ट अभी 2G में A Raja और अन्य को ट्रायल कोर्ट द्वारा बरी करने के खिलाफ ED/CBI की अपीलों को 2018 से लिए बैठा है। सात साल से केस एक कदम भीं नहीं चला है। लालू यादव की अपीलें तो झारखंड हाई कोर्ट वर्षों से लिए बैठा है जिनमे एक अपील तो 2013 की है और लालू यादव हर केस में जमानत पर मौज कर रहा है जबकि उसे 32 साल की सजा हो रखी है।
न्यायपालिका ने भ्रष्टाचारियों को मौज देकर देश का सर्वनाश किया हुआ है।
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