सोशल मीडिया पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियां पढ़ कर मैं कह सकता हूं कि मैं कोई असभ्य भाषा का प्रयोग नहीं करता, बस सकारात्मक आलोचना करता हूँ।
एक साथ सुप्रीम कोर्ट की तीन बैचों में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अलग अलग सुनवाई हो रही हैं। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने हास्य कलाकारों और पॉडकास्टर से संबंधित याचिका सुनते हुए कहा कि ऑनलाइन सामग्री को रेगुलेट करने की बात कही और सरकार से नियम बनाने को कहा।
![]() |
लेखक चर्चित YouTuber |
वजाहत खान की असभय शब्दावली हिंदू देवी देवताओं के लिए देखकर भी माननीय जज उसे गिरफ़्तारी से संरक्षण देते जा रहे हैं तो यह ताज्जुब की बात है।
तीसरी बेंच में जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस अरविंद कुमार की पीठ ने कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय के मोदी और RSS पर बनाए गए अपमानजनक कार्टून पर सुनवाई करते हुए कहा कि
“हद है, लोग किसी को भी, कुछ भी कह देते हैं”। एक दिन पहले पीठ ने कार्टून को आपत्तिजनक और अनुचित बताते हुए इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरुपयोग बताया और इस तरह का कार्टून बनाने पर सवाल उठाया। कोर्ट ने मालवीय को पूछा था कि क्या आप कार्टून वापस लेंगे और उसकी वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा हम कार्टून वापस लेने के लिए तैयार हैं।
यह कार्टून मालवीय ने 2021 में पोस्ट किया था और बहुत लोगों ने circulate किया था। और मई, 2025 में किसी वकील की शिकायत पर केस दर्ज हुआ और मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने 3 जुलाई को उसे अग्रिम जमानत देने से मना कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट में मालवीय का केस लेकर वकील वृंदा ग्रोवर पहुंची थी। मोदी सरकार की घोर विरोधी वृंदा ग्रोवर और मालवीय को देख कर लगता है जैसे कोई गिरोह काम कर रहा है।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियां देखते हुए साफ़ नज़र आता है कि उसकी नज़र में प्रथम दृष्टया हेमंत मालवीय अपराधी है। सुप्रीम कोर्ट और मालवीय की वकील वृंदा ग्रोवर का कार्टून वापस लेने का नजरिया एक बेहूदा मजाक लगता है क्योंकि जो नुकसान कार्टून ने करना था, वो तो उसने 4 साल में कर दिया।
लेकिन फिर भी पीठ ने मालवीय को अंतरिम अग्रिम जमानत दे दी जो समझ से परे है।
पीठ ने कहा कि -”If Malviya continued to share offensive posts, the Madhya Pradesh government was free to take action against him”.
मतलब यह बात भविष्य की Posts के लिए कही गई लेकिन वर्तमान केस की सुनवाई और कार्रवाई करने के लिए भी तो कोई समय सीमा तय होनी चाहिए थी।
वैसे एक बात सुप्रीम कोर्ट की तीनों पीठों को याद दिला दूं कि अनेक मामले हैं जिनमें स्वयं सुप्रीम कोर्ट का आचरण अलग अलग दिखाई देता है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सबसे ज्यादा फायदा राहुल गांधी उठा रहा है। सावरकर का अपमान सुप्रीम कोर्ट ने भी माना लेकिन उसका केस स्टे कर दिया। कांग्रेस के लोग मोदी को 100 से ज्यादा गाली दे चुके है अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर। और सुप्रीम कोर्ट ने पूरे मोदी समुदाय को चोर कहने पर सजा होने पर भी छोड़ दिया।
No comments:
Post a Comment