हिंदू मुस्लिम “भाईचारे” की बात करने वाले पहले “मुस्लिम मुस्लिम” “भाईचारा” तो बना लें; सोनिया गांधी ईरान के लिए टसुए बहा रही थी तो अफगानिस्तान के लिए खामोश क्यों है?

सुभाष चन्द्र

अगर ईरान, गाज़ा और फिलिस्तीन के पक्ष में कांग्रेस और इसकी समर्थक पार्टियां के बोलने पर कोई मुसलमान यह न समझे कि ये सब हमारे शुभचिंतक है। अगर समझते हो तो तुम बड़ा महामूर्ख और महापागल दुनिया के परदे पर नहीं मिलेगा। चीन में मुसलमानों की क्या दुर्दशा है इनमे किसी का मुंह आज तक नहीं खुला। दूसरे, भारत में ही जितने हिन्दू-मुस्लिम दंगे कांग्रेस राज में हुए और हज़ारों में मुसलमानों का मौत हुई, किसी बीजेपी राज में नहीं। गुजरात 2002 दंगों के लिए नरेंद्र मोदी को गाली देने वालों मुसलमानों को मुस्लिम कट्टरपंथियों और इन सभी पार्टियों से पूछना चाहिए कि मोदी से पहले हुए गुजरात में दंगों में कितने मुसलमानों को जान से हाथ धोना पड़ा था। ये मुस्लिम कट्टरपंथी और दोगले सेक्युलर ही मुसलमानों के असली दुश्मन हैं और इस कड़वी सच्चाई को मुसलमान आज नहीं तीन/चार साल के बाद समझना शुरू करेगा। कश्मीर घाटी में जब हिन्दुओं का नरसंहार और हिन्दू महिलाओं का बलात्कार होने पर किसी पाखंडी सेक्युलर की आवाज़ तक नहीं निकली, क्यों?      

भारत में एक गाना हर समय सेकुलर जमात से सुनने को मिलता है- “गंगा जमुनी तहजीब होनी चाहिए और हिंदू मुस्लिम भाईचारा होना चाहिए” पिछले दिनों ईरान इज़रायल युद्ध के समय सोनिया गांधी बहुत परेशान थी कि ईरान की सुरक्षा के लिए मोदी सरकार कुछ क्यों नहीं बोल रही और प्रियंका वाड्रा फिलिस्तीन का बैग उठाए उसका नहीं एक तरह हमास का समर्थन करती है। इस ढोंगी प्रियंका को नहीं मालूम कि कोई मुस्लिम मुल्क फिलिस्तीनों और रोहिंग्यों को अपने मुल्क में रखने को किसी भी कीमत पर तैयार नहीं। 

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लेकिन सोनिया गांधी और सभी सेकुलर कीड़ों को कभी इज़रायल पर हमास के हमले से दर्द नहीं हुआ जो आज ईरान और गाज़ा के लिए टसुए बहा रहे हैं उन्हें कभी बांग्लादेश में हिंदुओं के नरसंहार से भी कोई परेशानी नहीं हुई 

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लेकिन ये लोग पहले मुस्लिम-मुस्लिम भाईचारा तो स्थापित करने की कोशिश करें। अनेक इस्लामिक देशों में मुस्लिम ही मुस्लिमों का दमन और हत्या कर रहे हैं 

कल ही खबर थी कि सीरिया में सांप्रदायिक दंगों में 50 लोग मारे गए और 150 घायल हो गए वो दंगे आपस में मुस्लिम गुटों में ही हो रहे हैं। ड्रूज़ मिलिशिया अहमद अल-शरा के खिलाफ मोर्चा  खोले हुए हैं जबकि ट्रंप उससे साथ दोस्ती का हाथ बढ़ा चुका है फिर भी आज इज़रायल ने सीरिया सेना के मुख्यालय पर जबरदस्त हमला कर दिया 

उधर ईरान ने मार्च में ऐलान किया था कि अवैध रूप से रह रहे अफगान प्रवासी 6 जुलाई तक ईरान छोड़ दे वरना जबरन निकाला जाएगा लेकिन युद्धविराम होने के बाद 24 जून से 9 जुलाई तक ईरान ने 5 लाख अफगान प्रवासियों को देश से निकाल दिया ईरान में लगभग 40 लाख अफ़ग़ानिस्तानी प्रवासी/रिफ्यूजी रह रहे हैं यानी निकालने वाले भी मुस्लिम और निकाले जाने वाले अफगानी भी मुस्लिम फिर कहां है “भाईचारा”?

उधर पाकिस्तान ने अक्टूबर, 2023 में हुकुम जारी किया था कि जो भी अफगानी वीसा ख़त्म होने के एक साल बाद तक रह रहा है, वह खुद पाकिस्तान छोड़ दे वरना जबरन भेजा जायेगा पाकिस्तान में एक अनुमान के अनुसार 38 लाख अफगानी रह रहे है लेकिन पाकिस्तान के अनुसार उनकी संख्या 44 लाख है 

पाकिस्तान ने जनवरी, 2025 तक 8,13,300 अफगानियों को बाहर निकाल दिया यहां भी निकालने वाले मुस्लिम और निकाले जाने वाले अफगानी भी मुस्लिम जबकि तालिबान शासन को लाने के लिए पाकिस्तान ने जोर लगा दिया जिससे वह उसके इशारों पर नृत्य कर सके लेकिन तालिबान तो आज पाकिस्तान का भी बाप बन गया है अब बताओ, कहां है मुस्लिम मुस्लिम “भाईचारा” और यहां भारत में हिंदू मुस्लिम भाईचारे के लिए गला फाड़ते फिरते हो 

ईरान और पाकिस्तान में अवैध अफगानियों को निकालने का कोई विरोध नहीं है लेकिन भारत में रह रहे अवैध बांग्लादेशी और रोहिंग्या को निकालने पर सेकुलर जमात छातियां पीट लेती है। उन घुसपैठियों को सारी सुविधाएं देकर अपना वोटर जो बना रखा है

अफगानियों को ईरान और पाकिस्तान से निकाले जाने को देखकर भारत के लोगों को समझना चाहिए कि बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुसलमानों को निकालना कितना जरूरी है आंख में एक तिनका अटक जाए तो आंख सहन नहीं करती क्योंकि उसके लिए वो एक Foreign Element है लेकिन भारत ऐसे करोड़ों Foreign Elements को सहन कर रहा है

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