क्या अदालत निर्णय देने में अपनी अज्ञानता जगजाहिर कर रही है? पूणे MP/MLA कोर्ट राहुल गांधी को बचा गया; राहुल को जो मर्जी आरोप लगाने की अनुमति दे दी चाहे उसका कोई आधार हो या न हो

सुभाष चन्द्र 
एक कहावत है "you show me the man I will show you the rules" को यदाकदा अदालतें सच साबित करती रहती हैं। हमारे देश में दो ऐसे नेता राहुल गाँधी और अरविन्द केजरीवाल हैं जो "Hit & run" पर चलते कुछ भी बकवास करते हैं और मुकदमा होने पर अदालतें फैसला देते अपनी अज्ञानता ही नहीं गुलामी मानसिकता का भी परिचय देती हैं और मुख्य न्यायाधीश भी चुप्पी साध लेते हैं। जो भारतीय न्याय प्रणाली के पर इतना गंभीर प्रश्नचिन्ह लगा रहे है। जिसको दूर करने शायद चित्रगुप्त जी महाराज और शनिदेव आदि न्यायधीशों को धरती पर पदापर्ण करना होगा। किसी विदेश में किसी स्वतंत्रता सेनानी को आरोपित करने पर कोई अदालत ऐसे तर्कहीन निर्णय नहीं दे सकती जिस तरह हमारी अदालतें दे रही है। हाँ, अगर किसी आम नागरिक ने ऐसी बात बोली होती ये ही अदालतें और वकील एक से बढ़कर एक कठोर कानून उस पर थोप देते।  

जुलाई 3 को पूणे कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 20(3) का सहारा लेकर सावरकर की मानहानि करने के आरोप में राहुल गांधी को बचा लिया।

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राहुल गांधी ने लंदन में 2023 में एक पुस्तक के हवाले से वीर सावरकर के बयान का उल्लेख करते हुए उनके विरुद्ध अपमानजनक टिप्पणी की थी। वीर सावरकर के Grand Nephew सात्यकि सावरकर ने राहुल गांधी पर मानहानि का मुकदमा दायर किया था और कोर्ट में मांग की थी कि जिस पुस्तक से राहुल गांधी ने सावरकर के बयान का उल्लेख किया था, उसे वह पुस्तक कोर्ट में जमा करके के आदेश दिए जाएं। क्या इतनी भी मांग शिकायतकर्ता नहीं कर सकता क्योंकि सात्यकि के अनुसार सावरकर ने ऐसा कोई बयान किसी पुस्तक में दिया ही नहीं था

लेकिन येन केन प्रकारेण MP/MLA कोर्ट के Judicial Magistrate First Class अमोल शिंदे ने कहा कि राहुल गांधी को वह पुस्तक कोर्ट में पेश करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता जिसका उल्लेख उसने अपने भाषण में किया था

अमोल शिंदे ने कहा -

““The accused cannot be compelled to produce the document/book sought by the complainant. As per Article 20(3) of the Constitution of India, "No person accused of any offence shall be compelled to be a witness against himself." Therefore, this Court is of the opinion that an order cannot be passed directing the accused to file the incriminating documents,” 

यह अनुच्छेद 20 (3) आगे कहता है कि -

“This fundamental right protects individuals from being forced to incriminate themselves during legal proceedings. It ensures that an accused person cannot be compelled to give evidence or testimony that could be used against them in a criminal case.”

अगर अभियुक्त को वह डॉक्यूमेंट में पेश करने के लिए नहीं कह सकते जिसके आधार पर वह आरोप लगा रहा है तो फिर कोर्ट कैसे निर्णय करेगा कि राहुल गांधी ने सावरकर की मानहानि की थी या नहीं और फिर इसका मतलब तो यह भी निकलता है कि राहुल गांधी को कोर्ट ने जो मर्जी आरोप लगाने की छूट दे दी चाहे उसका कोई आधार ही न हो 

अभियुक्त को आरोप लगाते हुए यह ध्यान में रखना चाहिए कि उसका बयान उसके विरुद्ध जा सकता है राहुल गांधी को किसी ने उसके विरुद्ध गवाही देने के लिए नहीं कहा, केवल वह पुस्तक मांगी गई जिसके आधार पर उसने बयान दिया पुस्तक तो पेश होने देते, उसके बाद कोर्ट निर्णय करता कि उस पुस्तक के आधार पर राहुल गांधी का बयान सावरकर के लिए अपमानजनक है या नहीं

लेकिन अमोल शिंदे ने तो राहुल गांधी को एक तरह बरी ही कर दिया ऐसे निर्णय का परिणाम बड़ा भयावह हो सकता है पहले ही राहुल गांधी और अन्य नेता आधारहीन बयान देकर बड़े बड़े स्वतंत्रता सेनानियों, प्रधानमंत्री, अडानी, अंबानी, हिंदू धर्म और सनातन का अपमान कर रहे हैं तो क्या सभी को बरी करने का अमोल शिंदे ने मार्ग खोल दिया?

अनुच्छेद 20(3) की निष्पक्ष विवेचना होनी चाहिए राजनीति करने वाले लोग इसका उपयोग राजनीति को दूषित करने के लिए खुलकर करेंगे केजरीवाल के लिए भी जस्टिस भुइया ने कहा था कि उसको अपने ही खिलाफ गवाही देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता जबकि वह अपने मोबाइल फ़ोन तक दबा कर बैठ गया था पहले केजरीवाल विधानसभा में आरोप लगाता था कि मोदी ने अडानी को 20 हजार करोड़ दिए हैं, अब वह खुले में ऐसे आरोप लगा सकता है

मतलब अभियुक्तों को खुली छूट है कि वे अपराध करें और ट्रायल कोर्ट में उनका बयान भी दर्ज नहीं होना चाहिए न्यायपालिका की छवि इसलिए ही रसातल में चली गई है

अब बिना किसी कारण सात्यकि सावरकर को हाई कोर्ट जाना पड़ेगा और हो सकता है फिर सुप्रीम कोर्ट भी जाना पड़े तब तक मामला 10 साल और चलता रहेगा न्यायपालिका समाज का सर्वनाश करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही 

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