जिस तरह नितरोज राहुल गाँधी के कारनामे सामने आ रहे हैं, उन्हें देख शंका होती है कि राहुल LoP है या. ...? स्वतंत्रता दिवस पर लाल किला नहीं पहुँचते, अभी उपराष्ट्रपति शपथ समारोह में नहीं पहुंचना आदि घटनाएं इनके LoP होने पर शंका व्यक्त होती है। मुसीबत यह है कि कांग्रेस प्रवक्ता और समर्थक बचाव में कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा वाली बकवास करते नज़र आते हैं। INDI गठबंधन में शामिल सभी पार्टियों को राहुल और कांग्रेस के बचाव में खड़ा होने की बजाए पार्टी हित में कांग्रेस से पल्ला झाड़ लेना चाहिए। वरना कांग्रेस अपने साथ-साथ तुम सबको ले डूबेगी।
INDI गठबंधन के कंधे पर बैठ कांग्रेस अपनी पहचान बनाए हुए है, जिस दिन कांग्रेस का गठबंधन से अलग कर दिया कांग्रेस किसी गिनती में नज़र नहीं आने वाली। आखिर अरविन्द केजरीवाल ने भी अपनी पहचान बनाए रखने के लिए कांग्रेस को tanterhook पर रखे रहते हैं। सियासत केजरीवाल से सीखो। कांग्रेस का पिछलग्गू बन गठबंधन में शामिल सभी पार्टियां अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार रही हैं। यह आरोप नहीं वो कड़वा सच है जिस पर सभी पार्टियों को आत्मचिंतन की जरुरत है।
जो नेता भारत में बांग्लादेश, नेपाल या फ्रांस बनाने के स्वप्न देख रहे है उनके लिए यही कहा जा सकता है कि मुंगेरीलाल के सपने देखने में नुकसान नहीं। लेकिन सांसद निशिकांत दुबे ने जो News18 पर कहा है वह अप्रत्यक्ष रूप से विपक्ष को चेतावनी भी है।
कांग्रेस नेता राहुल गाँधी ने चुनाव आयोग (ECI) को बदनाम करने के लिए ‘वोट चोरी’ की साजिश का प्रपंच रचा। इसके लिए बकायदा कागज भी सामने लेकर आए । लेकिन वे अब खुद सवालों के घेरे में आ गए हैं। बुधवार (10 सितंबर 2025) को यह खुलासा हुआ कि राहुल गाँधी ने इस साल 7 अगस्त 2025 को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जिन दस्तावेजों से ‘वोट चोरी’ को साबित करने की कोशिश की थी, वह असल में म्यांमार में तैयार किया गया था।
यह खुलासा सबसे पहले एक्स हैंडल ‘खुरपेंच’ ने किया। 7 पोस्ट की एक थ्रेड में इस अकाउंट ने ठोस सबूतों के साथ दावा किया कि राहुल गाँधी का ‘वोट चोरी’ वाला दस्तावेज भारत के बाहर बनाया गया था।
🚨खुरपेंची ख़ुलासा:
— खुरपेंच (@khurpenchh) September 10, 2025
7 अगस्त,2025 को विपक्ष के नेता माननीय राहुल गांधी जी द्वारा वोट चोरी पर एक प्रेस कॉन्फ्रेस की गई,
जो कि पूरे देश में चर्चा का विषय बनी, जिसमे देश के बड़े बड़े सोशल मीडिया इन्फ़्लुएंसर्स ने बढ़चढ़कर हिस्सा लिया।
लेकिन जब खुरपेंच टीम ने इसकी तहक़ीक़ात की तो… pic.twitter.com/J3w4JicLkz
कांग्रेस नेता राहुल गाँधी ने इस दस्तावेज को अपनी वेबसाइट पर साझा किया था, जिसे ‘वोट चोरी प्रूफ’ नाम के टेक्स्ट से हाइपरलिंक किया गया था। गूगल ड्राइव के एक फोल्डर में कुल 3 PDF फाइलें मिलीं, जिसका नाम था, ‘Rahul Gandhi’s Presentation’। इन फाइलों में अंग्रेजी, हिंदी और कन्नड़ भाषा में वही दस्तावेज मौजूद थे, जिन्हें कांग्रेस नेता ने 7 अगस्त की अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिखाया था।
एक्स हैंडल ‘खुरपेंच’ ने इन फाइलों का मेटाडाटा खंगाला। जानकारी के लिए बता दें कि मेटाडाटा किसी भी फाइल की वह जानकारी होती है, जो उसकी सामग्री से अलग होती है।
मेटाडाटा में लेखक का नाम, फाइल बनने की तारीख, समय और साइज जैसी जानकारियाँ होती हैं। इसकी मदद से किसी फाइल को इस्तेमाल करना, ढूँढना और व्यवस्थित करना आसान हो जाता है।
क्या है मेटाडाटा
मेटाडाटा को ‘डेटा के बारे में डेटा’ कहा जाता है। यह एक महत्वपूर्ण संदर्भ परत है, जो रॉ डाटा को मीनिंगफूल ढाँचे में लाता है और उसको इस्तेमाल करने लायक बनाता है। मेटाडाटा डेटा और उसके इस्तेमाल के बीच पुल का काम करता है, ताकि ये यूजर और सिस्टम दोनों जानकारी को सही तरीके से समझ सके और उपयोग कर सके।
चाहे किसी दस्तावेज के लेखक की पहचान करनी हो, डेटाबेस के फ़ील्ड की संरचना तय करनी हो या किसी फोटो में स्थान से जुड़ा टैग जोड़ना हो, मेटाडाटा वह ढाँचा देता है जो बिखरे हुए डेटा को उपयोगी जानकारी में बदल देता है।
खुरपेंच टीम ने pdf का metadata निकाला,
— खुरपेंच (@khurpenchh) September 10, 2025
जिसमे यह पाया यह तीनों भाषाओं की PDF में Create Date में “Myanmar” का timezone +6:30 पाया गया।
जो कि English pdf : 29 सेकेंड
Hindi pdf : 31 सेकेंड
Kannada pdf : 37 सेकेंड के अंतराल पे की गईं। pic.twitter.com/5Niv4HmmXW
अपनी जाँच में ‘खुरपेंच’ ने पाया कि राहुल गाँधी की प्रेजेंटेशन के तीनों वर्ज़न म्यांमार स्टैंडर्ड टाइम (MMT) में बनाई गई हैं। MMT म्यांमार का टाइम जोन है, जो कॉर्डिनेटेड यूनिवर्सल टाइम (UTC) से 6 घंटे 30 मिनट आगे है। तुलना के लिए बता दें कि भारतीय मानक समय (IST) UTC से 5 घंटे 30 मिनट आगे है।
भारत में बनी PDF फाइलों में हमेशा UTC +5:30 का समय दिखेगा, न कि +6:30। लेकिन कांग्रेस नेता के ‘वोट चोरी’ दस्तावेज के मेटाडाटा से साफ है कि ये फाइलें म्यांमार टाइम जोन में बनी हैं।
‘खुरपेंच’ ने यह भी बताया कि वीपीएन (Virtual Private Network) का इस्तेमाल करने या गूगल ड्राइव से फाइल शेयर करने पर भी PDF फाइल का एम्बेडेड मेटाडाटा नहीं बदलता।
PDFs गूगल ड्राइव के लिंक के माध्यम से शेयर की गई हैं जिससे pdf के Metadata पे कोई फरक नहीं पड़ता है। pic.twitter.com/7zkM6CiHnf
— खुरपेंच (@khurpenchh) September 10, 2025
इस खुलासे से कांग्रेस खेमे में हलचल मच गई। आरोपों का जवाब देने के लिए कांग्रेस की IT सेल के ट्रोल और समर्थक एक्स पर सक्रिय हो गए। खुरपेंच के दावों को कांग्रेस नेता और समर्थक नकारने में लग गए। गुरुवार (11 सितंबर 2025) को कांग्रेस की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने राहुल गाँधी की सफाई में चैट जीपीटी की मदद लेने की कोशिश की, लेकिन इसका ज्यादा असर नहीं हुआ।
उन्होंने दावा किया कि टाइमजोन में गड़बड़ी किसी सॉफ्टवेयर कॉन्फ़िगरेशन की समस्या या फिर एडोबी बग के कारण हुई है। सुप्रिया श्रीनेत ने कहा, “यह एक घंटे का फर्क किसी स्थान परिवर्तन का सबूत नहीं है, बल्कि यह आम तकनीकी गड़बड़ी है। एडोबी प्रोडक्ट्स में अक्सर टाइमस्टैम्प से जुड़ी ऐसी दिक्कतें आती हैं, जहाँ मेटाडाटा फील्ड्स में ऑफसेट मेल नहीं खाता।”
➡️ Since the 2 rupee trolls and the dumb IT cell are spreading lies about the "Vote Chori" presentation made by Rahul Gandhi on August 7th - it’s important to counter their misinformation and expose how truly dumb they are!
— Supriya Shrinate (@SupriyaShrinate) September 11, 2025
▪️The document, based on the EXIF data for the English…
इसके जवाब में ‘खुरपेंच’ ने बताया कि एडोबी किसी भी बग को तुरंत पहचानकर ठीक कर देता है। उसने साफ किया कि कौन-सा सॉफ्टवेयर वर्ज़न इस्तेमाल हुआ और पूछा कि आखिर कौन-सा बग था जिसने IST को बदलकर MMT दिखा दिया।
उसने यह भी बताया कि यह पीडीएफ एडोबी इलस्ट्रेटर (Adobe Illustrator) से बनाई गई थी, इसलिए इसकी तुलना दूसरे एडोबी प्रोडक्ट्स जैसे लाइटरूम (Lightroom) या ब्रिज (Bridge) से करना बिल्कुल गलत है।
जब कांग्रेस समर्थित कुछ ट्रोल्स ने ‘लाइटरूम में टाइमज़ोन बग’ का मामला उठाया, तो ‘खुरपेंच’ ने साफ किया कि यह बग 14 साल पहले ही ठीक कर दिया गया था और एडोबी इलस्ट्रेटर (जिससे राहुल गाँधी का ‘वोट चोरी’ दस्तावेज बना) में ऐसा कोई बग था ही नहीं।
इसके बाद से सुप्रिया श्रीनेत और राहुल गाँधी ने अब तक इन गंभीर आरोपों पर कोई जवाब नहीं दिया है।
Adobe किसी Party का IT cell नहीं है की उसमे bug आएगा और वो मुंह में खैनी दबाए हुए मुंगेरी लाल के सपने देखते सोता रहेगा,
— खुरपेंच (@khurpenchh) September 11, 2025
Adobe कंपनी bug जैसी चीज़ें तुरंत address करती है और उसे तुरंत फिक्स करती हैं।
जिन दो अलग अलग Laptop में ये pdf बनके तैयार हुई हैं वो adobe के 29.1 और 29.7…
कांग्रेस के अलावा वामपंथी और प्रोपेेगेंडा जर्नलिस्ट और मीडिया ने भी खुरपेंच के खिलाफ ‘फैक्टचेक’ का खेल शुरू किया। आल्टन्यूज के जुबैर और अभिषेक ने अडोबी इलस्ट्रेटर के जरिए ये बताने की कोशिश की कि राहुल गाँधी के दस्तावेज सही हैं और म्यांमार में बनाए जाने के दावे गलत।
यह ध्यान देना जरूरी है कि राहुल गाँधी का राजनीतिक करियर विदेशी शक्तियों की संलिप्तता को लेकर लगातार विवादों में घिरा रहा है। चाहे कांग्रेस का चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के साथ समझौता (MoU) करना हो या फिर राहुल गाँधी की रहस्यमयी विदेशी यात्राएँ, उनकी राजनीतिक गतिविधियाँ हमेशा देश की नजरों में रही हैं।
विदेशी अधिकारियों से गुप्त मुलाकातें, कजाकिस्तान, रूस और इंडोनेशिया से चलाए गए बॉट्स के जरिए सोशल मीडिया पर असर डालने वाले कैंपेन इन सबने कांग्रेस पार्टी के प्रति जनता का शक और गहरा कर दिया है।
इसके अलावा भारत के दुश्मन माने जाने वाले देश तुर्की में कांग्रेस के दफ्तर खोलने की योजना, संदिग्ध सोशल मीडिया गतिविधियाँ और बिना किसी सबूत के बार-बार भारत की चुनावी प्रणाली पर सवाल खड़े करना वाकई चिंताजनक है।
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