पाकिस्तानपरस्त भाजपा और मोदी विरोधी INDI गठबंधन और इसके समर्थक इस गलत फहमी में रहते हैं कि जो हम बोलेंगे जनता उस पर विश्वास कर लेगी। लेकिन हो रहा एकदम विपरीत। आतंकवाद के विरुद्ध होती पाकिस्तान के खिलाफ कार्यवाही पर इन सबके पेट में मरोड़ होने लगती है। अगर इन लोगों को पाकिस्तान से इतना ही लगाव है तो वहां जाकर क्यों नहीं रहने लगते।
वैसे तो आधिकारिक रूप से नेहा सिंह राठौर किसी दल से जुड़ी हुई नहीं है लेकिन भाजपा और मोदी विरोध में जरूर पगलाई हुई है और उसे विपक्षी दलों का खासकर कांग्रेस और सपा का समर्थन भी रहता है।
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| लेखक चर्चित YouTuber |
नेहा सिंह ने मोदी और भाजपा के खिलाफ ट्वीट करते हुए सोचने की जरूरत नहीं समझी कि उसकी भाषा देश की संप्रभुता और साम्प्रदायिक एकता को चुनौती देती है। उसने अपने ट्वीट में लिखा कि प्रधानमंत्री मोदी और BJP were exploiting the terror incidents to push war with Pakistan and divert attention issues. एक अन्य ट्वीट में उसने लिखा कि -
“the ruling party wanted to sacrifice soldiers for political gains while another cast doubt on media reports of victims refusing to recite religious verses before being killed. यह सब कांग्रेस सपा और अन्य विपक्षी दलों की भाषा थी।
हाई कोर्ट के जस्टिस राजेश सिंह चौहान और जस्टिस Syed Qamar Hasan Rizvi की पीठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि संविधान का Article 19(1) में right to free speech is not absolute and is subject to reasonable restrictions under article 19(2) और पीठ ने यह भी कहा कि 22 अप्रैल के नरसंहार के तुरंत बाद ट्वीट्स का पोस्ट किया जाना Cognizable Offence प्रतीत होता है जिस पर पुलिस की जांच जरूरी है।
नेहा सिंह के वकील कमल किशोर शर्मा ने उसका बचाव करते हुए कहा कि नेहा के ट्वीट Political Criticism हैं और Right to free speech के दायरे में आते हैं। She has neither incited violence nor has spread false information - उसका मतलब था कि प्रधानमंत्री और भाजपा सैनिकों की राजनीतिक फायदे के लिए बलि दे रहे हैं यह कहना कुछ गलत नहीं था। सबसे बड़ा बचाव वकील ने सुप्रीम कोर्ट के इमरान प्रतापगढ़ी के फैसले को quote करते हुए किया। सुप्रीम कोर्ट को भी तो चुल्ल मची रहती है कि जब भी किसी मुसलमान का केस आए और वकील कपिल सिब्बल हो तो मामला साफ़ हो जाता है और इमरान के खिलाफ भी केस खारिज कर दिया सुप्रीम कोर्ट ने।
अब नेहा सिंह राठौर हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गई लेकिन Justice JK Maheshwari और Justice Vijay Bishnoi की पीठ ने उसकी याचिका खारिज करते हुए उसे ट्रायल भुगतने के लिए कहा और ट्रायल के समय अपने मुद्दे उठाने के लिए कहा। याचिका तो खारिज कर दी सुप्रीम कोर्ट ने लेकिन उसके लिए भविष्य में बचाव की गुंजाईश भी छोड़ दी यह कह कर कि
“It is not interfering in the issue of the charge of mutiny (endangering the sovereignty, unity, and integrity of India. It is not expressing any opinion on the merits of the case. It is merely a rejection of quashing. Go and face trial”.
सुप्रीम कोर्ट को भी पता है ट्रायल में सजा यदि होती है तो जब मामला फिर उनके पास आएगा तो Political Criticism का संदर्भ तो लेना ही पड़ेगा जैसे इमरान प्रतापगढ़ी के लिया। वैसे भी पिछले 11 साल में जितना Article 19(1) में right to free speech की जितनी विवेचना हुई है और दुरूपयोग हुआ है उतना आज़ादी के बाद 65-70 साल में कभी नहीं हुआ। इस आर्टिकल में लोगों को बोलने का नहीं “भौकने” का अधिकार दे दिया और प्रधानमंत्री मोदी उसका सबसे बड़ा लक्ष्य बने हैं।
राहुल गांधी जैसे “बड़बोले” पर तो सजा मिलने के बाद भी गवई साहेब अपने आशीर्वाद का हाथ रख दिया जिसका परिणाम यह हुआ कि वह मोदी, उसकी सरकार तो छोड़िए, देश विदेश में भारत की छवि धूमिल करने में वह अग्रणी रहता है।

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