दो दिन पहले इंदौर में ऑस्ट्रेलिया की महिला क्रिकेट खिलाड़ियों से छेड़छाड़ कर देश पर बदनामी का दाग लगाने वाले कौन थे? अभी हाल ही में राम मंदिर को उड़ाने की साजिश करने वाले 19-20 साल के पकडे गए दो लड़के कौन थे? केरल के मंत्री भास्करन की बेटी को लव जिहाद में फ़साने वाला 4 बच्चों का बाप कौन है? आतंकवाद जैसे अनेक अपराध है जिनके लिए उस कौम के लोग जिम्मेदार मिलते हैं लेकिन बिहार में यह कह कर तमाशा कर दिया कि क्या “दरी बिछाने” वालों को उपमुख्यमंत्री क्यों नहीं बना सकते?
मुस्लिमों ने अपने नेताओं का चश्मा लगा रखा है जो मोदी को हराने के लिए विदेशों से भी आकर वोट देने आते हैं और बांग्लादेश और म्यांमार से रोहिंग्या घुसपैठ किए हुए हैं जिन्हें समूचा विपक्ष समर्थन देता है। विपक्ष की बेशर्मी की हद तो देखो कि बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुसलमानों की तुलना में योगी को उत्तर प्रदेश में “घुसपैठ” करने वाला कह दिया क्योंकि वह उत्तराखंड के जन्मे हैं जो कभी उत्तर प्रदेश का ही हिस्सा था।
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| लेखक चर्चित YouTuber |
आबादी मुसलमानों की बढ़ती गई लेकिन लोकसभा में सदस्यता में बहुत बड़ा अंतर नहीं पड़ा।
पहली लोकसभा से अब तक की 18 लोकसभाओं में मुस्लिमों की संख्या यह रही है
पहली लोकसभा - 21 (1952)
दूसरी लोकसभा - 22 (1957)
तीसरी लोकसभा - 26 (1962)
चौथी लोकसभा - 25 (1967)
पांचवी लोकसभा -28 (1971)
छठी लोकसभा - 34 (1977)
सातवीं लोकसभा -49 (1980)
आठवीं लोकसभा -42 (1984)
नौवीं लोकसभा -27 (1989)
दसवीं लोकसभा -25 (1991)
11वीं लोकसभा -29 (1996)
12 वीं लोकसभा -28 (1998)
13वीं लोकसभा - 31 (1999)
14वीं लोकसभा - 34 (2004)
15वीं लोकसभा - 30 (2009)
16वीं लोकसभा - 22 (2014)
17वीं लोकसभा -27 (2019)
18 वीं लोकसभा -24 (2024)
मुस्लिमों के लिए सच्चर कमेटी का गठन मार्च 2005 में हुआ और डेढ़ साल में 17 नवंबर, 2006 को रिपोर्ट भी आ गई जिसके आधार पर मनमोहन सिंह ने कहा कि देश के संसाधनों पर पहला अधिकार मुसलमानों का है। लेकिन 2006 के बाद हुए लोकसभा के चुनावों में मुस्लिमों की संख्या कम ही होती गई। एक समय था जब जामा मस्जिद का इमाम बुखारी मुस्लिम वोटो का सौदा किया करता था और इंदिरा गांधी समेत गैर भाजपाई सभी दलों के नेता उसके दर पर माथा रगड़ते थे।
एक शोशा बहुत से विपक्षी दलों और अरफ़ा खानम जैसे मुस्लिम पत्रकार उठाते रहते हैं कि भाजपा किसी मुस्लिम को चुनाव में नहीं खड़ा करती और क्यों मोदी की कैबिनेट में कोई मुस्लिम नहीं होता। ऐसे लोग कभी ऐसी बात मुसलमानों से नहीं कहते कि जब तुम मोदी को वोट ही नहीं देते तो वो तुम्हें चुनाव में क्यों खड़ा करे और क्यों मंत्री बनाए लेकिन फिर भी मोदी मुसलमानों को कोई सुविधाएँ देने में कोई भेदभाव नहीं करता।
केंद्र सरकार के कानून को क्या कोई राज्य सरकार खत्म कर सकती है? जम्मू कश्मीर में कहा गया अगर NC/Congress गठबंधन जीता तो 370 वापस ले आएंगे। क्या आ गया 370 वापस जिसके भरोसे लोगों ने इन दोनों दलों को वोट दिया। आखिर मुसलमानों को कब तक पागल बनाकर बीजेपी को दुश्मन बताते रहोगे?
अब बिहार में नौवीं फेल मुख्यमंत्री पद का दावेदार जो कर्पूरी ठाकुर का सम्मानित पद चोरी कर खुद को “जननायक” बता रहा है, वो कह रहा है कि उनकी सरकार बनते ही “वक्फ कानून” को कूड़ेदान में फ़ेंक देंगे। और मुसलमान ताली बजा रहे हैं जबकि राज्य सरकार ऐसा कर ही नहीं सकती।

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