सेना का अपमान करने में सुप्रीम कोर्ट के जज भी राहुल के साथ खड़े हो गए।
अगस्त 4, 2025 को जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस मसीह की पीठ के सामने राहुल गांधी का सेना को अपमानित करने वाले बयान का मामला आया जिसमें उसने दावा किया था कि सेना के जवानों की चीनी सेना ने पिटाई की और भारत की 2000 वर्ग किलोमीटर भूमि चीन ने कब्जे में ले ली। इस पर जस्टिस दीपांकर दत्ता ने फटकार लगाते हुए कहा था कि “अगर आप एक सच्चे भारतीय हो तो ऐसी बात न कहते”। राहुल गांधी पर लखनऊ ट्रायल कोर्ट में चल रहे सेना की मानहानि के केस में जारी किए गए Summon और सुनवाई स्टे करते हुए बेंच ने राहुल गांधी की याचिका पर नोटिस जारी कर दिया।
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| लेखक चर्चित YouTuber |
प्रियंका वाड्रा के सवाल उठाने का अंजाम देखिए कि सुप्रीम कोर्ट में “Bench Fixing” हो गई और दीपांकर दत्ता और जस्टिस एजी मसीह को चीफ जस्टिस गवई ने बेंच से हटा दिया गया और उनकी जगह बिठा दिए गए जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा। केस पहले 20 नवंबर के लिए तय था यानी अगस्त से 4 महीने बाद जो आगे 4 दिसंबर के लिए बढ़ा दिया गया और अब नई बेंच के महान योद्धा जजों ने केस की सुनवाई 22 अप्रैल, 2026 के लिए टाल दी यानी सीधा 5 महीने बाद की तारीख।
राहुल के वकील को कुछ दलील देने की जरूरत ही नहीं पड़ी। Lawbeat ने रिपोर्ट किया है “The Bench of Justices MM Sundresh and Satish Chandra Sharma took note of proceedings before the trial court and directed that the stay on those proceedings would continue and scheduled the matter for final hearing in April, 2026”.
ट्रायल कोर्ट की कार्रवाई पर तो पहले से रोक लगा रखी है आपने फिर took note of proceedings का क्या मतलब रह गया। मुझे बड़े अफ़सोस के साथ कहना पड़ रहा है कि बिना किसी कारण दोनों जजों ने 5 महीने के लिए सेना के अपमान के केस को टालते हुए निर्लज्जता की सभी सीमाएं पार कर दी। ये शिकायत राहुल के खिलाफ दायर की थी बीआरओ के पूर्व डायरेक्टर उदय शंकर श्रीवास्तव जी ने और justices सुंदरेश और शर्मा केस को इस तरह लंबा लटका कर राहुल के द्वारा सेना का अपमान किए जाने में खुद भी शामिल हो गए।
जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस मसीह की ही बेंच ने सावरकर पर राहुल गांधी द्वारा की गई अपमानजनक बातों के लिए फटकार लगाई थी और अब न तो दोनों जजों की बेंच का कुछ पता है और न केस की तारीख का। उधर राहुल गांधी के बयान की वीडियो की रिकॉर्डिंग पुणे के ट्रायल कोर्ट से गायब हो गई जबकि वीडियो को सुनकर तत्कालीन जज ने कोर्ट के रिकॉर्ड में रखा था लेकिन अब वो वीडियो खाली है और कोर्ट अब कोई और साक्ष्य प्रस्तुत करने की अनुमति भी नहीं दे रहा जिसका मतलब साफ़ है कोर्ट ने ही वीडियो के कंटेंट गायब कराए हैं जिससे राहुल गांधी बरी हो जाए। एक तरफ वोट चोरी का शोर मचा रहा है और दूसरी तरफ अपनी वीडियो की रिकॉर्डिंग ही गायब करा दी। राहुल गांधी ही इसमें प्राइम सस्पेक्ट है। जितने भी जजों के संरक्षण में वह वीडियो रही, उन सभी को सस्पेंड कर देना चाहिए।
कांग्रेस परिवार के बीआर गवई ने मोदी सरनेम के आरोप सिद्ध और सजा होने पर भी राहुल की सजा निलंबित कर दी और अब ऐसे राहुल के मामले लटकाए जा रहे हैं। कोई भी कारण हो, ये भ्रष्टाचार का खेल है चाहे किसी भी रूप में हो। सुप्रीम कोर्ट को जजों की संख्या पूरी चाहिए लेकिन केस लटकाते रहेंगे।

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