अयोध्या,काशी,मथुरा और ताजमहल के बाद अब दिल्ली जामा मस्जिद निशाने पर


जामा मस्जिद
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
अक्सर अपने लेखों में स्पष्ट लिखता रहा हूँ कि अयोध्या, काशी और मथुरा मुद्दे पर उग्र रूप धारण करने से पूर्व ही विहिप की माँग रही है कि "हिन्दुओं के इन प्रमुख तीनों तीर्थों को दे दो, हम शेष से अपना अधिकार छोड़ देंगे। अन्यथा 6000 भी लेकर रहेंगे।" लेकिन कट्टरपंथी और कुर्सी के भूखे नेताओं ने देश-विदेश की भोली-भाली जनता को पागल बनाकर देश को साम्प्रदायिक दंगों की आग में झोंकने की धमकियों से डराते रहे और इनके आका अपनी तिजोरियाँ भरते रहे। उनके पास सिवाए मस्जिद चिल्लाने के और दंगों का डर दिखाने के अन्य कोई प्रमाण नहीं, यही कारण है कि बाबरी मस्जिद के नाम पर विधवा-विलाप करने वाले तत्कालीन प्रधानमंत्री चंद्रशेखर से लेकर आज तक बातचीत करने से दूर भागते रहे हैं। अयोध्या मुद्दे को सुलझाने उपरान्त वर्तमान केन्द्र सरकार उन सभी इतिहासकारों को भी ब्लैकलिस्ट करे, जिनके कारण रामजन्मभूमि मुद्दा ही नहीं अपितु भारत का गौरवमय इतिहास धूमिल कर आतताई मुगलों का गुणगान कर देश की जनता को भ्रमित किया गया। यदि अपनी कुर्सी और तुष्टिकरण की वजह से भारतीय इतिहास को तोडा-मरोड़ा नहीं होता, आज हिन्दुओं को अपने तीर्थों को मुक्त कराने के लिए अदालतों के चक्कर नहीं काटने पड़ते और न ही किसी में हिन्दू देवी-देवताओं के अस्तित्व पर ऊँगली उठाने का मौका मिलता। जिसके लिए दोषी इतिहासकार नहीं, अपितु तुष्टिकरण और कुर्सी के भूखे नेता हैं। अब तो हर भारतीय को कहीं डुबके मर जाना चाहिए कि जिस धरती पर हिन्दू देवी-देवता का नाम तो क्या मुँह से ॐ निकालना भी असम्भव था, आज फरवरी 11 को सऊदी धरती पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मन्दिर की नींव रख दी।  
शाहबानो प्रकरण से हिन्दू वोट हाथ से जाते देख, मन्दिर के तालों को खुलवाने का कोर्ट से आदेश दिलवाने से सिद्ध हो गया था कि कांग्रेस भी अच्छी तरह जानती है कि बाबरी पक्षकारों का दावा झूठा है। लेकिन मूर्ख जनता ने उस समय भी अपनी आंखे नहीं खोली, जब मन्दिर शिलान्यास की इजाजत दी गयी। कोई जबाब दे "क्या कोई किसी की जगह पर शिलान्यास कर सकता है?" यानि सरकार तब भी मान रही थी कि "यह वास्तव में रामजन्मभूमि स्थान है, परन्तु वही शाहबानो इतिहास दोहराया गया कि मुस्लिम वोट बैंक घिसकते देख मुद्दे को वापस विवादित बना दिया। 
अयोध्या, काशी और मथुरा पर कट्टरपंथी और कुर्सी के भूखे नेता अपनी तिजोरियाँ भरते रहे और भाजपा, आरएसएस, विहिप और बजरंग दल को मुस्लिम विरोधी  बताने की माला जपते रहे। लगता है, अब विहिप मुग़ल युग में मस्जिद और दरगाहों में परिवर्तित किए गए समस्त धर्म-स्थलों को वापस लेने का निर्णय कर चुकी  है। और अब अयोध्या,काशी, मथुरा की सूची में ताजमहल के बाद दिल्ली की जामा मस्जिद भी आ गयी है। वैसे जामा मस्जिद से पूर्व हुमायूँ टॉम्ब की आवाज़ उठ चुकी है। लेकिन दिल्ली स्थित लाल किला भी बहुत जल्द निशाने पर आने वाला है।  
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इस पाक्षिक को सम्पादित करते अपने बहुचर्चित स्तम्भ में यूपीए सरकार के कार्यकाल में लाल किले पर उठाया प्रश्न था जिस....
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ताजमहल को शिव मंदिर बताने वाले भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता विनय कटियार का कहना है कि दिल्ली की जामा मस्जिद पहले जमुना देवी का मंदिर था। 5 दिसंबर को उच्चतम न्यायालय में कपिल सिब्‍बल ने अयोध्‍या प्रकरण की सुनवाई जुलाई 2019 तक टालने की बात की थी । इसके बाद यह मुद्दा एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है । इस मुद्दे पर बोलते हुए भाजपा नेता विनय कटियार ने कहा,”मुगल शासकों के दौर में 6000 स्‍थानों को तोड़ा गया । दिल्ली की जामा मस्जिद का नाम पहले जमुना देवी मंदिर था, इसी तरह ताजमहल का नाम पहले तेजो महालय था ।”
उल्‍लेखनीय है कि, कपिल सिब्‍बल ने न्यायालय में दलील दी थी कि 2014 के चुनावी संकल्‍प पत्र में भाजपा ने अयोध्‍या में राम मंदिर बनाने का वादा किया था। ऐसे में इस वक्‍त इस पर सुनवाई से देश पर व्‍यापक असर पड़ सकता है। लिहाजा जनभावनाओं के लिहाज से इस बेहद संवेदनशील मसले पर जुलाई,2019 से पहले सुनवाई नहीं होनी चाहिए। हालांकि न्यायालय ने उनके इस तर्क को नहीं माना और कहा कि 8 फरवरी 2018 से लगातार सुनवाई होगी ।
इसके बाद गुजरात की चुनावी रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्‍या मसले पर कपिल सिब्‍बल की दलील पर सवाल उठाए । उन्‍होंने कहा कि, आखिर कपिल सिब्‍बल किस आधार पर कह सकते हैं कि 2019 में अगले लोकसभा चुनाव के बाद सुनवाई हो । कपिल सिब्‍बल मुस्लिम समुदाय की आेर से केस लड़ रहे हैं, उनको ऐसा करने का हक है परंतु वह यह कैसे कह सकते हैं कि, अगले चुनाव से पहले इसका समाधान नहीं खोजा जा सकता ? यह मसला आखिर किस प्रकार लोकसभा चुनाव से जुड़ा है ?
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आर.बी.एल.निगम श्री श्री रविशंकर ने अयोध्‍या विवाद के समाधान की पेशकश के साथ नवम्बर 16 को अयोध्‍या में सभी पक्षकारों से मुलाकात की. श्र...
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पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर जी ने अयोध्या के रामजन्मूभि पर राम मंदिर बनाने का निर्णय ले लिया था। राजीव गांधी को ?...
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बता दें कि, ‘ताजमहल’ वास्तु मुसलमानों की नहीं, अपितु वह मूलतः हिंदुओं की है। वहां इससे पूर्व भगवान शिवजी का मंदिर था, यह इतिहास सूर्यप्रकाश के जितना ही स्पष्ट है। ताजमहल इससे पूर्व शिवालय होने का प्रमाण पुरातत्व विभाग के अधिकारी, अन्य पुरातत्वतज्ञ, इतिहास के अभ्यासक तथा देश विदेश के तज्ञ बताते हैं। मुगल आक्रमणकारियों की दैनिकी में (डायरी) भी उन्होंने कहा है कि, ताजमहल हिन्दुओं की वास्तु है। तब भी मुसलमान इस वास्तु पर अपना अधिकार जताते हैं। शिवालय के विषय में सरकार के पास सैकडों प्रमाण धूल खाते पडे हैं। सरकार इस पर कुछ नहीं करेगी। इसलिए अब अपनी हथियाई गई वास्तु वापस प्राप्त करने हेतु यथाशक्ति प्रयास करना ही हिंदुओं का धर्मकर्तव्य है। ऐसी वास्तुएं वापस प्राप्त करने हेतु एवं हिंदुओं की वास्तुओं की रक्षा के लिए ‘हिंदु राष्ट्र’ अनिवार्य है !
भाजपा के कुछ नेताओं ने तो राहुल गांधी को बाबर भक्त और खिलजी की औलाद बताते हुए मंदिर वहीं बनाने की बात कह डाली है।  इससे आगे बढ़ते हुए विनय कटियार ने कांग्रेस नेताओं को बाबर, शाहजहां और औरंगजेब की औलाद बताया है। 
विनय कटियार का कहना है कि कांग्रेस जानबूझकर राम मंदिर निर्माण के मामले में अड़ंगा डाल रही है। . इसलिए कपिल सिब्बल ने यह कहा है कि 2019 के बाद इसकी सुनवाई हो। कपिल सिब्बल पर बरसते हुए विनय कटियार ने कहा है कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में जो बात कही है वो गलत है।  इसी कारण से हंगामा मचा हुआ है, नहीं तो अब तक कब का मंदिर बन जाता।  इस केस को टालने का काम हमेशा से कांग्रेस करती रही है। 
खबर के मुताबिक विनय कटियार ने कहा मंदिर औरंगजेब ने तोड़ा था।  मथुरा और काशी विश्वनाथ में हमारे मंदिरों को तोड़ा गया है। हम विषय उठाना नहीं चाहते, ये जो दिल्ली की जामा मस्जिद है वो जमुना देवी का मंदिर है।  अगर इस विषय में पड़ेंगे तो साढ़े 6 हजार हमारे स्थान है। हम उन पर डेरा डालेंगे। 
विनय कटियार ने जामा मस्जिद को जमुना देवी का मंदिर बताने से पहले ताजमहल को भगवान शिव का मंदिर बताया था।  विनय कटियार ने तब कहा था कि ताजमहल का असली नाम तेजोमहालय है और ये एक शिव मंदिर था। विनय कटियार के मुताबिक भगवान शिव के मंदिर को तोड़कर ताजमहल बनाया गया है। 

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