आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
रोटोमैक ब्रांड के नाम से कलम बनाने वाली कंपनी के प्रवर्तक विक्रम कोठारी के खिलाफ केंद्रीय जांच एजेंसियों ने शिकंजा कस दिया है। कोठारी तथा उनकी कंपनी के खिलाफ सीबीआई के साथ-साथ प्रवर्तन निदेशालय ने अलग-अलग मामले दर्ज किये हैं। ये मामले 2008 से सात बैंकों के साथ कुल 3,695 करोड़ रुपए के कर्ज में धोखाधड़ी करने से संबंधित हैं। सीबीआई ने बैंक आफ बड़ौदा से कानपुर की रोटोमैक ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड उसके निदेशक विक्रम कोठारी, उनकी पत्नी साधना कोठारी और उनके बेटे राहुल कोठारी तथा अज्ञात बैंक अधिकारियों के खिलाफ मिली शिकायत के बाद मामला दर्ज किया। शुरू में अनुमान था कि यह घोटाला 800 करोड़ रुपए का हो सकता है। लेकिन सीबीआई की कंपनी के खातों की जांच शुरू होने के बाद यह पाया गया कि कंपनी ने कथित रूप से बैंक आफ इंडिया, बैंक आफ महाराष्ट्र, इंडियन ओवरसीज बैंक, यूनियन बैंक आफ इंडिया, इलाहबाद बैंक तथा ओरिएंटल बैंक आफ कामर्स से ज्यादा कर्ज लिए और और यह गड़बड़ी इससे कहीं अधिक की है।
किसी को गिरफ्तार नहीं किया
सीबीआई का कहना है कि इन आरोपियों ने सातो बैंकों से प्राप्त 2,919 करोड़ रुपए के लोन की हेराफेरी की है। केंद्रीय जांच एजेंसी का कहना है कि उन पर ब्याज समेत कुल बकाया राशि 3,695 करोड़ रुपए है। मामला दर्ज करने के तुरंत बाद सीबीआई ने कानुपर में तीन ठिकानों की तलाशी ली। इसमें कोठारी के निवास और कार्यालय परिसर शामिल हैं। सीबीआई प्रवक्ता अभिषेक दयाल ने कहा कि अब तक मामले में किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया है। हालांकि कोठारी, उनकी पत्नी और बेटे से जरूर पूछताछ की गयी है।
लोन का उपयोग अन्य कार्यों में किया
जांच एजेंसी के अधिकारियों के अनुसार कंपनी ने कथित रूप से 2008 से सात बैंकों के समूह से लिये गये कर्ज की हेराफेरी को लेकर दो तरीके अपनाये। कंपनी को जो कर्ज दिये गये, उसका उपयोग निर्यात आदेश को पूरा करने के बजाए अन्य कार्यों में किया गया। सीबीआई का आरोप है कि निर्यात आर्डर के लिये जो कर्ज मंजूर किये गये, उसे विदेश में दूसरी कंपनी को हस्तांतरित किया गया और बाद में कानपुर की कंपनी ने बिना निर्यात आर्डर को पूरा किये उसे वापस मंगा लिया। दूसरे मामलों में बैंकों ने निर्यात के लिये वस्तुओं की खरीद को लेकर कर्ज दिये। इसमें भी कोई निर्यात आर्डर को पूरा नहीं किया गया। यह कोष का गबन, अमानत में खयानत और फेमा (विदेशी विनिमय प्रबंधन कानून) का उल्लंघन है।
ईडी ने भी मामला दर्ज किया
कंपनी के अधिक सौदे खरीदरों, समूह की विक्रेताओं कंपनियों तथा अनुषंगी इकाइयों के साथ किये गये और इनकी संख्या बहुत ज्यादा नहीं थी। सीबीआई का आरोप है कि कंपनी स्थानीय तथा विदेशी मुद्रा वाले कर्जों पर ब्याज में अंतर का फायदा उठाने के लिए काम करती थी और उसने बैंकों से कर्ज के लिये कई बार फर्जी दस्तावेज जमा किये गये। वहीं वित्त मंत्रालय के अधीन आने वाला प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी कंपनी के प्रवर्तकों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। ईडी ने भी 3,695 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी मामले में विक्रम कोठारी, उनके परिवार के सदस्य के खिलाफ मामला दर्ज किया है। जांच एजेंसी ने सीबीआई की प्राथमिकी देखने के बाद मामला मनी लांड्रिंग निरोधक कानून (पीएमएलए) के तहत दर्ज किया है। पंजाब नेशनल बेंक में 11,400 करोड़ रुपए के कर्जों की धोखाधड़ी के बाद यह दूसरा वित्तीय घोटाला है।
एक भाई जेल में तो दूसरा जेम्स बॉन्ड को खिला रहा पान मसाला
रोटोमैक पेन के मालिक विक्रम कोठारी को सीबीआई ने सोमवार को ही अरेस्ट कर लिया। उनके ठिकानों पर मंगलवार को भी छानबीन जारी रही। विक्रम कोठारी पर अलग-अलग बैंकों का करीब 3700 करोड़ रुपए के गबन के आरोप हैं। विक्रम कोठारी कि पिता एमएम कोठारी को कानपुर के एक नामी आदमी थे। पूरा शहर उन्हें बाबूजी के नाम से जानता था। बेहद मेहनत और लगन से उन्होंने पान मसाला और स्टेशनरी का कारोबार स्टैबेलिस्ट किया। उनकी मौत के बाद बिजनेस दो भाइयों में बंट गया। आज एक भाई सीबीआई की गिरफ्त में है, जबकि दूसरा जेम्स बॉन्ड को पान मसाला खिला रहा है।
छोटे से गांव में पैदा हुए थे विक्रम के पिता
यूं तो विक्रम कोठारी से काफी लग्जरी लाइफ जी, लेकिन उनके पिता एमएम कोठारी का जन्म एक छोटे से गांव निराली में हुआ था। मामूली सी नौकरी से उन्होंने अपना कॅरियर शुरू किया था। अपने कॅरियर का आगाज करने वाले मनसुख भाई ने अपने जीवन में काफी संघर्ष किया और वह पान मसाले के कारोबार में एक बड़ा नाम बनकर सामने आए। बाद में उन्होंने स्टेशनरी कारोबार में भी हाथ आजमाया और इसमें भी सफल हुए। खासकर कंपनी के पेन रोटोमैक ने काफी शोहरत बटोरी। 90 वर्ष उम्र में उनकी मौत हुई। मनसुख के दो पुत्र विक्रम और दीपक व एक पुत्री रीता हैं। दीपक और विक्रम ने बिजनेस बांट लिया।
यूं तो विक्रम कोठारी से काफी लग्जरी लाइफ जी, लेकिन उनके पिता एमएम कोठारी का जन्म एक छोटे से गांव निराली में हुआ था। मामूली सी नौकरी से उन्होंने अपना कॅरियर शुरू किया था। अपने कॅरियर का आगाज करने वाले मनसुख भाई ने अपने जीवन में काफी संघर्ष किया और वह पान मसाले के कारोबार में एक बड़ा नाम बनकर सामने आए। बाद में उन्होंने स्टेशनरी कारोबार में भी हाथ आजमाया और इसमें भी सफल हुए। खासकर कंपनी के पेन रोटोमैक ने काफी शोहरत बटोरी। 90 वर्ष उम्र में उनकी मौत हुई। मनसुख के दो पुत्र विक्रम और दीपक व एक पुत्री रीता हैं। दीपक और विक्रम ने बिजनेस बांट लिया।
ऐसे हुआ बंटवारा
दीपक कोठारी और विक्रम कोठारी के बीच बंटवारा उनके पिता एमएम कोठारी के जाने के बाद हुआ। कोठारी ब्रदर्स ने तय किया पान पराग और रोटोमैक दो हिस्सों में बटेगा। दीपक कोठारी ने कोठारी प्रोडक्ट्स फ्लैगशिप में 22.5 फीसदी इक्विटी हिस्सेदारी खरीदी ली। दीपक ने इसके लिए भाई विक्रम को शेयर के पैसे दे दिए। इसके बाद विक्रम कोठारी ने रोटोमैक इंडस्ट्री में कदम जमाया, जिसमें उन्होंने पेन, स्टेशनरी और ग्रीटिंग्स कार्ड्स इत्यादी बनाने चालू किए। एमएम कोठारी हालांकि यह तय कर गए थे कि
कोठारी प्रोड्क्टस में दोनों भाई बराबर के चेयरमैन रहेंगे, लेकिन विक्रम कोठारी समेत उनकी पत्नी साधना कोठरी ने बोर्ड छोड़ दिया। उस समय एक अंग्रेजी अखबार को उन्होंने कहा था कि यह फैसला उन्होंने आपसी सहमति से लिया है।
रोटोमैक ब्रांड तो बना, पर विक्रम हुए फेल
विक्रम कोठारी ने स्टेशनरी बिजनेस को अपनाया तो वहीं दीपक ने पान मसाला बिजनेस को संभाले रखा। ऐसा नहीं है कि विक्रम कोठारी को सबकुछ संपत्ति के बतौर मिला हो। उन्होंने बराबर मेहनत की और अपनी कंपनी रोटोमैक ग्रुप को बड़ा नाम दिया। 2000 के दौर में उन्हें तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने उन्हें सम्मानित भी किया। बाद में कंपनी ने सलमान खान को अपना ब्रांड एंबेसेडर भी बनाया। मीडिया रिपोर्ट का दावा है कि विक्रम बाद में इसपर ध्यान नहीं दे पाए और बिजनसे को डायर्सिफाई करने के चक्कर में कोर बिजनेस भी डूब गया। नतीजा यह हुआ कि आज वह सीबीआई की गिरफ्त में हैं।
विक्रम कोठारी ने स्टेशनरी बिजनेस को अपनाया तो वहीं दीपक ने पान मसाला बिजनेस को संभाले रखा। ऐसा नहीं है कि विक्रम कोठारी को सबकुछ संपत्ति के बतौर मिला हो। उन्होंने बराबर मेहनत की और अपनी कंपनी रोटोमैक ग्रुप को बड़ा नाम दिया। 2000 के दौर में उन्हें तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने उन्हें सम्मानित भी किया। बाद में कंपनी ने सलमान खान को अपना ब्रांड एंबेसेडर भी बनाया। मीडिया रिपोर्ट का दावा है कि विक्रम बाद में इसपर ध्यान नहीं दे पाए और बिजनसे को डायर्सिफाई करने के चक्कर में कोर बिजनेस भी डूब गया। नतीजा यह हुआ कि आज वह सीबीआई की गिरफ्त में हैं।
पर भाई बढ़ता रहा
दूसरी तरफ भाई दीपक कोठारी पान पराग की बदौलत दिन दौगुनी रात चौगुनी तरक्की करते गए। 'पान पराग' आज किसी परिचय का मोहताज नहीं है। ऐसे एक तरफ दीपक बिजनेस की दुनिया में बड़ा नाम बनता चला गया और दूसरी तरफ विक्रम इसी दुनिया में डूबता चला गया।
दूसरी तरफ भाई दीपक कोठारी पान पराग की बदौलत दिन दौगुनी रात चौगुनी तरक्की करते गए। 'पान पराग' आज किसी परिचय का मोहताज नहीं है। ऐसे एक तरफ दीपक बिजनेस की दुनिया में बड़ा नाम बनता चला गया और दूसरी तरफ विक्रम इसी दुनिया में डूबता चला गया।
अब तक कुल कर्ज बैंक कर्जा
फिलहाल, इंडियन ओवरसीज बैंक ने रोटोमैक ग्रुप के मालिक विक्रम कोठारी के करीब 650 करोड़ रुपये के डिपॉजिट (एफडीआर) जब्त कर लिए हैं। बैंक ने यह कार्रवाई 1400 करोड़ रुपये का कर्ज न चुका पाने की वजह से की है। विक्रम कोठारी का इसी बैंक पर अब भी 750 करोड़ रुपये बकाया है। रकम की वसूली के लिए अब बैंक डेब्ट रिकवरी ट्रिब्यूनल (ऋण वसूली अधिकरण) जाने की तैयारी कर रहा है।
फिलहाल, इंडियन ओवरसीज बैंक ने रोटोमैक ग्रुप के मालिक विक्रम कोठारी के करीब 650 करोड़ रुपये के डिपॉजिट (एफडीआर) जब्त कर लिए हैं। बैंक ने यह कार्रवाई 1400 करोड़ रुपये का कर्ज न चुका पाने की वजह से की है। विक्रम कोठारी का इसी बैंक पर अब भी 750 करोड़ रुपये बकाया है। रकम की वसूली के लिए अब बैंक डेब्ट रिकवरी ट्रिब्यूनल (ऋण वसूली अधिकरण) जाने की तैयारी कर रहा है।
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