PNB में हुए घोटाले के चलते LIC सहित म्युचुअल फंड कंपनियों में निवेश करने वालों को करीब 1700 करोड़ रुपए का झटका लगा है। भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) ने दिसबंर 2017 में ही PNB में अपनी हिस्सेदारी को 1.41 फीसदी बढ़ाकर 13.93 फीसदी कर लिया था। यह हिस्सेदारी एलआईसी ने क्वालीफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट के रूप में ली थी। इस बढ़ी हिस्सेदारी के कारण LIC काे PNB घोटाले में 1120 करोड़ रुपए का झटका लगा है। PNB में LIC सबसे बड़ा निवेशक है। LIC के अलावा निफ्टी पीएसयू बैंक इंडेक्स में शामिल PNB में देश के 12 सरकारी बैंकों ने भी निवेश कर रखा है। हाल ही में PNB में 11 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का घोटाला सामने आया है।
म्युचुअल फंड कंपनियों को भी लगा झटका
PNB घोटाले से म्युचुअल फंड कंपनियों को तगड़ा झटका लगा है। देश की 42 म्युचुअल फंड कंपनियों ने कुल मिलाकर PNB में 8.1 हिस्सेदारी ले रखी है। इस प्रकार म्युचुअल फंड निवेशकों को करीब 640 करोड़ रुपए का झटका लगा है। PNB में एचडीएफसी आसेट मैनेजमेंट कंपनी की ही 13 म्युचुअल फंड स्कीम्स का 4.48 फीसदी का एक्सपोजर है। यह आंकड़े 31 जनवरी तक के हैं। इस लिहाज से सबसे ज्यादा नुकसान एचडीएफसी म्युचुअल फंड के निवेशकों को हुआ है। इनका करीब 358 करोड़ रुपए डूब चुका है।
ये है पीएनबी घोटाला और निवेशकाें का नुकसान का आंकड़ा
पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) में दो दिन पहले 11,400 करोड़ रुपए के फ्रॉड खबर सामने आई थी। बैंक ने खुद ही मुम्बई शेयर को इसकी जानकारी दी थी। बाद में इसकी भारी कीमत निवेशकों को चुकानी पड़ी है। फ्रॉड की खबर से दो दिन में पीएनबी के स्टॉक में 22.33 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गई है। इससे पीएनबी में निवेश करने वालों को कुलमिला कर 8,756.36 करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान हुआ है।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों को भी लगा झटका
31 दिसबंर 2017 तक विदेशी पोर्टफोलियो इन्वेस्टर की PNB में 12.56 फीसदी हिस्सेदारी थी। LIC के बाद यही इस बैंक में सबसे बड़े निवेशक हैं। विदेशी पोर्टफोलियो इन्वेस्टर में से लाजार्ड इमर्जिंग मार्केट इक्विटी ने ही अकेल इस बैंक में 2.21 फीसदी की हिस्सेदारी ले रखी है।
PNB इम्प्लॉई के रिटायरमेंट ने खोल दी पोल
पंजाब नेशनल बैंक (PNB) के एक कर्मचारी के रिटायरमेंट ने बैंक में 2011 से चल रहे फ्रॉड की पोल खोल दी। इसकी वजह से ही पीएनबी में लगभग 11,330 करोड़ रुपए का घोटाला सामने आया है। अगर यह कर्मचारी रिटायर नहीं होता तो शायद फ्रॉड का यह खेल लंबे समय तक जारी रहता। इस मामले ने बैंकिंग सिस्टम में चेक ओर बैंलेंस सिस्टम की पोल भी खोल दी है।
रिटायर कर्मचारी की जगह लेने वाले कर्मचारी ने पकड़ा मामला
बैकिंग इंडस्ट्री से जुड़े सूत्रों ने moneybhaskar.com को बताया कि किसी भी बैंक में कम से कम दो कर्मचारी ट्रांजैक्शन को अथॉराइज करते हैं। इस मामले में बैंक के दोनों कर्मचारी संबंधित पार्टी से मिल कर काम कर रहे थे। और जरूरी डाक्युमेंट के बिना बिल क्लियर कर रहे थे। एक कर्मचारी जब रिटायर हो गया और उसकी जगह पर जब दूसरा कर्मचारी आया तो पार्टी अपना बिल क्लियर कराने के लिए उसके पास गई। जब उस कर्मचारी ने देखा कि बिल के सपोर्ट में जरूरी डाक्युमेंट नहीं हैं तो उसने बिल क्लियर करने से मना कर दिया। इस तरह से यह फ्रॉड का मामला सामने आया।
बैंक में चेक एंड बैलेंस सिस्टम की खुली पोल
सूत्रों का कहना है कि फ्रॉड के इस मामले ने बैकों में चेक एंड बैलेंस सिस्टम पर भी सवाल खड़ा कर दिया है। अगर दो कर्मचारी संबंधित पार्टी के साथ मिल कर फ्रॉड कर रहे थे त इतनी बड़ी राशि एक ही पार्टी को जाती रही और इस पर शीर्ष स्तर पर किसी ने कोई ध्यान क्यों नहीं दिया। इसके अलावा बैंक के इंटरनल ऑडिट और रिजर्व बैंक के इंस्पेक्शन में भी यह बात सामने न आना संदेह पैदा करता है।
कैसे हुआ फ्रॉड?
-बताया जा रहा है कि इस पूरे मामले को लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (एलओयू) के माध्यम से अंजाम दिया गया। यह एक तरह की गारंटी होती है, जिसके आधार पर दूसरे बैंक अकाउंटहोल्डर को पैसा मुहैया करा देते हैं।
-अब यदि अकाउंटहोल्डर डिफॉल्ट कर जाता है तो एलओयू मुहैया कराने वाले बैंक की यह जिम्मेदारी होती है कि वह संबंधित बैंक को बकाये का भुगतान करे।
-समझा जाता है कि पीएनबी के मामले में संदिग्ध ट्रांजैक्शन बैंक अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत के जरिए हुआ।
-पीएनबी ने भले ही दूसरे लेंडर्स के नाम का उल्लेख नहीं किया, लेकिन समझा जाता है कि पीएनबी द्वारा जारी एलओयू के आधार पर यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, इलाहाबाद बैंक और एक्सिस बैंक ने भी क्रेडिट ऑफर कर दिया था।
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