फटाफट आराम देने वाली सर्दी जुकाम और पेन किलर्स 500 जैसी 328 दवाईयों पर बैन

सरकार ने तत्काल प्रभाव से 328 फिक्स डोज कॉम्बिनेशन दवाओं पर रोक लगा दी है। फटाफट राहत देने वाली इन दवाओं को अब देश में बनाया और बेचा नहीं जा सकेगा। जिन दवाईयों को सरकार ने बैन किया है उनमें सर्दी, जुकाम, सिरदर्द, दस्त, पेट दर्द जैसी बीमारी में ली जाती हैं।
इन दवाइयों को खरीदने के लिए आपको सबसे पहले डॉक्टर से सलाह लेनी पड़ेगी।  सरकार ने मार्च 2016 में 349 एफडीसी पर बैन लगा दिया था। दवा कंपनियां इस बैन के खिलाफ दिल्ली और अन्य हाई कोर्ट में चली गई थीं। दिल्ली हाई कोर्ट ने बैन को खारिज कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से बैन की गई दवाओं की जांच के लिए एक कमिटी बनाने और रिपोर्ट देने को कहा था।
FDC दवाएं मरीजों के लिए खतरनाक होती हैं। कई देशों में इन पर बैन है।  इनमें सेरिडॉन, विक्स ऐक्शन 500, कोरेक्स, सुमो, जीरोडॉल, फेंसिडील, जिंटाप, डिकोल्ड और कई तरह के ऐंटीबायॉटिक्स, पेन किलर्स, शुगर और दिल के रोगों की दवाएं शामिल हैं। बता दें कि अभी और भी कई FDC दवाएं हैं जो देश में धड़ल्ले से बिक रही हैं। माना जा रहा है कि सरकार 500 और FDC पर रोक लगा सकती है।
एफडीसी दवाएं वह होती हैं, जिन्हें दो या उससे ज्यादा दवाओं को मिलाकर बनाया जाता है। इन दवाओं पर देश में एक लंबे समय से विवाद हो रहा है। हेल्थ वर्कर्स के साथ ही संसद की एक समिति ने भी इन पर सवाल उठाए हैं। जिन एफडीसी पर विवाद हो रहा है, उन्हें भारत के ड्रग कंट्रोलर की जनरल की मंजूरी के बिना ही देश में बनाया और बेचा जा रहा था। अमेरिका, जापान, फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन के साथ ही कई देशों में एफडीसी पर रोक है। भारत के साथ ही कई विकाससील देशों में ये बिकती हैं। देश में महज पुडुचेरी एक ऐसा राज्य है, जिसने एफडीसी पर रोक लगा दी है।
मसलन पिरामल की सेरीडॉन, मेक्‍लॉयड्स फार्मा की पेनडर्म प्‍लस क्रीम और एल्‍केम लैबोरेट्रीज की टेक्सिम एजेड शामिल हैं. अच्‍छी बात यह है कि सरकार लोकप्रिय कफ सिरप और सर्दी-जुकाम की दवाओं को बंद नहीं कर रही है. कुछ मीडिया रिपोर्ट में दावा है कि जुकाम, खांसी की दवा भी बंद हो जाएंगी.
कई नामचीन कंपनियों के ब्रांड शामिल
नोटिफिकेशन के मुताबिक जुकाम, खांसी और डिप्रेशन की दवाओं पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है. जिन ब्रांडों की दवाएं बंद की गई हैं उनमें माइक्रोलैब ट्राईप्राइड एबॉट ट्राइबेट और ल्‍यूपिन ग्‍लूकोनॉर्म शामिल है. सुप्रीम कोर्ट ने बीते साल 328 फिक्स्ड डोज मिश्रण (एफडीसी) वाली दवाओं का फिर से परीक्षण कराने को कहा था. इससे पहले इन दवाओं पर लगाई गई रोक को दिल्ली हाईकोर्ट ने निरस्त कर दिया था.

केन्द्र सरकार ने कोकाटे समिति की सिफारिश पर 10 मार्च 2016 को एफडीसी दवाओं पर रोक लगा दी थी. शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा था, ‘‘मामले का गहराई से विश्लेषण करने के लिए हमारा मानना है कि इन मामलों को डीटीएबी या फिर डीटीएबी द्वारा गठित उप-समिति को भेजा जाना चाहिए, ताकि इन मामलों में नये सिरे से गौर किया जा सके.’’ न्यायालय ने कहा था कि डीटीएबी और इस कार्य के लिये गठित होने वाली उप-समिति दवा विनिर्माताओं का पक्ष सुनेगी. समिति इस मामले में गैर-सरकारी संगठन आल इंडिया ड्रग्स एक्शन नेटवर्क की बात भी सुनेगी.

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