आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
भारत में भगोड़ा घोषित अरबपति कारोबारी विजय माल्या ने कहा कि बीते साल देश छोड़ने से पहले उन्होंने वित्त मंत्री अरुण जेटली से मुलाकात की थी। माल्या ने कहा कि उन्होंने जेनेवा से निकलने से पहले बैंकों के साथ सेटलमेंट करने का ऑफर दिया था, बस यही हकीकत है। वह बुधवार को यूके की वेस्टमिंस्टर कोर्ट में प्रत्यर्पण मामले में सुनवाई के दौरान अपना पक्ष रख रहे थे। भारतीय बैंकों के 9 हजार करोड़ रुपए के कर्जदार माल्या बैंकों के साथ फ्रॉड और मनीलॉन्ड्रिंग के आरोपों का सामना कर रहे हैं। माल्या बीते साल अप्रैल से जमानत पर हैं।
भारत में भगोड़ा घोषित अरबपति कारोबारी विजय माल्या ने कहा कि बीते साल देश छोड़ने से पहले उन्होंने वित्त मंत्री अरुण जेटली से मुलाकात की थी। माल्या ने कहा कि उन्होंने जेनेवा से निकलने से पहले बैंकों के साथ सेटलमेंट करने का ऑफर दिया था, बस यही हकीकत है। वह बुधवार को यूके की वेस्टमिंस्टर कोर्ट में प्रत्यर्पण मामले में सुनवाई के दौरान अपना पक्ष रख रहे थे। भारतीय बैंकों के 9 हजार करोड़ रुपए के कर्जदार माल्या बैंकों के साथ फ्रॉड और मनीलॉन्ड्रिंग के आरोपों का सामना कर रहे हैं। माल्या बीते साल अप्रैल से जमानत पर हैं।
वित्त मंत्री को दिया था ऑफरः माल्या
रिपोर्टर्स ने पूछा कि क्या उन्होंने देश से भागने की ‘सलाह’ दी गई थी। उन्होंने कहा, ‘मेरी जेनेवा में मीटिंग तय थी, इसलिए देश से निकला था। मैंने उससे पहले वित्त मंत्री से मुलाकात की और दोबारा बैंकों के साथ सेटलमेंट का ऑफर दिया। सिर्फ यही सच है।’ माल्या के भारत छोड़ते समय वर्ष 2016 में अरुण जेटली वित्त मंत्री थे।
पॉलिटिकल फुटबॉल बनाने का लगाया आरोप
उन्होंने रिपोर्टर्स से कहा, ‘मैं पहले ही कह चुका हूं कि मैं एक पॉलिटिकल फुटबॉल बन चुका हूं। इसमें मैं कुछ नहीं कर सकता हूं। मेरा रुख साफ है और मैं कर्नाटक हाईकोर्ट में अपनी 15 हजार करोड़ रुपए की एसेट के बारे में बता चुका हूं।’ उन्होंने कहा कि मीडिया को बैंकों से सवाल करने चाहिए कि वे क्यों रिपेमेंट में उन्हें सहयोग नहीं दे रहे हैं।
बनाया जा रहा है बलि का बकरा
उन्होंने कहा, ‘मैं निश्चित तौर पर एक बलि का बकरा हूं। मैं खुद को बलि का बकरा महसूस कर रहा हूं। दोनों ही पॉलिटिकल पार्टी मुझे पसंद नहीं करती हैं।’ उन्होंने मुंबई की आर्थर रोड की बैरक 12 के वीडियो पर कटाक्ष किया और कहा, ‘वह बेहद प्रभावशाली है।’ सरकार की इसी जेल में माल्या को रखे जाने के लिए तैयार किया गया है।
आर्थर रोड जेल में रखे जाएंगे माल्या
वेस्टमिंस्टर कोर्ट में इससे पहले जुलाई में हुई सुनवाई के दौरान जज ऐम्मा अर्बथनॉट ने भारतीय अधिकारियों से आर्थर रोड जेल की बैरक 12 का ‘स्टेप बाई स्टेप वीडियो’ था, जहां उन्हें मुकदमे के दौरान रखे जाने का अनुमान है। भारत सरकार की तरफ से केस लड़ क्राउन प्रोसिक्यूशन सर्विस (CPS) ने अनुरोध को स्वीकार किया और कोर्ट को वीडियो सौंप दी थी।
माल्या की टीम ने जेल के निरीक्षण की मांग
माल्या की डिफेंस टीम ने यूके के मानवाधिकारों को पूरा करने के लिए जेल की सेल का निरीक्षण किए जाने की भी मांग की थी। सीपीएस ने जोर देकर कहा कि भारत सरकार ‘पर्याप्त मैटेरियल’ उपलब्ध करा दिया है, जिससे निरीक्षण की कोई जरूरत नहीं है। इसके बाद कोर्ट ने वीडियो के रिव्यू की दिशा में कदम बढ़ाए हैं।
झूठ बोल रहे हैं माल्या--अरुण जेटली
लंदन के वेस्टमिंस्टर कोर्ट में विजय माल्या के प्रत्यर्पण के संबंध में निर्णायक सुनवाई चल रही है। अदालत में सुनवाई से पहले धुएं का छल्ला उड़ाते हुए वो पत्रकारों से मुखातिब हुआ और बड़ा बयान दे डाला जिसके बाद भारतीय राजनीति में हलचल मच गई है। उन्होंने कहा कि सच तो ये है कि वो बैंकों के कर्ज को चुकाने के लिए ऑफर दिए थे। लेकिन वो भारतीय राजनीतिक दलों के लिए फुटबॉल बन चुके हैं। इससे भी बड़ी बात माल्या ने कही कि लंदन जाने से पहले( भागने से पहले) वो वित्त मंत्री से मिले थे। लेकिन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने फेसबुक पोस्ट के जरिए पूरी बात को पब्लिक डोमेन में रखी की आखिर सच क्या है।
वित्त मंत्री अरुण जेटली लिखते हैं कि उनके संज्ञान में ये बात आई है कि विजय माल्या ने लंदन में बैंकों से सेटलमेंट के संबंध में कुछ कहा है। जेटली लिखते हैं कि विजय माल्या का बयान सच से परे हैं। उसमें किसी तरह की सच्चाई नहीं है। 2014 के बाद उन्होंने माल्या को मिलने के लिए अप्वाइंटमेंट नहीं दिया था, लिहाजा उनसे मिलने का सवाल ही नहीं उठता है। विजय माल्या चूंकि राज्यसभा के सदस्य थे और वो कभी कभी संसद आया करते थे।
एक मौके पर उन्होंने विशेषाधिकार का उल्लंघन किया। एक बार मैं (अरुण जेटली) सदन की कार्यवाही में शामिल होने के बाद वो अपने कमरे में जा रहे थे। विजय माल्या तेजी से उनकी तरफ आगे बढ़े, और बोले की उन्होंने सेटलमेंट के लिए ऑफर दिया है। लेकिन पहले के उनके इस तरह के झूठे वादों को मैं जानता था और बोला कि इस मुद्दे पर उनसे बातचीत का कोई मतलब नहीं है, बेहतर है कि वो बैंकों के पास जाकर अपने मुद्दे को सुलझाएं। उस वक्त मैंने उनसे किसी तरह का पेपर नहीं लिया जो विजय माल्या के हाथों में था। सिर्फ इस वाक्य के अलावा किसी तरह की बात नहीं हुई। जहां तक विजय माल्या को अप्वाइंटमेंट देने की बात थी तो उसका सवाल ही नहीं पैदा होता था।
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