आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सितम्बर 10 को कहा कि ईंधन के दामों में रोजाना बढ़ोतरी और रुपए का अप्रत्याशित अवमूल्यन भाजपा नीत केंद्र सरकार द्वारा ‘अर्थव्यवस्था के कुप्रबंधन’ का नतीजा है। उन्होंने कहा कि बेतहाशा बढ़ते ईंधन दाम के विरुद्ध कांग्रेस समेत 21 दलों का भारत बंद विरोध पहला और आखिरी विकल्प नहीं है। उन्होंने राज्य सचिवालय में संवाददताओं से कहा कि देश की अर्थव्यवस्था की हालत 2016 में नोटबंदी और बाद में जीएसटी लागू करने के साथ बिगड़ने लगी थी।
कांग्रेस ने हमसे पूछा नहीं, इसलिए बंद को समर्थन नहीं दिया--ममता बनर्जी
बनर्जी ने कहा, ‘‘ईंधन के दाम में रोजाना बढ़ोतरी और रुपया का अवमूल्यन देश की अर्थव्यवस्था की त्रासदी और कुप्रबंधन है। रुपए का दाम रोज घट रह है। पेट्रोलियम उत्पादों के भाव रोज बढ़ रहे हैं। आम लोगों की जिंदगी का कोई महत्व नहीं है। हम समझ नहीं पा रहे हैं यह कहां पहुंचेगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम मुद्दे का समर्थन करते हैं न कि बंद का क्योंकि पश्चिम बंगाल (पिछले वाममोर्चा शासन के दौरान) पहले ही बंद और हड़तालों के कारण करीब आठ लाख श्रम दिवस गंवा चुका है। बंद और हड़ताल किसी विरोध का पहला और आखिरी विकल्प नहीं है।’’
उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता अहमद पटेल ने सितम्बर 7 की रात को उन्हें टेलीफोन किया था और बंद के लिए उनका समर्थन मांगा था। मैंने उनसे कहा कि मैं मुद्दे का समर्थन करती हूं लेकिन तृणमूल कांग्रेस बंद में हिस्सा नहीं लेगी क्योंकि कांग्रेस ने निर्णय लेने से पहले हमसे संपर्क नहीं किया। और फिर, हम सिद्धांतत: बंद और हड़ताल का आह्वान करने का समर्थन नहीं करते हैं।’’
मुख्यमंत्री ने कहा कि वैसे उन्होंने तृणमूल सांसद सुखेंदु शेखर राय को दिल्ली में प्रदर्शन रैली में हिस्सा लेने भेजा ताकि विपक्षी एकता प्रभावित न हो। ईंधन पर कुछ राज्यों द्वारा वैट घटाए जाने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘कर्नाटक जैसे कुछ राज्यों ने पेट्रोलियम उत्पादों पर वैट में कटौती का निर्णय लिया है, लेकिन इससे स्थिति में मदद नहीं मिलेगी. दरअसल ईंधन का दाम रोज बढ़ रहा है।’’
महागठबंधन पर प्रश्नचिन्ह
सत्ता के गलियारों में चर्चा है कि 2019 चुनाव आते-आते महागठबन्धन गुब्बारे की हवा न निकल जाए।कांग्रेस लगातार मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष को एक जुट करने में लगी हुई है और 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले उसकी कोशिश महागठबंधन कर भारतीय जनता पार्टी (BJP) को टक्कर देने की है। महागठबंधन का सबसे बड़ा प्रयोग उत्तर प्रदेश में होना है, जहां कांग्रेस को समाजवादी पार्टी (SP), बहुजन समाज पार्टी (BSP)और राष्ट्रीय लोक दल (RLD) का साथ चाहिए। लेकिन 10 सितंबर को पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों को लेकर कांग्रेस द्वारा बुलाए गए भारत बंद से महागठबंधन की कोशिशों को बड़ा झटका लगा है।
इस बंद में ना तो सपा थी और ना ही बसपा। हालांकि कांग्रेस ने विपक्षी एकता दिखाने के लिए दिल्ली के रामलीला मैदान में एक बड़ा कार्यक्रम भी किया। यहां कई विपक्षी नेता जुटे, लेकिन सबसे बड़े सूबे यूपी की दो प्रमुख पार्टियां यहां नहीं थीं। जहां एक तरफ राज्य में सपा ने महंगाई के खिलाफ अपना अलग प्रदर्शन किया तो वहीं दूसरी तरफ बसपा ने इस बंद से पूरी तरह दूरी बनाई रखी।
बंद के एक दिन बाद सितम्बर 12 को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बीएसपी प्रमुख मायावती ने खुलकर बीजेपी और कांग्रेस को महंगाई के लिए जिम्मेदार ठहराया और कहा, 'हमारी पार्टी भाजपा और कांग्रेस को समान रूप से देश में ईंधन की बढ़ती कीमतों के लिए जिम्मेदार मानती है।' उन्होंने कहा कि बीजेपी की नीति कांग्रेस जैसी है। उन्होंने कांग्रेस द्वारा बुलाए गए भारत बंद का भी समर्थन नहीं किया और कहा कि उनकी पार्टी बंद के दौरान हुई हिंसा की निंदा करती है।
अब ऐसे में सवाल स्पष्ट हैं कि क्या महागठबंधन को हकीकत बनाना आसान होगा? क्या यूपी में सीटों के बंटवारे को लेकर पार्टियों में सहमति नहीं बन पाई है? क्या कांग्रेस साथी दलों को साथ लेकर चलने में सक्षम नहीं है? क्या क्षेत्रीय दलों में राहुल गांधी के नेतृत्व को लेकर आशंका है?
वहीं इसके अलावा कांग्रेस विपक्षी एकजुटता की महत्ता को समझ रही है। भारत बंद के दौरान रामलीला मैदान में आयोजित कार्यक्रम में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा, 'अब इस बात की जरूरत है कि सभी राजनीतिक दल अपने पुराने सिलसिलों को पीछे छोड़कर एकजुट हों। भारत की जनता की पुकार सुनें। यह तभी संभव है जब हम छोटे-छोटे मुद्दों को छोड़कर आगे बढ़ेंगे। देश की एकता, अखंडता और लोकतंत्र को बचाने के लिए हमें मिलकर काम करना होगा । इसके लिए हमें तैयार होना चाहिए।'
ममता ने भी खेला हिन्दू कार्ड, दुर्गा पूजा कमेटी को देंगी 10-10 हजार रूपए
उधर पश्चिम बंगाल में हिंदू वोटरों के बीजेपी के पक्ष में जाते देख प्रदेश की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने घबरा गई हैं। उन्होंने हिंदूओं की देवी मां दुर्गा की पूजा के लिए आर्थिक मदद देने का ऐलान किया है। पश्चिम बंगाल में ऐसा पहली बार हो रहा है। बीजेपी मुख्यमंत्री और उनकी पार्टी टीएमसी पर मुस्लिम तुष्टिकरण का आरोप लगती आ रही है। शायद उसी का यह जवाब है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को दुर्गा पूजा कमिटियों को आर्थिक मदद देने की घोषणा की।
ममता बनर्जी ने कहा, कोलकाता में 3000 दुर्गा पूजा कमिटियां हैं और पूरे प्रदेश में 25,000 कमिटियां हैं। राज्य सरकार ने सामुदायिक विकास कार्यक्रमों के तहत पूजा कमिटियों को 10-10 हजार रुपए देने का फैसला लिया है। इसके लिए कुल 28 करोड़ रुपए खर्च होंगे। साथ ही उन्होंने बीजेपी का नाम ना लेते हुए कहा, एक पार्टी सोशल मीडिया के जरिए पूजा के दौरान सांप्रदायिक तनाव फैला सकती है। इसलिए सचेत रहें।
जिस दुर्गा पूजा पर ममता सरकार और पार्टी पंडाल आदि लगवाने में अड़चन डाला करती थीं, आज चुनाव आते देख, चारों ओर हिन्दू विरोधियों को मिलती शिकस्त को देख, आज दुर्गा पूजन को महत्व दे रहीं हैं। क्योकि इनके निशाने पर चुनाव 2019 है। जबकि 2014 तक इमामों को प्रोत्साहन देना, अपना धर्म समझती थीं।
नेताजी इंडोर स्टेडियम में कोलकाता पुलिस और दुर्गा पूजा आयोजकों की एक बैठक को संबोधित करते हुए बनर्जी ने कहा, 'एक खास पार्टी का आईटी सेल दुर्गा पूजा समेत दूसरे त्योहारों के दौरान में सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाकर लोगों को भड़काने की कोशिश में है और दंगे जैसा माहौल बनाना चाहती है।' उन्होंने कहा कि राज्य सरकार, पूजा आयोजकों और पश्चिम बंगाल में दशकों से साथ रहने वाले अलग-अलग समुदाय के लोगों के साथ मिलकर ऐसी बांटने वाली ताकतों को हराएंगी।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सितम्बर 10 को कहा कि ईंधन के दामों में रोजाना बढ़ोतरी और रुपए का अप्रत्याशित अवमूल्यन भाजपा नीत केंद्र सरकार द्वारा ‘अर्थव्यवस्था के कुप्रबंधन’ का नतीजा है। उन्होंने कहा कि बेतहाशा बढ़ते ईंधन दाम के विरुद्ध कांग्रेस समेत 21 दलों का भारत बंद विरोध पहला और आखिरी विकल्प नहीं है। उन्होंने राज्य सचिवालय में संवाददताओं से कहा कि देश की अर्थव्यवस्था की हालत 2016 में नोटबंदी और बाद में जीएसटी लागू करने के साथ बिगड़ने लगी थी।
कांग्रेस ने हमसे पूछा नहीं, इसलिए बंद को समर्थन नहीं दिया--ममता बनर्जी
बनर्जी ने कहा, ‘‘ईंधन के दाम में रोजाना बढ़ोतरी और रुपया का अवमूल्यन देश की अर्थव्यवस्था की त्रासदी और कुप्रबंधन है। रुपए का दाम रोज घट रह है। पेट्रोलियम उत्पादों के भाव रोज बढ़ रहे हैं। आम लोगों की जिंदगी का कोई महत्व नहीं है। हम समझ नहीं पा रहे हैं यह कहां पहुंचेगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम मुद्दे का समर्थन करते हैं न कि बंद का क्योंकि पश्चिम बंगाल (पिछले वाममोर्चा शासन के दौरान) पहले ही बंद और हड़तालों के कारण करीब आठ लाख श्रम दिवस गंवा चुका है। बंद और हड़ताल किसी विरोध का पहला और आखिरी विकल्प नहीं है।’’
उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता अहमद पटेल ने सितम्बर 7 की रात को उन्हें टेलीफोन किया था और बंद के लिए उनका समर्थन मांगा था। मैंने उनसे कहा कि मैं मुद्दे का समर्थन करती हूं लेकिन तृणमूल कांग्रेस बंद में हिस्सा नहीं लेगी क्योंकि कांग्रेस ने निर्णय लेने से पहले हमसे संपर्क नहीं किया। और फिर, हम सिद्धांतत: बंद और हड़ताल का आह्वान करने का समर्थन नहीं करते हैं।’’
मुख्यमंत्री ने कहा कि वैसे उन्होंने तृणमूल सांसद सुखेंदु शेखर राय को दिल्ली में प्रदर्शन रैली में हिस्सा लेने भेजा ताकि विपक्षी एकता प्रभावित न हो। ईंधन पर कुछ राज्यों द्वारा वैट घटाए जाने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘कर्नाटक जैसे कुछ राज्यों ने पेट्रोलियम उत्पादों पर वैट में कटौती का निर्णय लिया है, लेकिन इससे स्थिति में मदद नहीं मिलेगी. दरअसल ईंधन का दाम रोज बढ़ रहा है।’’
महागठबंधन पर प्रश्नचिन्ह
सत्ता के गलियारों में चर्चा है कि 2019 चुनाव आते-आते महागठबन्धन गुब्बारे की हवा न निकल जाए।कांग्रेस लगातार मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष को एक जुट करने में लगी हुई है और 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले उसकी कोशिश महागठबंधन कर भारतीय जनता पार्टी (BJP) को टक्कर देने की है। महागठबंधन का सबसे बड़ा प्रयोग उत्तर प्रदेश में होना है, जहां कांग्रेस को समाजवादी पार्टी (SP), बहुजन समाज पार्टी (BSP)और राष्ट्रीय लोक दल (RLD) का साथ चाहिए। लेकिन 10 सितंबर को पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों को लेकर कांग्रेस द्वारा बुलाए गए भारत बंद से महागठबंधन की कोशिशों को बड़ा झटका लगा है।
इस बंद में ना तो सपा थी और ना ही बसपा। हालांकि कांग्रेस ने विपक्षी एकता दिखाने के लिए दिल्ली के रामलीला मैदान में एक बड़ा कार्यक्रम भी किया। यहां कई विपक्षी नेता जुटे, लेकिन सबसे बड़े सूबे यूपी की दो प्रमुख पार्टियां यहां नहीं थीं। जहां एक तरफ राज्य में सपा ने महंगाई के खिलाफ अपना अलग प्रदर्शन किया तो वहीं दूसरी तरफ बसपा ने इस बंद से पूरी तरह दूरी बनाई रखी।
बंद के एक दिन बाद सितम्बर 12 को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बीएसपी प्रमुख मायावती ने खुलकर बीजेपी और कांग्रेस को महंगाई के लिए जिम्मेदार ठहराया और कहा, 'हमारी पार्टी भाजपा और कांग्रेस को समान रूप से देश में ईंधन की बढ़ती कीमतों के लिए जिम्मेदार मानती है।' उन्होंने कहा कि बीजेपी की नीति कांग्रेस जैसी है। उन्होंने कांग्रेस द्वारा बुलाए गए भारत बंद का भी समर्थन नहीं किया और कहा कि उनकी पार्टी बंद के दौरान हुई हिंसा की निंदा करती है।
Our party holds BJP and Congress equally responsible for rising fuel prices in the country : BSP Chief Mayawati in Lucknow
वहीं इसके अलावा कांग्रेस विपक्षी एकजुटता की महत्ता को समझ रही है। भारत बंद के दौरान रामलीला मैदान में आयोजित कार्यक्रम में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा, 'अब इस बात की जरूरत है कि सभी राजनीतिक दल अपने पुराने सिलसिलों को पीछे छोड़कर एकजुट हों। भारत की जनता की पुकार सुनें। यह तभी संभव है जब हम छोटे-छोटे मुद्दों को छोड़कर आगे बढ़ेंगे। देश की एकता, अखंडता और लोकतंत्र को बचाने के लिए हमें मिलकर काम करना होगा । इसके लिए हमें तैयार होना चाहिए।'
ममता ने भी खेला हिन्दू कार्ड, दुर्गा पूजा कमेटी को देंगी 10-10 हजार रूपए
उधर पश्चिम बंगाल में हिंदू वोटरों के बीजेपी के पक्ष में जाते देख प्रदेश की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने घबरा गई हैं। उन्होंने हिंदूओं की देवी मां दुर्गा की पूजा के लिए आर्थिक मदद देने का ऐलान किया है। पश्चिम बंगाल में ऐसा पहली बार हो रहा है। बीजेपी मुख्यमंत्री और उनकी पार्टी टीएमसी पर मुस्लिम तुष्टिकरण का आरोप लगती आ रही है। शायद उसी का यह जवाब है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को दुर्गा पूजा कमिटियों को आर्थिक मदद देने की घोषणा की।
ममता बनर्जी ने कहा, कोलकाता में 3000 दुर्गा पूजा कमिटियां हैं और पूरे प्रदेश में 25,000 कमिटियां हैं। राज्य सरकार ने सामुदायिक विकास कार्यक्रमों के तहत पूजा कमिटियों को 10-10 हजार रुपए देने का फैसला लिया है। इसके लिए कुल 28 करोड़ रुपए खर्च होंगे। साथ ही उन्होंने बीजेपी का नाम ना लेते हुए कहा, एक पार्टी सोशल मीडिया के जरिए पूजा के दौरान सांप्रदायिक तनाव फैला सकती है। इसलिए सचेत रहें।
जिस दुर्गा पूजा पर ममता सरकार और पार्टी पंडाल आदि लगवाने में अड़चन डाला करती थीं, आज चुनाव आते देख, चारों ओर हिन्दू विरोधियों को मिलती शिकस्त को देख, आज दुर्गा पूजन को महत्व दे रहीं हैं। क्योकि इनके निशाने पर चुनाव 2019 है। जबकि 2014 तक इमामों को प्रोत्साहन देना, अपना धर्म समझती थीं।
नेताजी इंडोर स्टेडियम में कोलकाता पुलिस और दुर्गा पूजा आयोजकों की एक बैठक को संबोधित करते हुए बनर्जी ने कहा, 'एक खास पार्टी का आईटी सेल दुर्गा पूजा समेत दूसरे त्योहारों के दौरान में सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाकर लोगों को भड़काने की कोशिश में है और दंगे जैसा माहौल बनाना चाहती है।' उन्होंने कहा कि राज्य सरकार, पूजा आयोजकों और पश्चिम बंगाल में दशकों से साथ रहने वाले अलग-अलग समुदाय के लोगों के साथ मिलकर ऐसी बांटने वाली ताकतों को हराएंगी।
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