2009 से 2011 तक देश के 11 परमाणु वैज्ञानिकों की मौत का मामला अभी नया है, लेकिन ये सिलसिला कई साल पुराना है। भारत के एटमी प्रोग्राम को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कई साल से होती रही है। देश के पहले सबसे बड़े परमाणु वैज्ञानिक होमी जहांगीर भाभा की मौत भी आज तक एक रहस्य है। 24 जनवरी 1966 में एक कथित विमान हादसे में होमी जहांगीर भाभा की मौत हो गई थी। बताया गया कि विमान हादसा स्विट्जरलैंड की एल्प्स पर्वतश्रृंखला के माउंट ब्लांक के आसपास हुआ था। वो उस समय एयर इंडिया की बोइंग 707 से यात्रा कर रहे थे, जिसमें उनके अलावा 117 लोग और सवार थे। आज तक उस विमान हादसे का ज्यादातर मलबा नहीं मिला। उस समय इंदिरा गांधी देश की प्रधानमंत्री थीं और वो इस कोशिश में थीं कि देश परमाणु शक्ति संपन्न देश बन जाए। लेकिन ऐसे समय में भाभा की मौत ने भारत के परमाणु कार्यक्रम को कई साल पीछे धकेल दिया।
भाभा की मौत के पीछे सीआईए?
ये वो समय था जब भारत एक तरह से सोवियत संघ का पिछलग्गू देश हुआ करता था। दुनिया भर में अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए और रूसी खुफिया एजेंसी केजीबी के एजेंट एक तरह की खुफिया लड़ाई लड़ रहे थे। अमेरिका नहीं चाहता था कि भारत किसी भी हाल में परमाणु ताकत वाला देश बने। माना जाता है कि होमी जहांगीर भाभा की मौत के पीछे कहीं न कहीं सीआईए का हाथ था। शक की एक वजह यह भी है कि अक्टूबर 1965 को भाभा ने ऑल इंडिया रेडियो से घोषणा की थी कि अगर उन्हें छूट मिले तो भारत 18 महीनों में परमाणु बम बनाकर दिखा सकता है। वह मानते थे कि अगर भारत को ताकतवर देश बनना है तो ऊर्जा, कृषि और मेडीसिन जैसे क्षेत्रों के लिए शांतिपूर्ण परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम शुरू करना होगा। इसके अलावा भाभा यह भी चाहते थे कि देश की सुरक्षा के लिए परमाणु बम भी बने।
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इस खुफिया एजेंसी ने महान वैज्ञानिक जहांगीर भाभा को मार डाला!
क्या भारत के महान परमाणु वैज्ञानिक डॉक्टर होमी जहांगीर भाभा की मौत अमेरिका की साजिश थी? क्या इसके लिए अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए जिम्मेदार थी? दरअसल, 24 जनवरी 1966 में हुए विमान हादसे का मलबा और कुछ मानवीय अवशेषों के मिलने के बाद एक बार फिर इस हादसे पर चर्चा शुरू हो गई है। पिछले गुरुवार को एल्प्स के मॉन्ट ब्लां में कई साल से विमान दुर्घटना में मारे गए लोगों के अवशेष खोज रहे डैनियल रोशे को कामयाबी मिली। उन्हें शव के अवशेष मिले हैं। रोशे ने बताया, "
मुझे इससे पहले कभी इतने
अहम मानव अवशेष नहीं मिले। इस बार मुझे एक हाथ और एक पैर का ऊपरी हिस्सा मिला है।"
रोशे ने कहा है कि जो अवशेष मिले हैं वे 1966 में दुर्घटना का शिकार हुई बोइंग 707 उड़ान की किसी महिला यात्री के प्रतीत होते हैं। उन्हें उस विमान के 4 जेट इंजनों में से एक इंजन भी मिला है।
होमी भाभा का प्लेन एयर इंडिया बोइंग 707, 1966 में फ्रांस के एल्प्स के मॉन्ट ब्लां के पास क्रैश हो गया था। इस विमान दुर्घटना का रहस्य आज तक नहीं खुल पाया है।
फ्रांस के इस इलाके में दो विमान हादसे हुए थे। इनमें से पहला हादसा 1950 और दूसरा 24 जनवरी 1966 में हुआ था। 1966 में हुए दूसरे हादसे में देश के महान वैज्ञानिक होमी जहांगीर भाभा सवार थे। वह इस विमान से वियना एक कांफ्रेंस में हिस्सा लेने जा रहे थे। इस विमान में उस वक्त 117 यात्री सवार थे। भारत को इस विमान दुर्घटना से गहरा धक्का लगा था। इस विमान हादसे के पीछे दो तरह की बातें कही जा रही है।
एक थ्योरी के मुताबिक विमान का पायलट उस वक्त जिनेवा एयरपोर्ट को अपनी सही पोजीशन बताने में नाकाम रहा था जिससे विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। दूसरी थ्योरी के मुताबिक यह विमान एक हादसे का नहीं बल्कि एक षडयंत्र के तहत बम से उड़ाया गया था। इस विमान को दुर्घटनाग्रस्त करने के पीछे अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए का हाथ था।
BRNews.org नाम की वेबसाइट की रिपोर्ट में होमी जहांगीर भाभा से जुड़ी यह जानकारी सामने आ रही है। दरअसल इस वेबसाइट ने 11 जुलाई 2008 को एक पत्रकार ग्रेगरी डगलस और सीआईए के अधिकारी रॉबर्ट टी क्राओली के बीच हुई कथित बातचीत को पेश किया है। इस बातचीत में सीआईए अधिकारी रॉबर्ट के हवाले से कहा गया है, "
हमारे सामने समस्या थी, आप जानते हैं, भारत ने 60 के दशक में आगे बढ़ते हुए परमाणु बम पर काम शुरू कर दिया था।"
रॉबर्ट बातचीत के दौरान रूस का भी जिक्र करते हैं जो कथित तौर पर भारत की मदद कर रहा था। इसके बाद इस बातचीत में होमी जहांगीर भाभा का जिक्र आता है। भाभा का उल्लेख करते हुए सीआईए अधिकारी ने कहा, "
मुझ पर भरोसा करो, वह खतरनाक थे। उनके साथ एक दुर्भाग्यपूर्ण एक्सिडेंट हुआ। वह परेशानी को और अधिक बढ़ाने के लिए वियना की उड़ान में थे, तभी उनके बोइंग 707 के कार्गो में रखे बम में विस्फोट हो गया।"
भाभा भारत ही नहीं बल्कि विश्व में जाने माने वैज्ञानिक थे। उनका दावा था कि भारत कुछ ही दिनों में परमाणु बम बना सकता है। अमेरिका की सोच थी कि यदि भारत इस मुहिम में कामयाब रहा तो यह उसके लिए और पूरे दक्षिण एशिया के लिए खतरनाक होगा। इसके लिए उसने सीआईए की मदद से उस विमान में समान रखने वाली जगह में बम फिट करवाया था। इसके बाद जो कुछ हुआ वह दुनिया के सामने है।
अक्टूबर 1965 में जहांगीर भाभा ने ऑल इंडिया रेडियो से घोषणा की थी कि अगर उन्हें छूट मिले तो भारत 18 महीनों में परमाणु बम बनाकर दिखा सकता है। इसी बात से अमेरिका परेशान हो गया था।
इस विमान हादसे के बाद इस इलाके में पत्रकारों का समूह भी गया था जिसको वहां पर विमान के कुछ हिस्से मिले थे। इसके अलावा वर्ष 2012 में वहां पर एक डिप्लोमेटिक बैग भी मिला जिसमें कलेंडर, कुछ पत्र और कुछ न्यूज पेपर्स थे।
होमी जहांगीर भाभा 1947 में भारत सरकार द्वारा गठित परमाणु ऊर्जा आयोग के प्रथम अध्यक्ष नियुक्त हुए। 1953 में जेनेवा में अनुष्ठित विश्व परमाणुविक वैज्ञानिकों के महासम्मेलन में उन्होंने सभापतित्व किया। भाभा 1950 से 1966 तक परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष थे। उस समय वो भारत सरकार के सचिव भी हुआ करते थे। कहा जाता है कि वो कभी भी अपने चपरासी को अपना ब्रीफ़केस उठाने नहीं देते थे।
(साभार: न्यूज़ वर्ल्ड इंडिया, जुलाई 30 , 2017 , 21:33 IST)
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होमी जहांगीर भाभा का जन्म 30 अक्टूबर 1909 को मुंबई के एक धनी पारसी परिवार में हुआ। उनकी परवरिश उच्चस्तरीय परिवेश में हुई। भाभा के माता-पिता दोनों ही भारत के बड़े उद्योगपति घराने टाटा के रिश्तेदार थे। 1944 में भाभा ने कुछ वैज्ञानिकों की सहायता से भारत में पहली बार परमाणु तकनीक पर रिसर्च शुरू की थी। यही कारण है कि उन्हें ‘आर्किटेक्ट ऑफ इंडियन एटॉमिक एनर्जी प्रोग्राम’ भी कहा जाता है। वो 1947 में भारत के पहले परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष नियुक्त हुए। ये होमी जहांगीर भाभा की रखी बुनियाद का ही असर है कि इतने झटकों और पाबंदियों के बावजूद भारत आज परमाणु शक्ति संपन्न देश है और उसे इसके लिए किसी दूसरे देश की मदद भी नहीं लेनी पड़ी।
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