रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने खुलासा किया है कि बैंकों के एनपीए के लिए कौन जिम्मेदार है. रघुराम राजन के मुताबिक, बैंकर्स के अलावा आर्थिक मंदी के साथ फैसले लेने में सरकार की लापरवाही भी जिम्मेदार रही. साथ ही NPA में जो बढ़ोतरी हुई है, उसके लिए पूर्व UPA सरकार में हुए घोटाले भी बड़ी वजह है. रघुराम राजन ने संसदीय समिति को दिए जवाब में कहा कि सबसे ज्यादा एनपीए यूपीए सरकार के कार्यकाल 2006-2008 के बीच रहा. आपको बता दें, हाल ही में नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने बैंकों में NPA को लेकर रघुराम राजन की नीतियों को जिम्मेदार बताया था.
फैसले लेने में दिखाई सुस्ती
रघुराम राजन ने कहा कि UPA कार्यकाल में कोलगेट जैसे घोटाले भी बाहर आए जिससे सरकार की निर्णय लेने की प्रक्रिया धीमी हुई और कई इंफ्रा प्रोजेक्ट्स पर खराब असर पड़ा और इससे फंसे हुए कर्ज में बढ़ोतरी होने लगी. संसदीय समिति की एस्टिमेट कमिटी के चेयरमैन मुरली मनोहर जोशी को रघुराम राजन ने अपना नोट भेजा है. उन्होंने लिखा है कि कोयला खदानों के संदिग्ध आवंटन और जांच के डर जैसी समस्याओं की वजह से यूपीए और उसके बाद एनडीए सरकार ने फैसले लेने में देरी की. यही वजह रही कि कर्जदारों के लिए कर्ज चुकाना मुश्किल होता गया.
बैंकों ने नहीं उठाए कदम
रघुराम राजन ने कहा कि बैंकों ने भी अति आशावादी रवैया अपनाते हुए बड़े लोन देने में सावधानी नहीं बरती, इसके बाद जब बैंकों के कर्ज फंसने लगे तो भी उन्होंने समय रहते कदम नहीं उठाए. उन्होंने यह भी कहा कि वह नहीं जानते की बैंकों ने ऐसा किस वजह से किया. राजन ने कहा, 'इस दौरान बैंकों ने गलतियां की. उन्होंने पूर्व के विकास और भविष्य के प्रदर्शन को गलत आंका. वे प्रोजेक्ट्स में अधिक हिस्सा लेना चाहते थे. वास्तव में कई बार प्रमोटर्स के निवेश बैंकों के प्रोजेक्ट्स रिपोर्ट के आधार पर ही बिना उचित जांच-पड़ताल किए साइन कर दिया.'
ओवरकॉन्फिडेंस में थे बैंकर्स
राजन ने अपने नोट में कहा है कि NPA की समस्या में गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार दोनों शामिल है. उन्होंने कहा कि बैंकर्स ओवरकॉन्फिडेंस में थे और लोन देने से पहले बहुत कम जांच-पड़ताल की. यही वजह रही कि डूबते कर्ज पर भी कभी ध्यान नहीं दिया गया. साथ ही बिना सोचे प्रोजेक्ट्स के लिए लोन बांटे गए. एक उदाहरण देते हुए राजन ने कहा कि एक प्रोमोटर ने उन्हें बताया था कि कैसे बैंकों ने उनके सामने चेकबुक लहराते हुए कहा था कि जितनी चाहो राशि भर लो.
फैसले लेने में दिखाई सुस्ती
रघुराम राजन ने कहा कि UPA कार्यकाल में कोलगेट जैसे घोटाले भी बाहर आए जिससे सरकार की निर्णय लेने की प्रक्रिया धीमी हुई और कई इंफ्रा प्रोजेक्ट्स पर खराब असर पड़ा और इससे फंसे हुए कर्ज में बढ़ोतरी होने लगी. संसदीय समिति की एस्टिमेट कमिटी के चेयरमैन मुरली मनोहर जोशी को रघुराम राजन ने अपना नोट भेजा है. उन्होंने लिखा है कि कोयला खदानों के संदिग्ध आवंटन और जांच के डर जैसी समस्याओं की वजह से यूपीए और उसके बाद एनडीए सरकार ने फैसले लेने में देरी की. यही वजह रही कि कर्जदारों के लिए कर्ज चुकाना मुश्किल होता गया.
बैंकों ने नहीं उठाए कदम
रघुराम राजन ने कहा कि बैंकों ने भी अति आशावादी रवैया अपनाते हुए बड़े लोन देने में सावधानी नहीं बरती, इसके बाद जब बैंकों के कर्ज फंसने लगे तो भी उन्होंने समय रहते कदम नहीं उठाए. उन्होंने यह भी कहा कि वह नहीं जानते की बैंकों ने ऐसा किस वजह से किया. राजन ने कहा, 'इस दौरान बैंकों ने गलतियां की. उन्होंने पूर्व के विकास और भविष्य के प्रदर्शन को गलत आंका. वे प्रोजेक्ट्स में अधिक हिस्सा लेना चाहते थे. वास्तव में कई बार प्रमोटर्स के निवेश बैंकों के प्रोजेक्ट्स रिपोर्ट के आधार पर ही बिना उचित जांच-पड़ताल किए साइन कर दिया.'
ओवरकॉन्फिडेंस में थे बैंकर्स
राजन ने अपने नोट में कहा है कि NPA की समस्या में गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार दोनों शामिल है. उन्होंने कहा कि बैंकर्स ओवरकॉन्फिडेंस में थे और लोन देने से पहले बहुत कम जांच-पड़ताल की. यही वजह रही कि डूबते कर्ज पर भी कभी ध्यान नहीं दिया गया. साथ ही बिना सोचे प्रोजेक्ट्स के लिए लोन बांटे गए. एक उदाहरण देते हुए राजन ने कहा कि एक प्रोमोटर ने उन्हें बताया था कि कैसे बैंकों ने उनके सामने चेकबुक लहराते हुए कहा था कि जितनी चाहो राशि भर लो.
बताई रुपये गिरने की बड़ी वजह
डॉलर के मुकाबले रुपया अपने अब तक सबसे निचले स्तर पर है. सितम्बर 6 रुपया 29 पैसे की गिरावट के साथ 70.31 के स्तर पर पहुंच गया. रुपया की रिकॉर्ड गिरावट से सरकार चिंतित नहीं है. सरकार का मानना है कि विदेशी कारणों के चलते रुपये में रिकॉर्ड गिरावट आ रही है. वहीं, आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने भी रुपये को लेकर बयान दिया है. उन्होंने एक इंटरव्यू में रुपये के गिरने के कारणों पर चर्चा की. साथ ही बताया कि कैसे रुपये में सुधार आ सकता है.
रघुराम राजन ने बताया क्यों गिर रहा है रुपया
आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में रुपये की गिरावट पर बयान दिया है. रघुराम राजन का कहना है कि रुपये में गिरावट चिंता का विषय नहीं है. उन्होंने कहा कि एमर्जिंग मार्केट्स के हालात 2013 के मुकाबले काफी अच्छे हैं. इसलिए रुपये के गिरने से कोई खतरा नहीं है. दरअसल, भारत में महंगाई दर दुनिया के मुकाबले ज्यादा है, ऐसे में रुपये में थोड़ी और कमजोरी देखने को मिल सकती है. उन्होंने कहा कि हालात बेहतर होने के लिए रुपये में और कमजोरी आनी चाहिए.
आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में रुपये की गिरावट पर बयान दिया है. रघुराम राजन का कहना है कि रुपये में गिरावट चिंता का विषय नहीं है. उन्होंने कहा कि एमर्जिंग मार्केट्स के हालात 2013 के मुकाबले काफी अच्छे हैं. इसलिए रुपये के गिरने से कोई खतरा नहीं है. दरअसल, भारत में महंगाई दर दुनिया के मुकाबले ज्यादा है, ऐसे में रुपये में थोड़ी और कमजोरी देखने को मिल सकती है. उन्होंने कहा कि हालात बेहतर होने के लिए रुपये में और कमजोरी आनी चाहिए.
टर्की संकट पर बोले रघुराम राजन
रघुराम राजन ने टर्की संकट पर बात करते हुए कहा कि खराब नीतियों की वजह से टर्की में आर्थिक संकट गहरा रहा है. सिर्फ टर्की ही नहीं कई और देशों की हालत भी नाजुक है. टर्की में करेंसी संकट बढ़ने का अभी भी डर है. डॉलर इंडेक्स की ऊंचाई और अमेरिका के फैसले से टर्की में यह हालात बने हैं. दरअसल, टर्की के मेटल इंपोर्ट पर ड्यूटी को अमेरिका ने दोगुनी कर दिया है, जिसकी वजह से करेंसी मार्केट में हड़कंप है. अमेरिका के इस कदम से टर्की की करेंसी लीरा अब तक 40 फीसदी टूट चुकी है. वहीं, डॉलर इंडेक्स 14 महीने की ऊंचाई पर है.
रघुराम राजन ने टर्की संकट पर बात करते हुए कहा कि खराब नीतियों की वजह से टर्की में आर्थिक संकट गहरा रहा है. सिर्फ टर्की ही नहीं कई और देशों की हालत भी नाजुक है. टर्की में करेंसी संकट बढ़ने का अभी भी डर है. डॉलर इंडेक्स की ऊंचाई और अमेरिका के फैसले से टर्की में यह हालात बने हैं. दरअसल, टर्की के मेटल इंपोर्ट पर ड्यूटी को अमेरिका ने दोगुनी कर दिया है, जिसकी वजह से करेंसी मार्केट में हड़कंप है. अमेरिका के इस कदम से टर्की की करेंसी लीरा अब तक 40 फीसदी टूट चुकी है. वहीं, डॉलर इंडेक्स 14 महीने की ऊंचाई पर है.
करेंसी मार्केट में हड़कंप
टर्की और यूरोप के अलावा रुपये में गिरावट से करेंसी मार्केट में हड़कंप मचा है. यही वजह है कि मंगलवार को रुपया ने 70.31 के ऑलटाइम लो पर पहुंच गया है. हालांकि, भारतीय सरकार का कहना है कि रुपया विदेशी कारणों की वजह से गिर रहा है, इसमें चिंता की कोई बात नहीं है. आर्थिक मामलों की सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने कहा कि विदेशी संकट आगे सामान्य हो जाएंगे. इससे रुपये की स्थिति में सुधार होगा.
टर्की और यूरोप के अलावा रुपये में गिरावट से करेंसी मार्केट में हड़कंप मचा है. यही वजह है कि मंगलवार को रुपया ने 70.31 के ऑलटाइम लो पर पहुंच गया है. हालांकि, भारतीय सरकार का कहना है कि रुपया विदेशी कारणों की वजह से गिर रहा है, इसमें चिंता की कोई बात नहीं है. आर्थिक मामलों की सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने कहा कि विदेशी संकट आगे सामान्य हो जाएंगे. इससे रुपये की स्थिति में सुधार होगा.
10 फीसदी टूट चुका है रुपया
साल 2018 में रुपया अब तक 10 फीसदी से ज्यादा टूट चुका है. रुपया इस साल की शुरुआत से लगातार कमजोर हो रहा है. हालांकि, बीते साल रुपए ने डॉलर की तुलना में 5.96 फीसदी की मजबूती दर्ज की थी. वहीं, इस महीने डॉलर के मुकाबले रुपया अब तक 1.84 रुपए टूट चुका है.
साल 2018 में रुपया अब तक 10 फीसदी से ज्यादा टूट चुका है. रुपया इस साल की शुरुआत से लगातार कमजोर हो रहा है. हालांकि, बीते साल रुपए ने डॉलर की तुलना में 5.96 फीसदी की मजबूती दर्ज की थी. वहीं, इस महीने डॉलर के मुकाबले रुपया अब तक 1.84 रुपए टूट चुका है.
क्यों गिर रहा है रुपया
बाजार के जानकारों की मानें तो अमेरिका और चीन में ट्रेड वॉर से ऑयल इम्पोर्टर्स के बीच डॉलर की डिमांड बढ़ी, जिससे रुपए पर दबाव बना. अगले महीने अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ने की भी उम्मीद हैं. इससे डॉलर को लगातार मजबूती मिल रही है. यूरोपीयन करंसी में भी स्लोडाउन आने से अन्य करंसी के मुकाबले डॉलर में मजबूती आ रही है. यही वजह है जिससे रुपया गिर रहा है.
बाजार के जानकारों की मानें तो अमेरिका और चीन में ट्रेड वॉर से ऑयल इम्पोर्टर्स के बीच डॉलर की डिमांड बढ़ी, जिससे रुपए पर दबाव बना. अगले महीने अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ने की भी उम्मीद हैं. इससे डॉलर को लगातार मजबूती मिल रही है. यूरोपीयन करंसी में भी स्लोडाउन आने से अन्य करंसी के मुकाबले डॉलर में मजबूती आ रही है. यही वजह है जिससे रुपया गिर रहा है.
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