इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सितम्बर 11 को पुलिस से कहा कि वह उच्चतम न्यायालय के 2014 के एक आदेश द्वारा समर्थित सीआरपीसी के प्रावधानों का पालन किए बगैर एक दलित महिला और उसकी बेटी पर हमले के आरोपी चार लोगों को गिरफ्तार नहीं कर सकती.
यह मामला आईपीसी के साथ-साथ अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (उत्पीड़न निरोधक) कानून के तहत दर्ज हुआ था, लेकिन न्यायालय ने पुलिस को तत्काल ‘‘नियमित’’ (रूटीन) गिरफ्तारी करने से रोक दिया.
उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ में न्यायमूर्ति अजय लांबा और न्यायमूर्ति संजय हरकौली की खंडपीठ ने यह आदेश पारित किया. साल 2014 में उच्चतम न्यायालय ने अर्णेश कुमार के मामले में आरोपी की गिरफ्तारी पर दिशानिर्देशों का समर्थन किया था.
सीआरपीसी की धारा 41 और 41-ए कहती है कि सात साल तक की जेल की सजा का सामना कर रहे किसी आरोपी को तब तक गिरफ्तार नहीं किया जाएगा जब तक पुलिस रिकॉर्ड में उसकी गिरफ्तारी के पर्याप्त कारणों को स्पष्ट नहीं किया जाता.
अवलोकन करें:--
उच्च न्यायालय का आदेश ऐसे समय पर आया है जब अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (उत्पीड़न निरोधक) कानून का दुरूपयोग रोकने के लिए उच्चतम न्यायालय की ओर से पारित आदेश को पलटने की मंशा से हाल में संसद ने इस कानून में संशोधन के लिए एक विधेयक पारित किया है.
केंद्र सरकार द्वारा लाए गए एससी-एसटी एक्ट के खिलाफ सोशल मीडिया पर देवकीनंदन ठाकुर के कई संदेश वायरल हो रहे हैं. जिनमें वह सवर्ण जातियों को एससी/एसटी समुदाय के लोगों के सामाजिक कार्यों का बहिष्कार करने की बात कह रहे हैं. हालांकि इन संदेशों की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हो पाई है. इन संदेशों को लेकर विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा आपत्ति दर्ज की जा रही है. बताया जा रहा है कि एससी/एसटी एक्ट के खिलाफ ठाकुर ने आगरा के खंदौली में सवर्ण समाज की एक सभा का आयोजन किया था. प्रशासन ने कथा वाचक को इस आयोजन की अनुमति नहीं दी और उनके खंदौली में प्रवेश पर भी रोक लगा दी थी.
सितम्बर 11 की सुबह देवकीनंदन ठाकुर अपने समर्थकों के साथ आगरा के एक होटल में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे. इसी दौरान पुलिस वहां पहुंची और उन्हें हिरासत में लेकर पुलिस लाइन ले लाई. देवकीनंदन ठाकुर की गिरफ्तारी पर उनके समर्थकों में आक्रोश फैल गया और सैकड़ों की संख्या में लोग सड़कों पर उतरकर पुलिस तथा स्थानीय प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करने लगे. देवकीनंदन ठाकुर ने पुलिस की इस कार्रवाई पर कहा कि पुलिस ने खंदौली में उनके प्रवेश पर रोक लगाई थी और वे कानून का पालन करते हुए खंदौली नहीं गए, लेकिन आगरा में पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया, यह सरासर लोकतंत्र की हत्या है.
हालांकि दोपहर बाद पुलिस ने देवकीनंदन ठाकुर को रिहा कर दिया. पुलिस ने उन्हें धारा 151 के तहत गिरफ्तार किया था और निजी मुचलका भरवाकर उन्हें रिहा कर दिया.
एससी/एसटी एक्ट के खिलाफ आंदोलन खड़ा करने के लिए 'अखंड इंडिया मिशन' नाम का एक दल बनाया गया है और देवकीनंदन ठाकुर को इस दल का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया है.
यह मामला आईपीसी के साथ-साथ अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (उत्पीड़न निरोधक) कानून के तहत दर्ज हुआ था, लेकिन न्यायालय ने पुलिस को तत्काल ‘‘नियमित’’ (रूटीन) गिरफ्तारी करने से रोक दिया.
उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ में न्यायमूर्ति अजय लांबा और न्यायमूर्ति संजय हरकौली की खंडपीठ ने यह आदेश पारित किया. साल 2014 में उच्चतम न्यायालय ने अर्णेश कुमार के मामले में आरोपी की गिरफ्तारी पर दिशानिर्देशों का समर्थन किया था.
सीआरपीसी की धारा 41 और 41-ए कहती है कि सात साल तक की जेल की सजा का सामना कर रहे किसी आरोपी को तब तक गिरफ्तार नहीं किया जाएगा जब तक पुलिस रिकॉर्ड में उसकी गिरफ्तारी के पर्याप्त कारणों को स्पष्ट नहीं किया जाता.
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भाजपा बताए- क्या बिना जांच गिरफ्तारी सही
भारतीय नागरिक परिषद ने भी एससी-एसटी एक्ट के विरोध में सितम्बर 6 को भारत बंद के समर्थन का एलान किया है। परिषद के अध्यक्ष चंद्रप्रकाश अग्निहोत्री और ट्रस्टी रमाकांत दुबे ने कहा कि जनता यह जानना चाहती है कि किसी मामले में भाजपा क्या बिना जांच गिरफ्तारी को उचित मानती है। वहीं, क्षत्रिय कल्याण परिषद ने एससी-एसटी एक्ट के विरोध में यहां इंदिरा भवन के सामने वीर बहादुर सिंह पार्क में शुरू हुए क्रमिक अनशन में पूर्व डीजीपी यशपाल सिंह, पूर्व उद्यान निदेशक आरपी सिंह व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अवधेश सिंह शामिल हुए।
साँप-छछूंदर की स्थिति
भूतपूर्व प्रधानमन्त्री राजीव गाँधी द्वारा ठन्डे बस्ते में रखी मंडल कमीशन की रपट को जिस तरह तत्कालीन प्रधानमन्त्री वी.पी.सिंह ने सार्वजनिक कर देश में भूचाल ला दिया था, ठीक उसी भाँति मोदी सरकार ने आरक्षण के मुद्दे को छेड़ साँप-छछूंदर की स्थिति में आ गयी है। आरक्षण से पहले ही सवर्ण परेशान थे, अब इस एक्ट को लाकर जले पर घी डालने का काम किया है।
आज दलित और अनुसूचित जातियों के नाम पर इतनी पार्टियाँ गठित हो चुकी हैं, जिन्होंने केवल तिजोरियाँ ही भरी है, और कुछ काम नहीं किया। आज इन सभी पार्टियों से प्रश्न है कि "जब जाति के नाम पर आरक्षण माँगा जाता है, फिर जाति के नाम से पुकारने पर पाबन्दी क्यों? आखिर कब तक ये दोगली नीति चलती रहेगी?"
दूसरे, जब संविधान सबको बराबरी का अधिकार देता है, फिर आरक्षण किस आधार पर दिया जा रहा है? जब नेता ही भारतीय संविधान की शपथ लेकर भारतीय संविधान का अनादर कर रहे हैं, फिर जनता द्वारा संविधान को अपमानित करने पर दण्डित भी नहीं किया जाए।
इतना ही नहीं, चुनाव रैलियों से लेकर आज तक प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी जो "सबका साथ, सबका विकास" की बात करते हैं, क्या इसी तरह "सबका साथ, सबका विकास" होता है? जो काम पिछली सरकारें करती रहीं, जब वही काम वर्तमान सरकार भी कर रही है, फिर वर्तमान सरकार में पिछली सरकारों में कोई अन्तर नहीं। सभी नेता समाज को बाँट अपनी कुर्सी पक्की करते रहे हैं। आखिर कब तक नेता जनता में भेदभाव करते रहेंगे? नेताओं की इन गलत नीतियों के कारण मर जनता रही है,-- चाहे वह किसी भी धर्म अथवा जाति से हो-- किसी नेता या उसके परिवार पर कोई असर नहीं होने वाला।
साँप-छछूंदर की स्थिति
भूतपूर्व प्रधानमन्त्री राजीव गाँधी द्वारा ठन्डे बस्ते में रखी मंडल कमीशन की रपट को जिस तरह तत्कालीन प्रधानमन्त्री वी.पी.सिंह ने सार्वजनिक कर देश में भूचाल ला दिया था, ठीक उसी भाँति मोदी सरकार ने आरक्षण के मुद्दे को छेड़ साँप-छछूंदर की स्थिति में आ गयी है। आरक्षण से पहले ही सवर्ण परेशान थे, अब इस एक्ट को लाकर जले पर घी डालने का काम किया है।
आज दलित और अनुसूचित जातियों के नाम पर इतनी पार्टियाँ गठित हो चुकी हैं, जिन्होंने केवल तिजोरियाँ ही भरी है, और कुछ काम नहीं किया। आज इन सभी पार्टियों से प्रश्न है कि "जब जाति के नाम पर आरक्षण माँगा जाता है, फिर जाति के नाम से पुकारने पर पाबन्दी क्यों? आखिर कब तक ये दोगली नीति चलती रहेगी?"
दूसरे, जब संविधान सबको बराबरी का अधिकार देता है, फिर आरक्षण किस आधार पर दिया जा रहा है? जब नेता ही भारतीय संविधान की शपथ लेकर भारतीय संविधान का अनादर कर रहे हैं, फिर जनता द्वारा संविधान को अपमानित करने पर दण्डित भी नहीं किया जाए।
इतना ही नहीं, चुनाव रैलियों से लेकर आज तक प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी जो "सबका साथ, सबका विकास" की बात करते हैं, क्या इसी तरह "सबका साथ, सबका विकास" होता है? जो काम पिछली सरकारें करती रहीं, जब वही काम वर्तमान सरकार भी कर रही है, फिर वर्तमान सरकार में पिछली सरकारों में कोई अन्तर नहीं। सभी नेता समाज को बाँट अपनी कुर्सी पक्की करते रहे हैं। आखिर कब तक नेता जनता में भेदभाव करते रहेंगे? नेताओं की इन गलत नीतियों के कारण मर जनता रही है,-- चाहे वह किसी भी धर्म अथवा जाति से हो-- किसी नेता या उसके परिवार पर कोई असर नहीं होने वाला।
दुरूपयोग होता आरक्षण नीति का
योगी जी शायद इस बात को भूल रहे हैं कि इस कानून का दुरूपयोग हर हाल में होगा, और जब जाति के नाम पर इसका दुरूपयोग हो रहा होगा, मुख्यमन्त्री रहते हुए भी कुछ करने में पूर्णरूप से असमर्थ देखा जा सकेगा। आज जिस नेता को देखो डॉ आंबेडकर का भक्त बना फिर रहा है, जब डॉ साहब के ही जीवनकाल में आरक्षण का दुरूपयोग होता देख, इसे समाप्त करने को कहा था, क्यों नहीं मानी गयी उनकी बात? डॉ साहब की बात इसलिए नहीं मानी गयी, इसमें नेताओं का स्वार्थ था, उनकी प्यारी कुर्सी थी, नेताओं को अपने लालन-पालन की चिन्ता थी, नेताओं को इस आरक्षण को सीढ़ी बनाकर कुर्सी पर बैठ, अपनी तिजोरियाँ भरनी थी, और मूर्ख सवर्ण इन नेताओं की चापलूसी करते रहे, जिसने इस गलत कार्य को करने में एक नई ऊर्जा देते रहे।
इतना ही नहीं, डॉ साहब ने केवल 10 वर्ष मांगे थे, लेकिन आज तक आरक्षण है और भविष्य में भी रहेगा, क्योकि इन नेताओं को समाज को विभाजित किए रखने में ही अपनी भलाई दिखती है। निर्वाचन सीटें तो आरक्षित कर दी, क्या संविधान समाज को विभाजित करने की आज्ञा देता है? शपथ संविधान की खाते हैं, और संविधान का ही सरेआम अपमान करते हैं, क्या इसी का नाम धर्म-निरपेक्षता और समाजवाद है? जो नेता अपनी सुख-सुविधाओं की खातिर देश को छोटे-छोटे टुकड़ों में बाँट राज्य का नाम दे रहे हैं, अप्रत्यक्ष रूप से देश का भला नहीं, अपना भला कर रहे हैं। आज़ादी उपरान्त भारत में कितने राज्य थे और कितने हैं, जो इस नेताओं की विघटनकारी नीतियों का प्रमाण है? जो नेता अपने प्रदेश को नहीं संभाल सकता देश को क्या संभालेगा? देश को खण्डित करने वाला नेता समाज किस मुँह से अखंड भारत की बात करता है?
योगी जी शायद इस बात को भूल रहे हैं कि इस कानून का दुरूपयोग हर हाल में होगा, और जब जाति के नाम पर इसका दुरूपयोग हो रहा होगा, मुख्यमन्त्री रहते हुए भी कुछ करने में पूर्णरूप से असमर्थ देखा जा सकेगा। आज जिस नेता को देखो डॉ आंबेडकर का भक्त बना फिर रहा है, जब डॉ साहब के ही जीवनकाल में आरक्षण का दुरूपयोग होता देख, इसे समाप्त करने को कहा था, क्यों नहीं मानी गयी उनकी बात? डॉ साहब की बात इसलिए नहीं मानी गयी, इसमें नेताओं का स्वार्थ था, उनकी प्यारी कुर्सी थी, नेताओं को अपने लालन-पालन की चिन्ता थी, नेताओं को इस आरक्षण को सीढ़ी बनाकर कुर्सी पर बैठ, अपनी तिजोरियाँ भरनी थी, और मूर्ख सवर्ण इन नेताओं की चापलूसी करते रहे, जिसने इस गलत कार्य को करने में एक नई ऊर्जा देते रहे।
इतना ही नहीं, डॉ साहब ने केवल 10 वर्ष मांगे थे, लेकिन आज तक आरक्षण है और भविष्य में भी रहेगा, क्योकि इन नेताओं को समाज को विभाजित किए रखने में ही अपनी भलाई दिखती है। निर्वाचन सीटें तो आरक्षित कर दी, क्या संविधान समाज को विभाजित करने की आज्ञा देता है? शपथ संविधान की खाते हैं, और संविधान का ही सरेआम अपमान करते हैं, क्या इसी का नाम धर्म-निरपेक्षता और समाजवाद है? जो नेता अपनी सुख-सुविधाओं की खातिर देश को छोटे-छोटे टुकड़ों में बाँट राज्य का नाम दे रहे हैं, अप्रत्यक्ष रूप से देश का भला नहीं, अपना भला कर रहे हैं। आज़ादी उपरान्त भारत में कितने राज्य थे और कितने हैं, जो इस नेताओं की विघटनकारी नीतियों का प्रमाण है? जो नेता अपने प्रदेश को नहीं संभाल सकता देश को क्या संभालेगा? देश को खण्डित करने वाला नेता समाज किस मुँह से अखंड भारत की बात करता है?
भारत बंद का आह्वान किया था। जिसका स....
झा के सामने भाजपा मुर्दाबाद के नारे लगाए, भेंट की चूड़ियां
केंद्र सरकार द्वारा एससी-एसटी एक्ट में बदलाव का प्रस्ताव पास करने से गुस्साए सामान्य वर्ग के लोगों ने शुक्रवार को मुरैना आए भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व सांसद प्रभात झा को घेर लिया। यह प्रदर्शन किसी भी संगठन के बैनर तले नहीं हुआ। भीड़ में शामिल 100 से अधिक लोगों ने उनकी गाड़ी को आधा घंटे तक घेरकर रखा और प्रभात झा वापस जाओ, सवर्ण एकता जिंदाबाद, भाजपा मुर्दाबाद आदि के नारे लगाते हुए न सिर्फ काले झंडे दिखाए बल्कि चूड़ियां भी भेंट कर दीं।
केंद्र सरकार द्वारा एससी-एसटी एक्ट में बदलाव का प्रस्ताव पास करने से गुस्साए सामान्य वर्ग के लोगों ने शुक्रवार को मुरैना आए भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व सांसद प्रभात झा को घेर लिया। यह प्रदर्शन किसी भी संगठन के बैनर तले नहीं हुआ। भीड़ में शामिल 100 से अधिक लोगों ने उनकी गाड़ी को आधा घंटे तक घेरकर रखा और प्रभात झा वापस जाओ, सवर्ण एकता जिंदाबाद, भाजपा मुर्दाबाद आदि के नारे लगाते हुए न सिर्फ काले झंडे दिखाए बल्कि चूड़ियां भी भेंट कर दीं।
कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर गिरफ्तार; SC/ST एक्ट के खिलाफ करने जा रहे थे रैली
आगरा में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान देवकिनंदन ठाकुर का गिरफ्तार किया गया था |
प्रसिद्ध कथा वाचक देवकीनंदन ठाकुर को आगरा पुलिस ने सितम्बर 11 को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने दोपहर बाद उनको रिहा कर दिया. पुलिस का आरोप है कि देवकीनंदन ठाकुर के आगरा में प्रवेश की अनुमति नहीं थी. अनुमति नहीं होने के बाद भी वह एक कार्यक्रम में शिरकत करने के लिए आगरा आए और प्रेस कॉन्फ्रेंस करने लगे. पुलिस ने जब उन्हें हिरासत में लिया तो उनके समर्थक गुस्सा हो गए और पुलिस के खिलाफ नारेबाजी करने लगे.
केंद्र सरकार द्वारा लाए गए एससी-एसटी एक्ट के खिलाफ सोशल मीडिया पर देवकीनंदन ठाकुर के कई संदेश वायरल हो रहे हैं. जिनमें वह सवर्ण जातियों को एससी/एसटी समुदाय के लोगों के सामाजिक कार्यों का बहिष्कार करने की बात कह रहे हैं. हालांकि इन संदेशों की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हो पाई है. इन संदेशों को लेकर विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा आपत्ति दर्ज की जा रही है. बताया जा रहा है कि एससी/एसटी एक्ट के खिलाफ ठाकुर ने आगरा के खंदौली में सवर्ण समाज की एक सभा का आयोजन किया था. प्रशासन ने कथा वाचक को इस आयोजन की अनुमति नहीं दी और उनके खंदौली में प्रवेश पर भी रोक लगा दी थी.
सितम्बर 11 की सुबह देवकीनंदन ठाकुर अपने समर्थकों के साथ आगरा के एक होटल में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे. इसी दौरान पुलिस वहां पहुंची और उन्हें हिरासत में लेकर पुलिस लाइन ले लाई. देवकीनंदन ठाकुर की गिरफ्तारी पर उनके समर्थकों में आक्रोश फैल गया और सैकड़ों की संख्या में लोग सड़कों पर उतरकर पुलिस तथा स्थानीय प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करने लगे. देवकीनंदन ठाकुर ने पुलिस की इस कार्रवाई पर कहा कि पुलिस ने खंदौली में उनके प्रवेश पर रोक लगाई थी और वे कानून का पालन करते हुए खंदौली नहीं गए, लेकिन आगरा में पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया, यह सरासर लोकतंत्र की हत्या है.
हालांकि दोपहर बाद पुलिस ने देवकीनंदन ठाकुर को रिहा कर दिया. पुलिस ने उन्हें धारा 151 के तहत गिरफ्तार किया था और निजी मुचलका भरवाकर उन्हें रिहा कर दिया.
एससी/एसटी एक्ट के खिलाफ आंदोलन खड़ा करने के लिए 'अखंड इंडिया मिशन' नाम का एक दल बनाया गया है और देवकीनंदन ठाकुर को इस दल का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया है.
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