महिला द्वारा आभूषण धारण करना हिन्दू संस्कृति पूर्णतः विज्ञान से जुड़ी है

आज पश्चिमी सभ्यता के प्रभाव के कारण हम युगों प्राचीन सनातनी रीति-रिवाज को नज़रअंदाज करने के आदी हो गए हैं, जिस कारण संस्कारों की बात करने वालों को रूढ़िवादी अथवा सठियाया बता झूठलाने का प्रयत्न करते हैं। हर नारी को स्वर्ण का मोह होता है, जिसे झूठलाया नहीं जा सकता। हिन्दू वेद, पुराण, उपनिषद एवं भारतीय संस्कृति इस बात की साक्षी है कि नारी द्वारा अपने अंगों पर धारण किए आभूषण का अपना महत्व होता है।
स्वर्ण आभूषण धारण कर नारी सुन्दर ही नहीं, अपितु देवी का स्वरुप मानी जाती है। यही कारण है कि जब घर में बहु का पदापर्ण होने पर कहते हैं, घर में लक्ष्मी आयी है। इसी कारण जिस परिवार में नारी का अनादर किया जाता है, उस परिवार में देवी माता का प्रकोप बना रहता है।
बहुत सी ऐसी चीजें है जो हम सदियों से करते चले आ रहे हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि हाथ जोड़ कर नमस्कार करना, बड़ों के पैर छूना, मंदिर की घंटी बजाना, आदि हम सिर्फ संस्कृति के हिसाब से ही नहीं करते, बल्कि इनके पीछे वैज्ञानिक कारण भी हैं। तो आइये जानें इन रीति-रिवाजों से जुड़े कुछ ऐसे वैज्ञानिक कारण जो आपको हैरान कर देंगे।

1. हाथ जोड़कर प्रणाम करना
हिन्दू संस्कृति में लोग, अपने हाथ जोड़ कर लोगों का अभिवादन करते हैं जिसे हम नमस्कार कहते हैं। इसका मतलब लोगों को सम्मान देना है। इसके पीछे एक वैज्ञानिक कारण है, जब हम नमस्कार करते हैं तो हमारे हाथों की हथेलियां आपस में जुड़ती हैं जिससे अंगुलियों के माध्यम से एक प्रेशर पैदा होता है, जो हमारी याददाश्त को मजबूत बनाने में सहायक होता है।
2. महिलाओ का पैर में बिछुआ पहनना
पैरों में बिछुआ पहनना शादीशुदा महिलाओं का आइडेंटिफिकेशन ही नहीं है बल्कि इसके पीछे एक वैज्ञानिक कारण भी है। पैर की दूसरी अंगुली नर्व के माध्यम से यूटरस औऱ दिल से जुड़ी होती है। बिछुआ पहनने से प्रेशर के द्वारा यूटरस मजबूत बनता है और Periods के दौरान होने वाले ब्लड सर्कुलेशन को सही तरीके से चलाने में मददगार होता है। चांदी एक अच्छा कंडक्टर है इसलिये चांदी की अंगूठी पहनना ज़्यादा फायदेमंद साबित होता है।
3. नदी में सिक्के फ़ेंकना
साधारण रूप से नदी में सिक्के फ़ेंकने को गुडलक माना जाता है, लेकिन इसके पीछे एक वैज्ञानिक सच छिपा है। वर्तमान समय में जिस तरह से स्टील के सिक्के बनते हैं। प्राचीन काल में कॉपर के सिक्के बना करते थे। कॉपर हमारे शरीर के लिए बेहद आवश्यक धातु है जो पानी में घुल कर हमारे शरीर में प्रवेश करता है।
4. माथे पर बिंदी लगाना
माथे पर दो भौंहों के बीच एक नर्व प्वाइंट होता है जिसे आज्ञा चक्र कहा जाता है। यह प्वाइंट हमारी एकाग्रता को नियंत्रित करता है। इस प्वाइंट पर बिंदी लगाने से एकाग्रता शक्ति संतुलित होती है।
5. मंदिर में घंटी बजाना
शास्त्रों के अनुसार मंदिर में प्रवेश करने से पहले घंटी बजाने से सभी बुरी शक्तियां दूर होती हैं. लेकिन इसका वैज्ञानिक कारण है कि हमें पूजा करने में एकाग्रता मिलती है. और इसकी आवाज से हमारे शरीर के हीलिंग सेंटर एक्टीवेट होते हैं।
6. भोजन के बाद मीठा खाना
हमारे पूर्वज खाने के बाद मीठा खाते थे. इसके पीछे भी एक वैज्ञानिक राज़ है। इससे हमारे पाचक रस और एसिड, एक्टिवेट होकर हमारा डाइजेशन अच्छी तरह से चलाते हैं।
7. हाथ-पैर मे मेंहदी लगाना
मेंहदी एक औषधीय हर्ब है जिसे लगाने से हमारा शरीर ठंडा रहता है और शादी के समय इसे लगाने से वर-वधु तनाव-मुक्त रहते हैं।
8. खाना खाते समय पैर समेटकर बैठना
जब हम दोनों पैरों को समेटकर बैठते हैं तो इसे योगासन की भाषा में सुखासन कहा जाता है, इस अवस्था में बैठकर खाने से शांती मिलती है जो हमारे डाइजेशन के लिए मददगार होती है।
9. सोते वक़्त उत्तर दिशा की तरफ़ सर न करना
इसके पीछे यह मान्यता है कि उत्तर की ओर मरे हुए लोगों को लिटाया जाता है। लेकिन वैज्ञानिक मानते हैं कि पृथ्वी में बहुत बड़ा मैग्नेटिक फील्ड है। मानव में भी एक मैग्नेटिक फील्ड होता है. अगर हम उत्तर की तरफ़ सोयेंगे तो हमारा शरीर और पृथ्वी एक दूसरे के अट्रैक्शन सेन्टर में होंगे। जिससे ब्लड प्रेशर और हेडेक होने की संभावना अधिक होती है।
10. कान में छेद करना
पश्चिम देशों में इसे फैशन के तौर पर देखा जाता है, लेकिन भारतीय संस्कृति में इसकी महत्वपूर्ण उपयोगिता है, भारतीय फिजीशियन और फिलॉसफर्स के अनुसार ऐसा करने से मनुष्य की सोचने व समझने की क्षमता का विकास होता है।
11. सूर्य नमस्कार करना
हिंदू परम्परा के अनुसार तड़के सूर्य को जल चढ़ा कर उसकी पूजा की जाती है. इसके पीछे यह वैज्ञानिक कारण हैं कि सूर्य को जल देते समय सूर्य की किरणें जल से हो कर हमारी आंखो पर पड़ती हैं, जिससे हमारी आंखें स्वस्थ होती है।
12. सर पर चोटी रखना
हिंदू धर्म में लोग अपने सर के बीच में चोटी रखते हैं। आयुर्वेदाचार्यों ने कहा है कि “हमारे सर के बीच में सेंसटिव स्पॉट होता है जो नर्व का मिडिल सेंटर है और चोटी रखने से वह सुरक्षित रहता है”।
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13. व्रत रखना
भारत में व्रत को आस्था से जोड़ कर देखा जाता है लेकिन वैज्ञानिक मानते हैं कि मानव शरीर में होने वाले अधिकांश रोगों का मुख्य कारण डाइजेस्टिव सिस्टम में टॉक्सिक मटेरियल का जमा होना होता है। इस प्रकार व्रत रखने से हमारे डाइजेस्टिव ऑर्गन को आराम मिलता है और टॉक्सिक मटेरियल की मात्रा भी कम होती है जिससे हमारा शरीर स्वस्थ होता है।
14. चरण स्पर्श करना
हिंदू धर्म में इसे आस्था और संस्कार के रूप में देखा जाता है लेकिन जनाब इसके पीछे भी एक वैज्ञानिक कारण है, पैर छूने से दो शरीरों के बीच पैर व हाथ के माध्यम से एक सर्किट बनता है जिससे शरीर में कॉस्मिक एनर्जी का आदान-प्रदान होता है।
15. सिंदूर लगाना
भारत में सिंदूर लगाना शादीशुदा महिलाओं की पहचान है, इसका वैज्ञानिक कारण यह है कि सिंदूर को बनाने में मर्करी का प्रयोग होता है जिसे मांग में लगाने से ब्लड प्रेशर नियंत्रित हो कर हमारे सेक्सुअल ड्राइव को एक्टिवेट रखता है। विवाहित नारी द्वारा मांग में सिन्दूर धारण करना उसके सुहागन होना ही नहीं दर्शाता बल्कि सिन्दूर का भी अलग ही महत्व है। लेकिन आधुनिकता के नाम पर पश्चिमी सभ्यता के प्रभाव में नारी सिन्दूर मात्र विवाहित मान मांग कहीं सिन्दूर कहीं लगा कर सिन्दूर का अपमान कर रही है। वैसे मांग निकालने का चलन भी एक सीमा तक समाप्त सा हो गया है। अधिकतर नारियां नहीं निकालती। अगर निकाल भी रही हैं, तो इधर-उधर, जबकि मांग सिर के मध्य में होने पर नारी की सुंदरता में चार चाँद लगा देती हैं।
16. पीपल के पेड़ की पूजा करना
हिंदू धर्म में पीपल को भगवान मान कर इसकी पूजा की जाती है। इसके पीछे का वैज्ञानिक कारण देंखे तो पीपल का पेड़ अन्य वृक्षों के मुकाबले सबसे अधिक ऑक्सीजन देता है जो हमारे जीवन के लिए अति आवश्यक है।
17. तुलसी के पेड़ की पूजा करना
हिंदू धर्म में तुलसी को मां कहा जाता है, इसमें वैज्ञानिक कारण हैं कि तुलसी एक महत्वपूर्ण मेडिसिनल प्लांट है। यह हमारे इम्यून सिस्टम, कोलेस्ट्राल, आदि को नियंत्रित करने के साथ कीड़े-मकौड़ों को भी दूर भगाता है।
18. मूर्ति पूजा करना
अन्य धर्मों की अपेक्षा हिंदू धर्म में मूर्ति पूजा सबसे अधिक होती है। ऐसा माना जाता है कि मूर्ति पूजा करने से हमारा ध्यान भटकता नहीं है लेकिन वैज्ञानिक कारण देंखे तो ऐसा करने से हमारी स्पिरिचुअल एनर्जी बढ़ती है और एकाग्रता शक्ति का भी विकास होता है।
19. हाथों में चूड़ियां पहनना
चूड़ियां पहनने से ब्लड सर्कुलेशन नियंत्रित होता है और शरीर से निकलने वाली उर्जा भी बचती है।
20. मंदिर जाना
मंदिर तो हम सभी जाते हैं लेकिन आपने कभी ये सोचा है कि इसके पीछे एक वैज्ञानिक कारण भी है। जी हां मंदिर की बनावट कुछ इस तरह कि होती है कि पृथ्वी के उत्तर व दक्षिण पोल के द्वारा अधिक मात्रा में पॉजिटिव ऊर्जा का निर्माण होता है जो मनुष्य के लिए बेहद लाभदायक होता है।
21. नाभि से नीचे स्वर्ण धारण करना निषेध
नारी अपने समस्त शरीर को स्वर्ण आभूषणों से ढक सकती हैं, लेकिन नाभि से नीचे नहीं। जिसका गूढ़ रहस्य हमारे वेद, पुराण, उपनिषद एवं अन्य पुराणों में विस्तार से वर्णित है। और जो महिला नाभि से नीचे किसी भी रूप में अथवा आकृति(कमरबंध, पायल अथवा बिछुआ) को धारण करती है, वह प्रत्यक्ष रूप से जग के पालनहार विष्णु और उनकी धर्मपत्नी माता लक्ष्मी का अपमान करते स्वयं की अग्नि में जलती रहती है। इसी लिए इन तीनों आकृतियों को केवल चांदी में ही पहनने का विधान है। किसी भी वेद अथवा पुराण में नाभि से नीचे स्वर्ण धारण करना नहीं बताया है, उसका कारण यह है कि स्वर्ण तेज(गर्मी) प्रदान करता है, जबकि चांदी ठंठाई(शरीर के तापमान को नियंत्रित) देने के ही कारण महिलाएं तगड़ी(कमरबंध) से लेकर पायल, और बिछुए चांदी के ही प्रयोग करती हैं।
गायत्री शिखा बंधन क्या है?

शिखाबन्धन (वन्दन) आचमन के पश्चात् शिखा को जल से गीला करके उसमें ऐसी गाँठ लगानी चाहिये, जो सिरा नीचे से खुल जाए।
इसे आधी गाँठ कहते हैं। गाँठ लगाते समय गायत्री मन्त्र का उच्चारण करते जाना चाहिये ।
शिखा, मस्तिष्क के केन्द्र बिन्दु पर स्थापित है। जैसे रेडियो के ध्वनि विस्तारक केन्द्रों में ऊँचे खम्भे लगे होते हैं और वहाँ से ब्राडकास्ट की तरंगें चारों ओर फेंकी जाती हैं, उसी प्रकार हमारे मस्तिष्क का विद्युत् भण्डार शिखा स्थान पर है, उस केन्द्र में से हमारे विचार, संकल्प और शक्ति परमाणु हर घड़ी बाहर निकल-निकलकर आकाश में दौड़ते रहते हैं।
इस प्रवाह से शक्ति का अनावश्यक व्यय होता है और अपना कोष घटता है। इसका प्रतिरोध करने के लिये शिखा में गाँठ लगा देते हैं। सदा गाँठ लगाये रहने से अपनी मानसिक शक्तियों का बहुत-सा अपव्यय बच जाता है।
सन्ध्या करते समय विशेष रूप से गाँठ लगाने का प्रयोजन यह है कि रात्रि को सोते समय यह गाँठ प्रायः शिथिल हो जाती है या खुल जाती है। फिर स्नान करते समय केश-शुद्धि के लिये शिखा को खोलना पड़ता है। सन्ध्या करते समय अनेक सूक्ष्म तत्त्व आकर्षित होकर अपने अन्दर स्थिर होते हैं, वे सब मस्तिष्क केन्द्र से निकलकर बाहर न उड़ जाए इसलिये शिखा में गाँठ लगा दी जाती है।
इसमें गाँठ लगा देने से भीतर भरी हुई वायु बाहर नहीं निकल पाती। गाँठ लगी हुई शिखा से भी यही प्रयोजन पूरा होता है। वह बाहर के विचार और शक्ति समूह को ग्रहण करती है । भीतर के तत्त्वों का अनावश्यक व्यय नहीं होने देती ।
आचमन से पूर्व शिखा बन्धन इसलिये नहीं होता, क्योंकि उस समय त्रिविध शक्ति का आकर्षण जहाँ जल द्वारा होता है, वह मस्तिष्क के मध्य केन्द्र द्वारा भी होता है। इस प्रकार शिखा खुली रहने से दुहरा लाभ होता है । तत्पश्चात् उसे बाँध दिया जाता है।
हिदीं में पत्नी के 47नाम देखिये
पत्नी | अर्धांगिनी | लुगाई | बीवी | धर्मपत्नी | घरवाली | संगिनी | औरत | कलत्र | कांता | गृहस्वामिनी | गृहिणी | जनाना | जाया | जोरू | दारा | नारी | परिणीता | भार्या | वधू | वल्लभा | वामा | वामांगना | वामांगिनी | सजनी | सहचरी | सहधर्मिणी | स्त्री | गेहिनी | अंकशायिनी | गृहलक्ष्मी | प्राणप्रिया | जीवनसंगिनी | तिय | तिरिया | दयिरा | दुलहन | दुलहिन | प्राणवल्लभा | प्राणेश्वरी | प्रिया | प्रियतमा | बन्नी | वनिता | बेगम | हृदयेश्वरी | श्रीमती | सहगामिनी |
और अंग्रेजी में सिर्फ एक Wife

1 comment:

Shweta said...

Well said