आखिर सुप्रीम कोर्ट दामाद की तरह केजरीवाल की जमानत पर क्यों केंद्रित है? चुनाव प्रचार के लिए केजरीवाल को अंतरिम जमानत बन जाएगी मिसाल: ED ने किया विरोध, कहा- इलेक्शन कैंपेन मौलिक अधिकार नहीं

जिस तरह सुप्रीम कोर्ट दिल्ली शराब घोटाले के kingpin अरविन्द केजरीवाल को जमानत देने पर इतना समय बर्बाद कर रहा है शंका व्यक्त करता है। 1977 में आपातकाल के बाद हुए लोक सभा चुनावों में बहुचर्चित लेबर नेता जॉर्ज फर्नांडीज़ ने कोर्ट में बंद रहकर चुनाव लड़ा था। जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद ही जेल से रिहा हुए थे। दूसरे, केजरीवाल मुख्यमंत्री है, कोर्ट कोई केजरीवाल से प्रश्न करना चाहिए कि अन्य मुख्यमंत्रियों की तरह इस्तीफा क्यों नहीं दिया? जेल से सरकार नहीं चलेगी? लेकिन कोर्ट है कि अन्य लंबित केसों को छोड़ एक ही मुक़दमे को झुनझुना बनाकर समय बर्बाद कर रही है। 
शराब घोटाले में जेल में बंद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को लोकसभा चुनाव को देखते हुए अंतरिम जमानत देने के सुप्रीम कोर्ट के सुझाव का प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गुरुवार (9 मई 2024) को जोरदार विरोध किया। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में केंद्रीय एजेंसी ने कहा कि चुनाव प्रचार का अधिकार न तो मौलिक अधिकार है और ना ही कानूनी या संवैधानिक अधिकार है।

अपने हलफनामे में ED ने कहा, “अभिसाक्षी की जानकारी में अभी तक किसी भी राजनीतिक नेता को चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत नहीं दी गई है। ये तो चुनाव लड़ने वाला उम्मीदवार भी नहीं हैं। यहाँ तक कि चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार को भी चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत नहीं दी जाती है, अगर वह हिरासत में है।”

केंद्रीय एजेंसी ने कहा, “पिछले 5 वर्षों में लगभग 123 चुनाव हुए हैं। यदि चुनाव प्रचार के उद्देश्य से अंतरिम जमानत दी जानी है तो किसी भी राजनेता को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है और ना ही न्यायिक हिरासत में नहीं रखा जा सकता है, क्योंकि चुनाव पूरे वर्ष होते रहते हैं।” ED ने तर्क दिया कि संघीय ढाँचे में हर चुनाव महत्वपूर्ण है।

हलफनामे में आगे कहा गया है, “हर स्तर पर हर राजनेता यह तर्क देगा कि यदि उसे अंतरिम जमानत पर रिहा नहीं किया गया तो उसे अपरिवर्तनीय परिणाम भुगतने होंगे। अकेले धनशोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत वर्तमान में कई राजनेता हैं, जो न्यायिक हिरासत में हैं और उनके मामलों की जाँच सक्षम अधिकारियों द्वारा की जा रही है।”

केंद्रीय एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय ने आगे तर्क दिया, “अदालतें उनकी (नेताओं की) हिरासत को बरकरार रख रही हैं। गैर-पीएमएलए अपराधों में पूरे देश में कई राजनीतिक नेता न्यायिक हिरासत में होंगे। इसलिए ऐसा कोई कारण नहीं है कि याचिकाकर्ता द्वारा विशेष उपचार की विशेष प्रार्थना को स्वीकार किया जाए।”

एजेंसी ने कहा कि अगर चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत दी जाती है तो यह एक मिसाल कायम करेगा, जो सभी बेईमान राजनेताओं को अपराध करने और फिर चुनाव की आड़ में जाँच से बचने की अनुमति देगा। ED ने कहा कि एक राजनेता एक सामान्य नागरिक से विशेष दर्जे का दावा नहीं कर सकता। समन से बचने के लिए केजरीवाल ने 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव का यही बहाना बनाया था।

इस मामले पर अगली सुनवाई शुक्रवार (10 मई 2024) को होगी। इस मामले में गिरफ्तारी के खिलाफ अरविंद केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई करने वाली पीठ की अध्यक्षता करने वाले सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा था, “हम शुक्रवार को अंतरिम आदेश (अंतरिम जमानत पर) सुनाएँगे। गिरफ्तारी को चुनौती देने से जुड़े मुख्य मामले पर भी उसी दिन फैसला किया जाएगा।”

1 comment:

Surinder Kumar Pruth said...

When purpose is political, and loaded with sins then no consitutional provisions applicable...