आंबेडकर पर कांग्रेस के ढोंग की खुली पोल : 1946 का पत्र आया सामने, नेहरू ने लगाया था अंबेडकर पर अंग्रेज के साथ मिल ‘गद्दारी’ करने का आरोप; जब तक आंबेडकर कांग्रेस से माफ़ी नहीं मांगते कोई बात नहीं होगी : नेहरू

कांग्रेस तो क्या उसकी लग्गू-बग्गू INDI गठबंधन में शामिल पार्टियां अपने ही बुने जाल में फंस रही है। आज आंबेडकर को भगवान कहने वाले देश को बताए इतने वर्षों तक क्यों अपमानित कर जनता को पागल बनाते रहे हैं? हकीकत यह है कि आंबेडकर ने इस्लाम के विरुद्ध अपने विचार रखे थे। जो मुस्लिम तुष्टिकरण करने वालों को रास नहीं आने के कारण कांग्रेस द्वारा उनका अपमान किया जाता रहा। अगर जवाहर लाल नेहरू ने एक नहीं दो संसदीय चुनावों में उनके विरुद्ध प्रचार किया, क्यों? 

अगर डॉ आंबेडकर संसद पहुँच गए होते, शायद देश के हालात कुछ और ही होते। नेहरू से लेकर वर्तमान कांग्रेस तक केवल चापलूस ही पसंद हैं। नेहरू सोनिया गाँधी के ससुर और राहुल प्रियंका के दादा फिरोज जहांगीर खान के विरुद्ध इसलिए नहीं बोल पाए कि वह इंदिरा गाँधी के शौहर थे। जबकि फिरोज संसद में जब भी बोलने के लिए खड़े होते ससुर नेहरू के पसीने छूटते थे।  

पिछले कुछ दिनों से कांग्रेस अपना प्रेम बाबा साहेब अंबेडकर के प्रति दिखाने की हर संभव कोशिश कर रही है और ऐसा जता रही है कि उनके अतिरिक्त कोई बाबा साहेब को सम्मान नहीं देता…।

वो गृहमंत्री अमित शाह की आधी-अधूरी क्लिप को साझा करके अपना प्रोपगेंडा फैला रहे थे लेकिन इसी बीच जवाहर लाल नेहरू का एक पत्र सामने आया जो बताता है कि कांग्रेस शुरुआती समय से बाबा साहेब के लिए कैसी विचार रखती थी।

ये पत्र जवाहरलाल नेहरू ने 20 जनवरी 1946 को अमृत कौर के नाम लिखा था। इसे वैसे तो nehruselectedworks.com पर पढ़ा जा सकता है लेकिन आज इसका स्क्रीनशॉट सोशल मीडिया पर भी वायरल है।

इस पत्र में जवाहर लाल नेहरू ने बाबा साहेब के बारे में बात करते हुए कहा था “…मुझसे पूछा गया कि आखिर कांग्रेस क्यों अंबेडकर के पास नहीं जाती और उनसे सुलह कर लेती। मैंने उनसे कहा कि कांग्रेस ऐसा कुछ नहीं करने वाली। अंबेडकर ने लगातार कांग्रेस और कांग्रेस नेताओं का अपमान किया है। जब तक वह माफी नहीं माँगते तब तक कांग्रेस का उनसे लेना-देना नहीं है। मैंने निश्चित तौर पर ये नहीं कहा कि अनुसूतिच जाति के लोगों को पूना पैक्ट के तहत राजनैतिक लाभ नहीं मिलेंगे। लेकिन मेरा पूरा जोर इस बात पर था कि अंबेडकर ने ब्रिटिश सरकार के साथ गठजोड़ किया था और कांग्रेस के खिलाफ थे। हम उनसे डील नहीं कर सकते।”

इसी पत्र के अंश को हाईलाइट करके अब सोशल मीडिया पर कांग्रेस से सवाल हो रहे हैं। भाजपा नेता अमित मालवीय ने लिखा, ” ये सोच से भी परे है कि नेहरू ने अमृत कौर को लिखे पत्र में बाबा साहेब को ‘गद्दार’ कहा और उनपर ब्रिटिशों के साथ गठजोड़ करने का आरोप लगाया… संविधान के रचयिता बाबा साहेब और दलित समुदाय की इससे बड़ी बेइज्जती नहीं हो सकती।”

अमिताभ चौधरी लिखते हैं, “1946 में अमृत कौर को लिखे गए पत्र में नेहरू ने अंबेडकर को ‘गद्दार’ कहा था और उन पर ब्रिटिशों के साथ गठजोड़ करने का आरोप लगाया था। आज उन्हीं का खून राहुल गाँधी और कांग्रेस के लोग वीर सावरकर को भी ब्रिटिश एजेंट बोलते हैं।”

इस पत्र के साथ सोशल मीडिया पर लोग ये सवाल भी कर रहे हैं कि कांग्रेस आज जितना प्यार बाबा साहेब के लिए दिखा रही है, तो उन्हें ये भी बताना चाहिए कि क्या बाबा साहेब ने नेहरू के रवैये से तंग आकर 1951 में कानून मंत्री पद से इस्तीफा नहीं दिया था? क्या जब बाबा साहेब देश के पहले कानून मंत्री बने थे उस समय उन्हें रक्षा संबंधी, विदेश संबंधी और वित्त संबंधी हर प्रमुख निर्णय लेने में शामिल करने की बजाय, किनारे नहीं किया गया था? क्या नेहरू ने उनपर ब्रिटिशों के साथ गठबंधन करने का आरोप लगाकर गद्दार नहीं कहा गया था?

No comments: