भारत द्वारा प्रतिबंधित संगठन SFJ के आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने अमेरिका में भारत के राजदूत विनय क्वात्रा को कुछ दिनों में ही 3 बार धमकी दी है। भारत के बार बार इस विषय को अमेरिका और कनाडा के सामने उठाने पर भी कोई ध्यान नहीं दिया गया। अब अमेरिका ने बस इतना कहा है कि वह अमेरिका में रह रहे सभी राजनयिकों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।
लेकिन सवाल यह पैदा होता है कि बाइडन प्रशासन स्वयं क्या चाहता है जो विदेशी राजदूतों को लगातार धमकी देने वाले पन्नू को खुला छोड़ा हुआ है। क्या अमेरिका का कानून और संविधान अन्य देशों के राजदूतों की हत्या की धमकी देने की अनुमति देता है?
लेखक चर्चित YouTuber |
सनद रहे अभी अमेरिका में बाइडन की ही सरकार चल रही है और भारत के खिलाफ गतिविधियां चलाने वालों को बाइडन प्रशासन पूरी तरह छूट दिए हुए है। अभी सुना है ट्रंप के शपथ ग्रहण से पहले सत्ता का तख्तापलट करने में उस्ताद डोनाल्ड लू, भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका और म्यांमार की यात्रा पर जायेगा।
भारत सरकार कितनी भी सतर्कता बरतें परंतु डोनाल्ड लू का कुछ पता नहीं Deep State और George Soros की कोई टूल किट राहुल गांधी गिरोह के हवाले कर जाए और देश में आग लगा दी जाए जो राहुल गांधी कह चुका है और कल खड़गे ने भी कहा कि देश को आग लग जाएगी। ऐसी कॉल सोनिया गांधी ने CAA के लिए भी दी थी कि सड़कों पर आ जाओ और देश में दंगे हो गए थे।
डोनाल्ड ट्रंप ने वैसे तो कई भारतीय मूल के लोगों और हिंदुओं को अपनी टीम में जगह दी है जिनमे शामिल है उषा वांस, तुलसी गबार्ड, विवेक रामास्वामी, जय भट्टाचार्य और काश पटेल लेकिन Harmeet K. Dhillon को Assistant Attorney General of civil rights बनाना संदेहास्पद है।
हरमीत कौर ढिल्लों गुरपतवंत सिंह ढिल्लों की करीबी है और उसने किसानों के आंदोलन को खुला समर्थन देते हुए प्रधानमंत्री मोदी को कहा था जब सिंधु बॉर्डर और गाज़ीपुर में पुलिस ने किसानो पर कार्रवाई की थी “hear them, meet with them and compromise”.
हरमीत कौर ढिल्लों ने गुरपतवंत सिंह पर कथित हमले के लिए नवंबर, 2023 में ट्वीट किया था -
“Like I said, India has sent death squads to target North American Sikhs outspoken on civil and human rights conditions in Punjab, both to Canada and now the US. Will our government do anything about it, or just pander endlessly over artificial DEI nonsense? Lives are at risk”. ऐसी महिला को अटॉर्नी बनाने का मतलब है पन्नू और अब और बड़ा सांड बनकर घूमेगा।
भारत और नरेंद्र मोदी की ऐसी धुर विरोधी को ट्रंप द्वारा अपने न्यायिक विभाग में Civil Rights के लिए सहायक अटॉर्नी बनाने का क्या मतलब है? अमेरिका में पहले से दो सरकार चलती हैं, एक की लगाम राष्ट्रपति के हाथ में होती है और दूसरी की लगाम अमेरिकी प्रशासन के हाथ में होती है और वह जो करता है उसका पता राष्ट्रपति को भी नहीं चलता।
जो भारतीय मूल के लोग ट्रंप ने अपनी टीम में लिए हैं, उनसे बहुत कुछ अपेक्षाएं हमें नहीं रखनी चाहिए क्योंकि वे लोग अमेरिकी पहले हैं और अमेरिका का हित उनके लिए सबसे ऊपर है। वो लोग हमारे विपक्षी नेताओं की तरह नहीं हैं जो चाहे विपक्ष में रहें या सरकार में, काम भारत के विरोध में ही करते हैं।
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