जस्टिस शेखर कुमार यादव के खिलाफ राज्यसभा के 55 विपक्षी सांसदों ने महाभियोग का नोटिस दिया है जबकि उन्हें पता है इसमें वो सफल नहीं होंगे लेकिन मकसद यादव जी को बदनाम करने का है। कलंकित करने का एक तरीका प्रिंट मीडिया में भी चल रहा है। कल The Hindustan Times की खबर का शीर्षक था -”Yogi comes in support of under-fire HC judge” - कांग्रेस के इस गुलाम अख़बार को बताना चाहिए किसने Fire किया है जस्टिस यादव को। केवल तुम जैसे कांग्रेस के आगे नाक रगड़ने वालों ने।
किसी जज को हटाने के लिए राज्यसभा के 50 या लोकसभा के 100 सांसदों को नोटिस देना होता है। यदि सभापति या लोकसभा अध्यक्ष उस नोटिस को सही मानते है तो एक 3 सदस्यीय समिति गठित की जाती है जिसमें चीफ जस्टिस, एक हाई कोर्ट का जज और एक सम्मानित व्यक्ति होता है और वह भी यदि जांच में आरोप सही पाती है तो दोनों सदनों में वोट होती है।
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लेकिन वोट से पहले महाभियोग का प्रस्ताव देने वाले सदन में जज पर मुकदमा चलाया जाता है और कोई वकील उनके लिए जिरह करता है जैसे जस्टिस रामास्वामी के लिए 1993 में कपिल सिब्बल ने की थी। जस्टिस यादव तो खुद अपना मुकदमा लड़ सकते हैं और उन्हें संसद में विपक्ष और उसके सेकुलरिज्म की बखिया उधेड़ देनी चाहिए।
उसके बाद दोनों सदनों में कुल सदस्यों और वोट देने वाले सदस्यों के दो तिहाई बहुमत से महाभियोग का प्रस्ताव पास होना चाहिए। लोकसभा तो छोड़िए राज्यसभा में भी विपक्ष के पास बहुमत तक नहीं है फिर महाभियोग का क्या औचित्य रह जाता है सिवाय घुईया छीलने के।
आज खबर है कि सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम की बेंच जस्टिस यादव को अपना पक्ष रखने के लिए बुला सकती है। मेरा सुझाव है जस्टिस यादव खुलकर सुप्रीम कोर्ट के हिंदू विरोधी और मुस्लिमों के लिए पक्षपात करने का दोहरा चरित्र उजागर करें और बताएं कि उन्होंने संविधान के विरुद्ध कुछ नहीं कहा। मदरसा संस्कृति कितना नुकसान कर रही है और हिंदुओं को अपने त्यौहार मनाने तक से रोका जा रहा है और इसलिए कठमुल्ला देश के लिए घातक हैं। लगता है जस्टिस यादव के कठमुल्लाओं पर प्रहार से ही सुप्रीम कोर्ट और विपक्ष का पिछवाड़ा जल रहा है।
सुप्रीम कोर्ट अपनी अकड़ में जस्टिस यादव को छोड़ने वाला तो नहीं है और यदि कॉलेजियम कुछ तीन पांच करे तो जस्टिस यादव को उसके मुंह पर सुप्रीम कोर्ट में त्यागपत्र देकर मारना चाहिए। ऐसी नौकरी बेमानी है जिसमें जज को बोलने की भी स्वतंत्रता नहीं है।
योगी ने जस्टिस यादव को समर्थन देते हुए बस इतना कहा है कि एक जज ने सत्य बोला और उसके खिलाफ नोटिस दे दिया। क्या ऐसा लोकतंत्र चाहता है विपक्ष और फिर ढोल पीट रहे हैं संविधान बचाने का।
जस्टिस शेखर कुमार यादव, आपके साथ पूरा देश खड़ा है कम से कम हिंदू समाज तो खड़ा ही है और इसलिए कमजोर न पड़ें।
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