यति नरसिंहानंद का क्लिप ऑल्ट न्यूज के सह संस्थापक मोहम्मद जुबैर द्वारा सोशल मीडिया पर शेयर करने के मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कई सवाल किए। इस मामले में यति नरसिंहानंद फाउंडेशन की शिकायत पर जुबैर के खिलाफ विभिन्न धाराओं के साथ-साथ बीएनएस की धारा 152 में भी मुकदमा दर्ज किया गया है। कोर्ट ने जुबैर के वकील से पूछा कि उस पर देश की एकता एवं अखंडता को नुकसान पहुँचाने वाली धारा 152 क्यों नहीं लगानी चाहिए थी। वहीं, सरकार से भी इस पर जवाब माँगा था।
AAG : The FIR shows what your conduct has done. It caused so much damage and has created a threat to the sovereignty and integrity of the country. He is giving half-baked information on his X post. He is not checking that the court gave the bail to #YatiNarsinghanand.
— Live Law (@LiveLawIndia) December 20, 2024
AAG : His first post is .. tagging the police and then saying that the police are not taking action, and the thread continues.
— Live Law (@LiveLawIndia) December 20, 2024
AAG : Is this fact-finding? Is this not selective? Is this not aimed at the sovereignty and integrity of the country??
वहीं, अतिरिक्त अटॉर्नी जनरल (AAG) ने कहा कि एफआईआर से पता चलता है कि मोहम्मद जुबैर के आचरण ने क्या किया है। इससे कितना नुकसान हुआ है और देश की संप्रभुता और अखंडता के लिए कितना खतरा पैदा हुआ है। AAG ने कहा कि जुबैर ने अपने एक्स पोस्ट पर आधी-अधूरी जानकारी दे रहा था। वह यह नहीं देख रहा है कि कोर्ट ने यति नरसिंहानंद को जमानत दी है।
AAG ने कहा कि जुबैर ने कोई तथ्यात्मक जाँच नहीं की। उसने कहा कि ‘लोग मुझ पर विश्वास करते हैं, इसलिए रीपोस्ट कर रहे हैं। एक हजार लोग रीपोस्ट कर रहे हैं। वह कह रहे हैं कि एफआईआर हुई, उन्हें (यति नरसिंहानंद) जमानत मिल गई.. और वह ट्वीट कर रहे हैं कि कोई कार्रवाई नहीं हुई।’ उन्होंने पूछा कि क्या यह फैक्ट चेक है?
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