बेनकाब : डीप स्टेट, सोरोस और राहुल गांधी फैमिली की तिकड़ी भारत और मोदी सरकार विरोधी साजिशों में शामिल!


अब यह पूरी तरह खुलासा हो गया है कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी अमेरिकी अरबपति जार्ज सोरोस और डीप स्टेट के साथ मिलकर भारत विरोधी षड्यंत्रों को अंजाम देने में लिप्त हैं! कड़ी से कड़ी जोड़ने पर स्पष्ट होता है कि कैसे राहुल गांधी के परिवार से जुड़ी एनजीओ, कांग्रेस के युवराज के खास सलाहकार विदेशों से भारत विरोध के नाम पर करोड़ों की फंडिंग ले रहे हैं। डीप स्टेट की करतूतों की कलई तो भाजपा ने ही अपने एक्स अकाउंट पर खोलकर रख दी है। जहां तक सोरोस और राहुल गांधी के संबंधों का सवाल है तो सोशल मीडिया पर इनकी घनिष्ठता के कई प्रमाण बिखरे हैं। इनसे साफ पता चलता है कि लोकसभा से लेकर विधानसभाओं में हार-दर-हार झेल रहे कांग्रेस के ‘कर्ताधर्ता’ राहुल गांधी अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए कितने निचले स्तर तक गिर गए हैं! राहुल अभी तक तो विदेशों में जाकर भारत और मोदी सरकार की बुराई करके देश को नीचा दिखाने के कोशिश किया करते थे। लेकिन अब उनपर साफ-साफ देश के साथ ‘गद्दारी’ करने के आरोप लगे हैं। दरअसल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का लगातार तीसरी बार सत्ता में आना राहुल एंड कंपनी को हजम नहीं हो रहा है। उनके यह भी गले नहीं उतर रहा है कि पिछले एक दशक में भारत लगातार दुनिया में तेजी से एक शक्ति के तौर पर स्थापित हो रहा है। देश ने हर क्षेत्र में अपने प्रदर्शन में गुणात्मक सुधार किया है।

राहुल गांधी भारत विरोधी ‘कॉकस’ के त्रिकोण के केंद्र बिंदु बने
पीएम मोदी के दूरदर्शी विजन से भारत की बढ़ती आर्थिक और सामरिक ताकत को रोकने के लिए समय-समय पर विदेशी साजिश होती रही है। देश की अर्थव्यवस्था को अस्थिर करने लिए विदेशी एजेंसी और संगठन सक्रिय रहे हैं। जॉर्ज सोरोस (George soros) जैसे लोगों की मदद से भारत की आर्थिक ताकत को कमजोर करने के लिए कई फर्जी और भ्रमित करने वाले रिपोर्ट जारी किए जाते हैं। अब इसका खुलासा हो रहा है कि राहुल गांधी भी सोरोस जैसे भारत विरोधी साजिशकर्ताओं और ओसीसीआरपी जैसे संगठनों के लिए टूल का काम कर रहे हैं। इतना ही नहीं इस संगठन की फर्जी रिपोर्टों के आधार पर राहुल गांधी देश में प्रेस कॉंन्फ्रेंस कर मोदी सरकार को घेरने की असफल कोशिशें करते हैं। अभी कुछ दिन पहले यह भी उजागर हुआ था कि राहुल गांधी भारत विरोधी ‘कॉकस’ के त्रिकोण के केंद्र बिंदु बन गए हैं। इसमें एक तरफ संयुक्त राज्य अमेरिका में बैठे जॉर्ज सोरोस और अमेरिका की कुछ एजेंसियों के साथ उनके फाउंडेशन है, त्रिकोण के दूसरी तरफ नीदरलैंड की राजधानी एम्स्टर्डम से संचालित संगठित अपराध और भ्रष्टाचार रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट (ओसीसीआरपी) नामक एक समाचार पोर्टल है और त्रिकोण के तीसरे कोने में सबसे महत्वपूर्ण खुद राहुल गांधी हैं। ये मिलकर महान भारत के साथ उच्चतम स्तर की गद्दारी को अंजाम देने की साजिशों में लगे हुए हैं।

एनजीओ राजीव गांधी फाउंडेशन के सीईओ भी हैं महाजन
राहुल गांधी के गुर्गे कहें या मुख्य सलाहकार विजय महाजन और योगेंद्र यादव जैसे कई लोग हैं, जो इन नापाक साजिशों में उनसे साथ जुड़े हैं। विजय महाजन राहुल गांधी के मुख्य सलाहकार और गांधी परिवार के निजी एनजीओ राजीव गांधी फाउंडेशन के सीईओ हैं। विजय महाजन निजी कंपनी BASIX के संस्थापक भी हैं। एक्यूमेन फंड बेसिक्स कृषि समृद्धि लिमिटेड में भागीदार और निवेशक है, जो बेसिक्स की सहायक कंपनियों में से एक है।

गांधी परिवार और सोरोस और उसकी बेटी के बीच सीधे वित्तीय संबंध
अब, यहां सबसे विस्फोटक मोड़ है। एंड्रिया सोरोस कोलोम्बेल एक्यूमेन फंड्स के सह-संस्थापक और निवेशक हैं! वह जॉर्ज सोरोस की बेटी और ओपन सोसाइटी फाउंडेशन की बोर्ड सदस्य हैं! क्या आप इस पर विश्वास कर सकते हैं कि सोरोस गांधी परिवार के सीईओ और राहुल गांधी के मुख्य सलाहकार विजय महाजन के प्रत्यक्ष भागीदार हैं! ये गांधी परिवार और सोरोस के बीच सीधे वित्तीय संबंध हैं!

राहुल की मेकओवर पीआर यात्रा ‘भारत जोड़ो’ का मास्टरमाइंड है महाजन
सोरोस के पार्टनर विजय महाजन राहुल गांधी की मेकओवर पीआर यात्रा भारत जोड़ो यात्रा के पीछे के मास्टरमाइंड हैं। योगेन्द्र यादव उनके दाहिने हाथ हैं। तो आप सोरोस के साथी, विजय महाजन के दाहिने हाथ को किसान विरोध के पीछे के मास्टरमाइंड में से एक के रूप में पाएंगे। इससे यह भी साफ हो गया है कि कैसे कांग्रेस से जुड़े लोग खुद को किसान नेता बताकर कांग्रेस से अपना संबंध छिपाकर किसान विरोध प्रदर्शन में अहम भूमिका निभाते हैं।

PRADAN को 12 वर्षों में 596 करोड़ रुपये से अधिक की विदेशी फंडिंग
हैरतअंगेज तथ्य यह है कि विजय महाजन सिर्फ सोरोस के ही पार्टनर नहीं हैं! उनकी सीआईए-संबद्ध फोर्ड फाउंडेशन के साथ भी साझेदारी है। 1982 में फोर्ड फाउंडेशन के एक अधिकारी, दीप जोशी ने एक अन्य सह-संस्थापक, विजय महाजन के साथ एक प्रशिक्षण एनजीओ, PRADAN की सह-स्थापना की थी! चौंकाने वाली बात यह है कि PRADAN को पिछले 12 वर्षों में 596 करोड़ रुपये से अधिक की विदेशी फंडिंग प्राप्त हुई है!

अब विजय महाजन और मोहम्मद यूनुस पर वापस आते हैं। वे दोनों फोर्ड फाउंडेशन के उत्पाद हैं। जब विजय महाजन के ‘फोर्ड भाई’ मोहम्मद यूनुस को बांग्लादेश में कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ा, तो विजय महाजन और फोर्ड फाउंडेशन के पूर्व ट्रस्टी नारायण मूर्ति ने उनका समर्थन करने के लिए एक पत्र पर हस्ताक्षर किए।

दिलचस्प बात यह है कि विजय महाजन और डॉ. जी.के. जयराम (इन्फोसिस के पहले अध्यक्ष) ने अप्रैल 2010 में कांग्रेस नेतृत्व के लिए एक प्रशिक्षण संस्थान, जवाहरलाल नेहरू लीडरशिप इंस्टीट्यूट (जेएनएलआई) शुरू किया था।

आईपीएसएमएफ, जो जुबैर से लेकर आरफा और द कारवां से लेकर आर्टिकल 14 तक को फंड करता है, इंफोसिस के मालिक और उसके दोस्तों द्वारा फंड किया जाता है। इसमें सबसे दिलचस्प बात यह है कि रुक्मिणी बनर्जी, आईपीएसएमएफ के संस्थापक ट्रस्टियों में से एक, विजय महाजन के फोर्ड-वित्त पोषित एनजीओ की उपाध्यक्ष भी हैं!

1982 में, फोर्ड फाउंडेशन के एक अधिकारी दीप जोशी ने एक अन्य सह-संस्थापक, विजय महाजन के साथ एक प्रशिक्षण एनजीओ, PRADAN की सह-स्थापना की थी। उन्हें सीआईए-संबद्ध फोर्ड फाउंडेशन और अन्य अमेरिकी कंपनियों द्वारा अपने एनजीओ के माध्यम से लगातार वित्त पोषित किया जाता है। बता दें कि इस वित्त पोषण की रकम करोड़ों में है!

विजय महाजन ने एक और कंपनी, BASIX की स्थापना की। काबिले गौर तथ्य यह है कि यह न केवल फोर्ड फाउंडेशन द्वारा वित्त पोषित है, बल्कि इसके साथ भागीदार भी है।

विजय महाजन जैसे लोग किसानों को भड़काते हैं, लेकिन छिपाते हैं कि वे बायर जैसी विदेशी एग्रोकेमिकल कंपनियों के लिए काम करते हैं। विजय महाजन और योगेन्द्र यादव बहुत करीब से काम करते हैं और उनका दावा है कि वे अपने एनजीओ के माध्यम से किसानों के लिए काम करते हैं। लेकिन क्या किसानों को पता है कि कृषि रसायन और बीज की दिग्गज कंपनी मोनसेंटो भी विजय महाजन के एनजीओ को फंड देती है?

विजय महाजन के बच्चे स्विट्जरलैंड जैसे देशों में अपनी जिंदगी का आनंद लेते हैं, लेकिन वे आम किसानों को मरने के लिए सड़क पर फेंक देते हैं।फोर्ड फाउंडेशन अपने मनोवैज्ञानिक युद्ध को चलाने और अपने व्यावसायिक लाभों के लिए सीआईए की शाखा है।

यहाँ CIA का एक टॉप-सीक्रेट दस्तावेज लीक हुआ है। इसके मुताबिक, बीजेपी 2010 से ही अमेरिकी खुफिया एजेंसी की निगरानी में है। बड़ा सवाल उठता है कि कांग्रेस या अन्य राजनीतिक दल क्यो नहीं! जबकि उस समय तो भारत में कांग्रेस गठबंधन ही सत्ता में था। यदि आप इसकी और गहरे से पड़ताल करेंगे तो पाएंगे कि विजय महाजन के माध्यम से सीआईए-संबद्ध फोर्ड फाउंडेशन गांधी परिवार, उसके एनजीओ और कांग्रेस नेताओं के लिए उसके प्रशिक्षण केंद्र का प्रबंधन करता है।

इतना ही नहीं, वामपंथियों और इस्लामवादियों के पूरे शीर्ष नेतृत्व का प्रबंधन भी फोर्ड फाउंडेशन से जुड़े लोगों के एक ही समूह द्वारा किया जाता है। यह अकाट्य सत्य है कि कम्युनिस्टों और इस्लामवादियों के कैडरों को भी यह नहीं पता है कि फोर्ड फाउंडेशन अपने नेताओं को कैसे प्रबंधित करता है।फ्रांसीसी मीडिया ने आज ही उजागर किया है कि कैसे अमेरिका के डीट स्टेट ने मोदी सरकार और अडानी के खिलाफ ओसीसीआरपी को वित्त पोषित किया और हथियार बनाया। इनमें भी आपको वही नाम मिलेंगे, जैसे द फोर्ड फाउंडेशन, रॉकफेलर फाउंडेशन और ओपन सोसाइटी फाउंडेशन, जो विजय महाजन के एनजीओ को भी फंड देते हैं!

भारत विरोधी साजिशकर्ता ओसीसीआरपी जैसे संगठनों के लिए टूल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी विजन से भारत की बढ़ती आर्थिक और सामरिक ताकत को रोकने के लिए समय-समय पर विदेशी साजिश होती रही है। देश की अर्थव्यवस्था को अस्थिर करने लिए विदेशी एजेंसी और संगठन सक्रिय रहे हैं। जॉर्ज सोरोस (George soros) जैसे लोगों की मदद से भारत की आर्थिक ताकत को कमजोर करने के लिए कई फर्जी और भ्रमित करने वाले रिपोर्ट जारी किए जाते हैं। अब इसका खुलासा हो रहा है कि राहुल गांधी भी सोरोस जैसे भारत विरोधी साजिशकर्ताओं और ओसीसीआरपी जैसे संगठनों के लिए टूल का काम कर रहे हैं। इतना ही नहीं इस संगठन की फर्जी रिपोर्टों के आधार पर राहुल गांधी देश में प्रेस कॉंन्फ्रेंस कर मोदी सरकार को घेरने की असफल कोशिशें करते हैं।

नीदरलैंड की OCCRP, भारत विरोधी जॉर्ज सोरेस और राहुल का कनेक्शन
इस तरह की एक साजिश का खुलासा एक फ्रेंच पब्लिकेशन ने किया है। उसने अपनी खोजी रिपोर्ट के आधार पर बताया है कि ऑर्गेनाइज्ड क्राईम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट (OCCRP) किस तरह से भारत विरोधी गतिविधियों में संलग्न है। इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि OCCRP को अमेरिका से फॉरेन फंडिंग मिलती है और इसका सीधा कनेक्शन भारत विरोधी अमेरिकी अरबपति कारोबारी जॉर्ज सोरोस के साथ है। OCCRP की स्थापना पत्रकार ड्रू सुलिवन और पॉल राडू ने 2006-07 में की थी। सुलिवन सेंटर फॉर इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्टिंग (CIR) के संपादक के रूप में कार्यरत थे और राडू ने शुरुआती रोमानियाई केंद्र के साथ काम किया था।

क्या है OCCRP और कैसे, किसकी फंडिंग से करता है काम
• कहने के लिए तो आर्गनाइज्ड क्राइम ऐंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट पर काम करता है।
• OCCRP का दावा है कि दुनिया भर में उसके पास पत्रकारों का नेटवर्क है, जो उसके लिए मनचाहा काम करते हैं।
• OCCRP खुद को स्वतंत्र संगठन बताता है, लेकिन वह चलता कैसे है, इसको लेकर वह विवादों में रहा है।
• यह सर्वविदित है कि अमेरिकी सरकार और अमेरिकी एजेंसियों से उसे भारी फंड मिलता है। अब इसको लेकर वह सवालों के घेरे में है।
• फ्रेंच अखबार मीडिया पार्ट ने 2 दिसंबर को एक खोजी आर्टिकल में संगठन की पोल खोली है।
• इस आर्टिकल में OCCRP के बारे में कहा गया है कि उसके और अमेरिकी एजेंसियों के बीच गुप्त संबंध हैं। OCCRP के नीति नियंता अमेरिकी एजेंसियों के इशारे पर चलते हैं।
• फ्रांसीसी अखबार ने खुलासा किया कि अमेरिकी सरकार ने OCCRP को ‘वेनेजुएला में भ्रष्टाचार का खुलासा करने और उससे लड़ने’ के लिए 1,73,324 डॉलर दिए। वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो की अमेरिकी सरकार से दुश्मनी जगजाहिर है।

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