कोयंबटूर धमाके के मुख्य अभियुक्त एस ए बाशा की मौत (फोटो साभार: newstaglive)
अल उम्मा नाम के प्रतिबंधित कट्टरपंथी इस्लामी संगठन के संस्थापक और कोयंबटूर ब्लास्ट केस के दोषी एस. ए. बाशा की सोमवार (16 दिसंबर 2024) को मौत हो गई। उसकी उम्र 83 साल थी और बढ़ती उम्र की वजह से वो लंबे समय से बीमार चल रहा था। बता दें कि कोयंबटूर ब्लास्ट केस में बाशा और अल उम्मा के 16 अन्य सदस्यों को इस मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी।मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कोयंबटूर सीरियल ब्लास्ट केस में उम्रकैद की सजा काट रहे एस. ए. बाशा को अक्टूबर 2023 में इलाज के लिए अस्थायी पैरोल दी गई थी, जिसे सरकार ने उसके स्वास्थ्य के आधार पर बढ़ा दिया था। वह चेन्नई के एक निजी अस्पताल में इलाज करा रहा था।
14 फरवरी 1998 को कोयंबटूर के आर.एस. पुरम और शहर के अन्य हिस्सों में हुए सीरियल बम ब्लास्ट में 58 लोगों की जान गई और 231 लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे। यह हमला उस समय हुआ जब भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी आर.एस. पुरम में चुनाव प्रचार के लिए पहुँचने वाले थे।
पुलिस ने इस मामले में 166 लोगों को गिरफ्तार किया था, जिनमें बाशा भी शामिल था। स्पेशल कोर्ट ने ने 158 लोगों को दोषी ठहराया और 43 लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई। बाद में 41 लोगों ने मद्रास हाईकोर्ट में अपील की। हाई कोर्ट ने इनमें से दो नाबालिगों को रिहा कर दिया, जबकि 17 लोगों को उम्रकैद और 22 को बरी कर दिया।
मोदी को दी थी जान से मारने की धमकी, उस समय थे गुजरात के सीएम
प्रतिबंधित कट्टरपंथी संगठन अल-उम्मा के अध्यक्ष एसए बाशा ने जुलाई 2003 में कोयंबटूर का दौरा करने पर गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को जान से मारने की धमकी भी दी थी। बाशा और आठ अन्य लोगों ने यह धमकी उस समय खुले आम दी थी जब हिंदू मुन्नानी नेता की हत्या से संबंधित एक मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाए जाने के बाद पत्रकार कोयंबटूर अदालत परिसर में इन मुजरिमों से बात कर रहे थे। बाशा ने कहा था कि अगर गुजरात के सीएम मोदी कोयंबटूर आएँगे, तो उनकी हत्या कर दी जाएगी।
बाशा के साथी महदानी की जेल में मालिश कराती थी डीएमके सरकार
यहाँ ये बताना जरूरी है कि बाशा और उसके साथियों पर डीएमके सरकार कितनी मेहरबान रहती थी। दरअसल, 24 जुलाई 2006 को इंडियन एक्सप्रेस में एक समाचार प्रकाशित हुआ जिसका शीर्षक था –“कोयंबटूर आतंकी घटनाओं के आरोपी के लिए द्रमुक ने जेल को स्पा में बदला”। समाचार में बताया गया था, “अब्दुल नासिर महदानी की आयुर्वेदिक मालिश का खर्च वहन सरकार कर रही थी और उसकी बीवी के खिलाफ गिरफ्तारी का वॉरंट होने के बावजूद वह महदानी से बेरोकटोक मिल सकती थी। इन हालात में आतंक पर नकेल कसने की जरूरत पर सख्त बातें करने वालों पर हँसा जा सकता है। महदानी 1998 के कोयंबटूर सीरियल विस्फोटों का मुख्य आरोपी है, जिसमें बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी को निशाना बनाने की कोशिश करते हुए 58 लोगों की हत्या कर दी गई थी।”
इसमें आगे लिखा था, “जब से करुणानिधि ने मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली है, तब से यहाँ उच्च सुरक्षा वाली जेल में रखे गए महदानी और अल उम्मा के अन्य 166 कैदियों के बीच माहौल खुशनुमा है। इनमें से ज्यादातर को कोयंबटूर विस्फोटों के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था। करुणानिधि की बदौलत, 10 मालिश वालों और चार वरिष्ठ आयुर्वेदिक डॉक्टरों की एक टीम ने 2001 से जेल के अस्पताल में रखे गए महदानी पर ‘उच्च गुणवत्ता वाला उपचार’ शुरू किया है …”
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