‘अमित शाह को अंबेडकर से नफरत, संसद में की घृणित बात’: ‘खतना’ वीडियो वायरल कर रहे कांग्रेस नेता और दलाल पत्रकार; आखिर fake news फ़ैलाने वालों को दण्डित क्यों नहीं करती सरकार?

आखिर fake news फ़ैलाने वालों पर सख्ती से पेश क्यों नहीं सरकार? संभल के दंगे और नूपुर शर्मा हादसों से मोदी सरकार कब सबक लेगी? आखिर ये 56 इंची सीना किस काम का? fake news फैलाने वाले तो अपनी तिजोरी भर लेते हैं, लेकिन मरती बेगुनाह जनता है? अगर तीसरी बार सत्ता में आने के बाद भी ऐसी दूषित मानसिकता वालों पर सरकार कोई कार्यवाही नहीं कर सकती, क्या फायदा बीजेपी को वोट देने का? नारी शक्ति की बात करने वाली बीजेपी नूपुर शर्मा के बचाव में क्यों नहीं आयी? अगर बीजेपी सच्चाई को सामने ले आयी होती किसी कन्हैया को अपनी जिंदगी से हाथ नहीं धोना पड़ता और न ही किसी 'सिर से तन जुदा' करने वालों के होंसले बुलंद होते। जिस दिन से सरकार इन पर कार्यवाही शुरू कर देगी देश में दंगे-फसादों पर लगाम लग जाएगी।वरना सोरोस का पैसा खेल खेलता रहेगा और जनता त्रस्त होती रहेगी।      

देश की संसद में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के भाषण के क्लिप के एक हिस्से को काटकर कांग्रेसी और विरोधी दल सरकार को बदनाम करने का प्रयास कर रहे हैं। यह पहली बार नहीं है कि कांग्रेस ऐसा कर रही है। जब-जब कांग्रेस मुद्दाविहीन होती है तो इसी तरह के फेक न्यूज फैलाकर सरकार को बदनाम करने का प्रयास करती है। ये काम सिर्फ कांग्रेसी या विपक्षी नेता ही नहीं, बल्कि कुछ दरबारी पत्रकार भी बखूबी करते हैं।

दरअसल, राज्यसभा में संविधान पर बहस के दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मंगलवार(17 दिसंबर 2024) को डॉक्टर भीरामराव अंबेडकर के नाम पर राजनीति करने वालों को आड़े हाथों लिया था। अपने लगभग 90 मिनट के स्पीच में अमित शाह ने कांग्रेस और उसके नेताओं को अंबेडकर के साथ पंडित जवाहरलाल नेहरू एवं कांग्रेस द्वारा की गई हरकतों को देश के सामने रखा था। इसके बाद कांग्रेस चिढ़ गई।

अपनी चिढ़ ने कांग्रेस और उसके नेताओं द्वारा दरबारी पत्रकारों ने अमित शाह के भाषण के हिस्से को शेयर करके सरकार को बदनाम करना शुरू कर दिया। कांग्रेस ने X अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, “‘अभी एक फैशन हो गया है- अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर.. इतना नाम अगर भगवान का लेते तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता।’ अमित शाह ने बेहद घृणित बात की है।”

कांग्रेस ने अपनी पोस्ट में आगे लिखा, “इस बात से जाहिर होता है कि BJP और RSS के नेताओं के मन में बाबा साहेब अंबेडकर जी को लेकर बहुत नफरत है। नफरत ऐसी कि उनके नाम तक से इनको चिढ़ है। ये वही लोग हैं जिनके पूर्वज बाबा साहेब के पुतले फूँकते थे, जो ख़ुद बाबा साहेब के दिए संविधान को बदलने की बात करते थे। जब जनता ने इन्हें सबक सिखाया तो अब इन्हें बाबा साहेब का नाम लेने वालों से चिढ़ हो गई है। शर्मनाक! अमित शाह को इसके लिए देश से माफी माँगनी चाहिए।”

यही बात कांग्रेस नेता जयराम और सुप्रिया श्रीनेत सहित तमाम नेताओं ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में शेयर की है। इन नेता ने सिर्फ अमित शाह को ही नहीं, बल्कि बाबा साहेब के नाम पर भाजपा और RSS को भी बदनाम करने की कोशिश की है। रणविजय सिंह, ममता त्रिपाठी आदि कई कथित पत्रकारों ने भी अमित शाह के भाषण के आधे-अधूरे क्लिप को वायरल किया।

डॉक्टर लक्ष्मण यादव नाम के एक कथित बुद्धिजीवी ने इस अधूरे क्लिप को वायरल करते हुए लिखा, “अमित शाह को अगर गोडसे, गोलवलकर, सावरकर से फुरसत मिल गई होती और अंबेडकर को पढ़ लिए होते, अंबेडकर को जान लिए होते, अम्बेडकर की भारतीय समाज में मौजूदगी और अहमियत देख लिए होते, तो शायद ऐसा कभी न बोलते।”

उन्होंने आगे लिखा, “डॉ. अंबेडकर ने करोड़ों वंचितों, शोषितों, मजलूमों, महिलाओं को उस जगह से निकाला है, जो नरक से बदतर जीवन जीने को मजबूर थे. उनके लिए स्वर्ग और स्वर दोनों दिया है बाबा साहब ने।”

दरअसल, ये सारा फेक न्यूज एक षडयंत्र के तहत वायरल किया जा रहा है, ताकि अमित शाह, भाजपा और संघ को दलित-वंचित विरोधी साबित किया जा सके। वहीं, कांग्रेस नेता अपने पूर्वजों की करतूतों को छिपाने और वर्तमान परिस्थितियों में राजनीतिक लाभ लेने के लिए अब फेक न्यूज जैसे गैर-कानूनी काम करने लगे हैं।

नूपुर शर्मा की तरह अमित शाह के भाषण के जिस हिस्से को विरोधियों द्वारा साझा किया जा रहा है, वह सही, लेकिन उसका संदर्भ क्या है उसे विरोधी छिपा गए। इससे अमित शाह का बयान एकतरफा दिखने लगा, जबकि हकीकत इसके विपरीत है। अमित शाह ने अंबेडकर के साथ कॉन्ग्रेस के नेताओं के दुर्व्यवहार को उन्होंने उजागर किया था।

अमित शाह ने अपने भाषण में कहा, “अभी यह फैशन चल गया है अंबेडकर अंबेडकर अंबेडकर……. इतना नाम अगर भगवान का लेते तो सात जन्मों का स्वर्ग मिल जाता। हमें आनंद है कि ये अंबेडकर का नाम लेते हैं, लेकिन अंबेडकर जी के प्रति आपका भाव क्या है ये मैं बताता हूँ।” इसके बाद अमित शाह कांग्रेस और पंडित नेहरू की पोल खोलकर रख देते हैं।

अमित शाह ने आगे कहा, “अंबेडकर जी ने देश की पहली कैबिनेट से इस्तीफा क्यों दे दिया? अंबेडकर जी ने कई बार कहा कि अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों के साथ हुए व्यवहार से मैं असंतुष्ट हूँ। सरकार की विदेश नीति से मैं असहमत हूँ और आर्टिकल 370 से मैं असहमत हूँ। इसलिए वे छोड़ना चाहते थे। उन्हें आश्वासन दिया गया, लेकिन वो पूरा नहीं हुआ और नजरअंदाज किए जाने के कारण इस्तीफा दे दिया।”

केंद्रीय गृहमंत्री ने आगे बताया, “श्री बीसी रॉय ने पत्र लिखा कि अंबेडकर और राजा जी जैसे लोग मंत्रिमंडल छोड़ेंगे तो क्या होगा। तो उनको नेहरू जी ने जवाब में लिखा- राजाजी के जाने से थोड़ा-बहुत नुकसान तो होगा, लेकिन अंबेडकर के जाने से मंत्रिमंडल कमजोर नहीं होगा।” अमित शाह ने आगे कहा कि कांग्रेस जिसका विरोध करती रही है, उसका वोट के लिए नाम लेना कितना उचित है। अंबेडकर जी मानने वाले पर्याप्त संख्या में आ गए हैं, इसलिए आप अंबेडकर अंबेडकर कर रहे हो।”

इस तरह, केंद्रीय मंत्री अमित शाह के पूरे भाषण को सुना जाए तो वो साफ तौर पर बता रहे हैं कि जिस अंबेडकर का नाम अब कांग्रेस जप रही है, उन्हीं अंबेडकर को उसने कितना जलील किया है। हालाँकि, अपने राजनीतिक फायदे के लिए कन्ग्रेस, उसके अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गाँधी, जयराम रमेश, सुप्रिया श्रीनेत और उनके दरबारी पत्रकार आधे-अधूरे क्लिप को चलाकर फेक न्यूज फैला रहे हैं।

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