हो गया खेला :कांग्रेस का केजरीवाल को गुप्त समर्थन ; ‘केजरीवाल भ$वा है… 100 कमीने मरने पर एक पैदा होता है’: आखिर केजरीवाल को शीशे में अपनी शक्ल देख क्यों डर लग रहा है?

भारत में राजनीति में गालियों का सिलसिला शुरू हुआ गुजरात 2002 दंगों के बाद गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को "मौत का सौदागर" कहकर सोनिया गाँधी ने। लेकिन बेशर्म नेता में आज तक यह बताने की हिम्मत नहीं कि दंगे क्यों हुए? किसने अयोध्या से लौट रहे 56  कारसेवकों को साबरमती ट्रेन में जिन्दा जलाया? जिस दिन मुसलमान victim card खेलने की बजाए असलियत जान लेगा, और दंगों में मोदी की भूमिका को जितने भी मुस्लिम कट्टरपंथी, सेकुलरिज्म के नाम से गुमराह करने वाले किसी को शक्ल दिखाने लायक नहीं होंगे। मुसलमान मोदी के पैर धो-धोकर पियेगा। कांग्रेस की राजस्थान और मध्य प्रदेश सरकारों ने मदद करने से मना कर दिया, लेकिन हिम्मत खोये बिना दिन-रात किसी पागल की तरह दंगे शांत करने सड़क पर रहने वाले मोदी ने पिछले दंगों की तरह बेगुनाहों को मौत का शिकार नहीं होने दिया। 

खैर अब बात दिल्ली चुनाव की। दिल्ली के गाँधी नगर में एक चुनावी रैली के दौरान आम आदमी पार्टी के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भाजपा पर तीखा हमला बोलने की कोशिश की। उन्होंने अपने भाषण में भाजपा के आरोपों का ज़िक्र करते हुए कहा, “केजरीवाल भ*वा है, केजरीवाल आतंकी है, 100 कमीने मरे तब एक केजरीवाल पैदा हुआ।” केजरीवाल ने भाजपा पर उन्हें बदनाम करने और उनके खिलाफ अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया।

आखिर केजरीवाल को शीशे में अपनी शक्ल देख क्यों डर लग रहा है? Hit and run की छिछोरी सियासत शुरू करने पर सच्चाई से घबड़ा रहे हो? ये तो दिल्ली और पंजाब की अपनी इज्जत गँवा चुकी जनता का कसूर है कि तुम्हे सिरमौर बना रखा है। वरना अन्य राज्यों में आम आदमी पार्टी के अधिकतर उम्मीदवारों की जमानत जब्त होने के साथ-साथ कर बूथों पर NOTA से कम वोट मिलते हैं। जबकि फ्री की रेवड़ियों वहां भी घोषित किया जाता था।     

दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का यह बयान आगामी विधानसभा चुनाव से पहले आया है, जो अगले महीने दिल्ली की 70 सीटों पर होंगे। दिल्ली में मतदान 5 फरवरी को और नतीजे 8 फरवरी को घोषित किए जाएंगे। केजरीवाल ने भाजपा के खिलाफ जनता से समर्थन माँगते हुए कहा कि यह चुनाव दिल्ली की पहचान बचाने का चुनाव है। 

कांग्रेस का केजरीवाल को गुप्त समर्थन 

2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी और आम आदमी पार्टी 11 साल बाद दिल्ली में बीजेपी के खिलाफ औपचारिक तौर पर एकजुट हो गई थी। लेकिन यह दोस्ती 6 महीने भी ठीक से नहीं चली और विधानसभा चुनावों के लिए दोनों ने अलग-अलग होने का फैसला किया। शुरू में कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी पर ताबड़तोड़ हमले शुरू किए। लेकिन, बीजेपी के लिए यह स्थिति चार दिन की चांदनी साबित हुई।

अब कांग्रेस के कुछ नेताओं को छोड़कर बाकी पार्टी अपने ऐक्शन से पूरी तरह से इस चुनाव में अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी की मदद करती नजर आ रही है। कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व की ओर से जो संकेत मिल रहे हैं, उससे साफ है कि इस चुनाव में भी उनकी असली लड़ाई बीजेपी से ही है और वह भाजपा को अपना दुश्मन मानते हुए उतर रहे हैं। आप पर पार्टी के कुछ नेता हमले भी कर रहे हैं तो वह चुनावी नूरा कुश्ती की तरह ही लग रही है।

सियासत गरियारों में चर्चा गर्म है कि संदीप दीक्षित के नई दिल्ली क्षेत्र में राहुल गाँधी बीमारी का बहाना कर रैली नहीं करना संदेह नहीं इस बात को साबित करता है कि दिल्ली चुनाव छोड़ बिहार जाना बहुत बड़ा षड़यंत्र है। .शंका व्यक्त की जा रही है तेजस्वी के माध्यम से केजरीवाल और कांग्रेस में गुप्त समझौता हो गया है। बिहार से आकर बीमार होना बहुत कुछ बोल रहा है। अगर कांग्रेस ने समझौता किया मतलब राहुल ने कांग्रेस को ख़त्म करने की सुपारी ले चुके हैं। क्योकि अगर दिल्ली चुनाव कांग्रेस गंभीरता नहीं लड़ती इसका बोरिया बिस्तर कब बंध जाए कहा नहीं जा सकता। 
संदीप दीक्षित और अलका लांबा जैसे कांग्रेस नेता शुरू से आम आदमी पार्टी का व्यक्तिगत स्तर पर विरोध करते रहे हैं। संदीप दीक्षित की नाराजगी इस वजह से है कि केजरीवाल के कथित गलत आरोपों की वजह से उनकी मां और पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की न सिर्फ बदनामी हुई, बल्कि उनकी सरकार चली गई। वहीं लांबा आप से विधायकी करने के बाद कांग्रेस का हाथ पकड़ी हैं और उनकी आप नेताओं से अपनी निजी खुन्नस रही है।
बाकी कांग्रेस के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष अजय माकन ने शुरू में जिस तरह से आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल पर हमला बोला था, दो हफ्तों से वह पूरी तरह से चुनावी सीन से ही गायब लग रहे हैं।
केजरीवाल के खिलाफ एक प्रेस कांफ्रेंस बुलाकर वह जिस तरह से चुप हुए हैं, उसके बाद से अटकलें हैं कि उन्हें आप और उसके नेताओं के खिलाफ मुंह न खोलने की हिदायत दे दी गई है। उनके आरोपों के बाद आप ने उनपर कार्रवाई करने की मांग भी की थी और ऐसा नहीं होने की सूरत में कांग्रेस को इंडिया ब्लॉक से हटवाने की चेतावनी भी दे चुकी है। इस तरह से कांग्रेस के पीछे हटने के स्टैंड से आखिरकार आप को ही सहायता मिलने की संभावना पैदा हुई है।

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