सीमेंट और पानी तक के हलाल सर्टिफाइड होने पर केंद्र सरकार ने प्रश्न उठाए हैं (प्रतीकात्मक फोटो साभार: Grok AI)
भारत में पिछले कुछ सालों से हला उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा इस गोरख धंधे पर नकेल डालते ही कट्टरपंथी सुप्रीम कोर्ट पहुँच गए। सुप्रीम कोर्ट के रवैये से अब पूरा देश परिचित हो चूका है। इस गोरख धंधे से जो अवैध कमाई हो रही है कहाँ खर्च हो रही है किसी को नहीं मालूम। खैर, योगी द्वारा हलाल के विरुद्ध उठाये कदम उत्तर प्रदेश से बाहर भी हिन्दुओं को जागृत होते देखा गया है। किसी भी चीज खरीदते वक्त हलाल मार्का देख तुरंत दुकानकार को बिना हलाल मार्का देने को कहा जाता है। बस दुकानदारों को भी होशियार होने की जरुरत है। जब भारत का fssai संस्थान है फिर हलाल मार्का कहाँ से पैदा हो गया? जब कट्टरपंथी सुप्रीम कोर्ट पहुँच ही गए है तो कोर्ट को बिना किसी देरी के हलाल के नाम पर की अब तक की करोड़ो-अरबों की कमाई को सरकारी खाते में जमा करने का आदेश दे।
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि हलाल सर्टिफिकेट का दायरा मांस से आगे बढ़ कर सरिया और सीमेंट जैसे घर बनाने के सामान तक पहुँच गया है। केंद्र सरकार ने बताया है कि हलाल सर्टिफिकेट देने के नाम पर कई एजेंसियों ने लाखों करोड़ों रूपए बनाए हैं।
केंद्र सरकार ने यह दलीलें सुप्रीम कोर्ट में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के खिलाफ दायर याचिकाओं के मामले में दी है। योगी सरकार ने 2023 में उत्तर प्रदेश में हलाल सर्टिफिकेट वाले उत्पादों की बिक्री पर रोक लगा दी थी। इसके खिलाफ कुछ संगठन सुप्रीम कोर्ट पहुँच गए थे।
आटा-बेसन भी हलाल
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में यूपी सरकार के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं की सोमवार (20 जनवरी, 2025) को सुनवाई की। इस दौरान केंद्र की तरफ से हलाल मामले में जवाब दाखिल करने के लिए सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता पेश हुए। उन्होंने बताया कि सरिया और सीमेंट, यहाँ तक कि बेसन पर भी हलाल का प्रमाण पत्र लगा हुआ था।
SG तुषार मेहता ने कहा, “जहाँ तक हलाल मीट का सवाल है, किसी को इसमें कोई आपत्ति नहीं हो सकती। लेकिन कोर्ट को यह आश्चर्य होगा, जैसा कि कल मुझे हुआ, सीमेंट तक का भी हलाल-सर्टिफाइड होना ज़रूरी है। सरिया का भी हलाल-सर्टिफाइड होना ज़रूरी है। यहाँ तक कि पानी की भी हलाल-सर्टिफाइड होना ज़रूरी है।”
SG तुषार मेहता ने कहा कि बेसन और आटा तक का हलाल सर्टिफाइड होना जरूरी किया गया था। उन्होंने प्रश्न उठाया कि इसकी क्या जरूरत है। SG मेहता ने कहा कि इस हलाल सर्टिफिकेट के धंधे में कई एजेंसियों ने लाखो करोड़ रूपए बना लिए हैं।
कीमत बढ़ा रहा हलाल का ठप्पा
SG मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में बताया कि हलाल के चलते कई उत्पाद महंगे दामों पर बिक रहे हैं क्योंकि हलाल का ठप्पा लगाने के लिए फीस देनी पड़ती है। उन्होंने प्रश्न उठाया कि जो गैर मुस्लिम लोग हलाल नहीं खाना चाहते, उनके लिए महंगे उत्पाद लेने की मज़बूरी क्यों हो।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई अब मार्च तक के लिए टाल दी है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र द्वारा इस मामले में दाखिल जवाब की कॉपी भी हलाल को बचाने के लिए पहुँचे संगठनों को देने को कहा है। इस मामले में कोर्ट ने इन एजेंसियों पर एक्शन को लेकर पहले ही रोक लगा दी थी।
योगी सरकार ने लगाई थी रोक
उत्तर प्रदेश सरकार ने नवम्बर, 2023 में राज्य में हलाल सर्टिफाइड उत्पादों पर बैन लगा दिया गया था। यूपी सरकार ने तय किया था कि राज्य की सीमा के भीतर हलाल उत्पादों के उत्पादन, वितरण, भण्डारण पर संपूर्ण बैन लागू हो। इसके लिए आधिकारिक तौर पर आदेश भी जारी किया गया था।
उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा था हलाल सर्टिफिकेट किसी उत्पाद की गुणवत्ता से संबंधित नहीं है। ऐसे निशान गुणवत्ता को लेकर भ्रम की स्थिति ही पैदा करते हैं। जिन उत्पादों पर इस तरह के प्रतिबंध लगाए गए हैं, उनका उल्लेख राज्य सरकार द्वारा जारी पत्र में साफ तौर पर किया गया था। यूपी में हलाल सर्टिफाइड प्रोडक्ट बैन होने के बाद हलाल ट्रस्ट ने कोर्ट का रास्ता पकड़ा था।
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