स्विट्जरलैंड में 1 जनवरी 2025 को आधिकारिक रूप से बुर्के बैन करने वाला कानून लागू हो गया। इस कानून के लागू होने के साथ ही सार्वजनिक जगहों पर कोई भी पूरा चेहरा ढककर नहीं घूम सकेगा। अगर किसी ने इस कानून का उल्लंघन किया तो उसे 1000 स्विस फ्रैंक (तकरीबन 95 हजार रुपए) तक का जुर्माना देना पड़ सकता है।
बुर्के पर प्रतिबंध 2021 के एक जनमत संग्रह के आधार पर लगाया गया है जिसमें नागरिकों ने चेहरा ढकने के विरोध में अपना मत दिया था। इस जनमत संग्रह में कानून के पक्ष में 51.2 प्रतिशत और कानून के विरोध में 48.8 फीसद वोट पड़े थे।
संसद में लगी मुहर
इसके बाद 20 सितंबर 2023 को स्विस संसद के निचले सदन ने इस पर मुहर लगाई। इसके मुताबिक स्विट्जरलैंड में सार्वजनिक स्थानों पर नाक, मुँह और आँखों को ढकने वाले नकाब या बुर्के को पहनना गैर कानूनी माना जाएगा। ऐसा करने पर एक हजार स्विस फ्रैंक यानी करीब 95 हजार रुपए का जुर्माना लगेगा।
These are the girls behind the burqa ban in Switzerland.
— Dr. Maalouf (@realMaalouf) November 11, 2024
They collected enough signatures for a referendum to be held, which passed with 51% of the vote.
They are real feminists!
🇨🇭 pic.twitter.com/2x6RMTnUtL
स्विटज़रलैंड की संसद के निचले सदन में बुर्का एवं नकाब प्रतिबंधित करने को लेकर हुए मतदान में 151 सांसदों ने इसके पक्ष में मत दिया, जबकि 29 सांसद इसके विरोध में रहे। इस प्रस्ताव को निचली सदन से पहले स्विट्जरलैंड का उच्च सदन स्वीकार कर चुका था।
कहाँ-कहाँ ढक सकते हैं चेहरा
संसद से पास कानून का आशय यह है कि कोई भी महिला या पुरुष चेहरा ढक कर अपनी पहचान न छिपा पाए। हालाँकि नए नियम में कुछ छूट भी दी गई हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार यह छूट मजहबी आयोजनों, स्थानीय रीति-रिवाज से जुड़े कार्यक्रमों और थिएटर आदि में किए जाने वाले अभिनय आदि पर लागू होगी।
इसके अलावा सर्दी-गर्मी से बचने के लिए चेहरे को ढकने की अनुमति होगी। और तो और विज्ञापनों में भी चेहरा ढकने पर पाबंद नहीं लगेगा। यह बैन वाला कानून फ्लाइट्स या राजनयिक एवं वाणिज्य दूतावास परिसरों पर भी नहीं लागू होगा। साथ ही स्वास्थ्य और सुरक्षा कारणों से भी अगर कोई चेहरा ढकना चाहे तो ढक सकता है।
मानवाधिकार संगठनों का विरोध
बुर्का इस्लामी रिवाज का हिस्सा है, लेकिन स्विट्जरलैंड में लोग इसे चरमपंथ का प्रतीक मानते हैं इसलिए उन्होंने इसे बैन करवाने के लिए अपना वोट दिया, लेकिन ये चीज मानवाधिकार संगठन वालों को नहीं पसंद आई। वह इस कानून का विरोध इसलिए भी करते दिखे थे क्योंकि उनका मत था कि स्विट्जरलैंड की कुल संख्या (89 लाख में) में मुस्लिमों की संख्या (5.4 फीसदी) बहुत कम है।
उनके तर्क अनुसार, चूँकि मुस्लिम महिलाओं की तादाद कम है इसलिए उन्हें मुँह छिपाकर घूमने की आजादी दी जानी चाहिए। कानून की आलोचना करने वालों का कहना है कि इससे मुस्लिम महिलाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। वहीं एमनेस्टी इंटरनेशनल ने इसे एक खतरनाक कानून बताया।
कौन लेकर आया प्रस्ताव?
स्विट्जरलैंड में बुर्का बैन का प्रस्ताव दक्षिणपंथी पार्टी स्विस पीपुल लेकर आई थी। उन्होंने बुर्के के विरोध की मुहीम ‘चरमपंथ रोको’ नारे के साथ शुरू की थी। पार्टी का कहना था कि उनकी मुहीम के जरिए इस्लाम को निशाना नहीं बनाया जा रहा है। इसका माँग का मतलब किसी से उसकी अभिव्यक्ति की आजादी छीनना नहीं है।
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