मणिपुर : मुख्यमंत्री बिरेन सिंह ने कांग्रेस को दिखाया आईना, कहा- आपके पाप ही आज के लिए जिम्मेदार: 1992-97 के बीच हुई सैकड़ों मौत को लेकर माँगा जवाब


मणिपुर में हिंसा की हालत को लेकर पीएम मोदी को कठघरे में खड़ा करने का प्रयास कर रही कांग्रेस को मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह ने आईना दिखाया है। बिरेन सिंह ने जयराम रमेश को जवाब देते हुए बताया है कि कैसे कांग्रेस ने राज्य में लगातार म्यांमार के घुसपैठियों को बसने दिया और साथ म्यांमार में अड्डा बनाकर भारत में आतंक फैलाने वाले आतंकी समूहों से भी समझौते किए। उन्होंने कांग्रेस से कहा है कि वह राज्य की स्थिति पर राजनीति करना छोड़ कर मुद्दे सुलझाने में सहायता करे।

मणिपुर की स्थिति कांग्रेस सरकार के दौरान क्या थी, यह बताते हुए बिरेन सिंह ने एक्स (पहले ट्विटर) पर लिखा, “आप और बाकी सारे लोग जानते हैं कि में मणिपुर के आज उथल पुथल में होने का कारण कांग्रेस के अतीत के पाप हैं। जैसे कि मणिपुर में बर्मी (म्यांमार) शरणार्थियों को लगातार बसाना और म्यांमार के लड़कों के साथ SOO समझौते पर हस्ताक्षर करना, इसकी अगुवाई पी चिदंबरम ने भारत के गृह मंत्री रहते हुए अपने कार्यकाल में की थी।”

बिरेन सिंह ने आगे लिखा, “आज मैंने जो माफी माँगी है, वह उन लोगों के लिए है जो जिन्हें इस हिंसा जो विस्थापित हो गए हैं और बेघर हुए हैं। एक मुख्यमंत्री के रूप में मेरी यह अपील थी कि जो हुआ उसे भोऊ जाएँ और माफ़ कर दें। हालाँकि, आप इसमें भी राजनीति घसीट लाए।”

इसके बाद बिरेन सिंह ने जयराम रमेश को याद दिलाया कि कैसे कांग्रेस के राज के दौरान मणिपुर जलता रहा था। उन्होंने लिखा, “मैं आपको याद दिला दूँ कि मणिपुर में नागा-कुकी संघर्ष के चलते लगभग 1,300 लोग मारे गए और हज़ारों लोग बेघर हुए थे। यह हिंसा कई सालों तक जारी रही थी। 1992 और 1997 के बीच समय-समय पर हिंसा भड़कती रही थी। सबसे ज्यादा हिंसा 1992-93 के दौरान हुई थी। यह पूरी हिंसा 1992 में शुरू हुई थी और लगभग पाँच वर्षों 1992-1997 तक जारी रही थी।”

उन्होंने आगे लिखा, “यह दौर पूर्वोत्तर भारत में सबसे हिंसक संघर्षों में से एक था। इसके चलते मणिपुर में नागा और कुकी समुदायों के बीच संबंधों प्रभावित हुए। क्या पीवी नरसिम्हा राव, जो 1991 से 1996 तक भारत के प्रधानमंत्री थे और इस दौरान कांग्रेस के अध्यक्ष भी थे, तब माफी माँगने मणिपुर आए थे? कुकी-पाईते की लड़ाई में राज्य में 350 लोगों की मौत हुई थी। कुकी-पाईते हिंसा (1997-1998) के दौरान, आई के गुजराल भारत के प्रधानमंत्री थे। क्या उन्होंने मणिपुर का दौरा किया और लोगों से माफ़ी माँगी?"

बिरेन सिंह ने पूछा कि कांग्रेस मणिपुर मामले को हल करने में प्रयास करने के बजाय इस पर राजनीति क्यों कर रही है। बिरेन सिंह का यह जवाब जयराम रमेश के उस सवाल पर आया जिसमें उन्होंने पूछा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद मणिपुर आकर माफी क्यों नहीं माँगते। जयराम रमेश ने दावा किया था पीएम मोदी जानबूझकर मणिपुर नहीं जा रहे। उन्होंने यह बात सीएम बिरेन सिंह के राज्यवासियों से माफी माँगने के बाद कही थी। बिरेन सिंह ने 31 दिसम्बर, 2024 को वर्ष 2024 में हुई हिंसा के लिए दुख जताया था और माफ़ी माफी माँगी थी।

कुकी और नागा समुदाय के बीच वर्ष 1990 के दशक से लड़ाई चल रही है। यह लड़ाई कुकी समुदाय की कुकीलैंड को पाने के लिए चालू किए गए आंदोलन के बाद शुरू हुई थी। इस कथित कुकीलैंड का बड़ा हिस्सा मणिपुर की पहाड़ियों में है, यहाँ पर नागाओं का कब्जा था। रिपोर्ट्स बताती हैं कि यह लड़ाई तब चालू हुई जब जब कुकी लड़ाकों ने नागाओं पर हमला किया, उनके गाँव जलाए और नागा समुदाय के सैकड़ों लोगों को मार डाला या उन्हें बेघर कर दिया।”

तब नागाओं ने कूकी समुदाय को चेतावनी भी दी थी कि वह हिंसा बंद कर दें लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ। इसके बाद, नागाओं ने कूकी समुदाय पर हमले करना शुरू कर दिया और अगले 3 वर्षों में, कुकी समुदाय के 230 से अधिक लोग मारे गए। कई हजार लोग नागा इलाके से बाहर भी कर दिए गए। यह संघर्ष 1997 में जाकर रुका जब कूकी और पाईते के बीच लड़ाई चालू हुई। कुकी और पैती एक ही समूह से संबंधित हैं, लेकिन दोनों अपनी भाषा के आधार पर खुद को अलग करते हैं।

1992 में जब नागाओं ने जबरदस्ती बस रहे कूकी समुदाय के लोगों को भगाया तो वह पाईते के इलाकों में बसने लगे। इनमें से एक चुराचांदपुर भी है जो पाईते का मूलनिवास रहा है। कुकी मणिपुर के चुराचांदपुर जिले में बसने लगे, जो पैतियों का गृहस्थान है। यहाँ आकर बसने वाले लोगों को कूकी उग्रवादियों ने समर्थन दिया और पाईते को परेशान करना चालू कर दिया। उन्हें अपने ही इलाके छोड़ने को कहा गया। बाद में पाईते ने सुरक्षा के लिए एक उग्रवादी समूह भी बनाया।

इसके बाद यहाँ हालात लगातार खराब होते रहे। कूकी उग्रवादी समूह ने जून 1997 में सैकुल नामक पाईते के गाँव पर हमला किया और 13 पाईते को मार डाला। इसके बाद दोनों के बीच बड़े पैमाने पर हिंसा हुईं, जिसमें लगभग 15000 लोग मारे गए और बेघर हुए। दोनों समुदाय के बीच शान्ति तब आई जब अक्टूबर 1998 में एक ‘शांति समझौते’ पर हस्ताक्षर हुए। इसके तहत 2 अलग-अलग संप्रदायों कुकी और ज़ोमिस को मान्यता मिली।

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह ने जिस समझौते के विषय में बात की वह 2005 में कांग्रेस सरकार ने किया था। यह समझौता कूकी लड़ाकों और भारतीय सेना के बीच सस्पेंशन ऑफ़ ऑपरेशन था। इसके तहत कूकी लड़ाकों को संघर्ष रोकना था। इसके अलावा केंद्र सरकार, मणिपुर सरकार और 25 कूकी लड़ाका संगठनों के बीच एक और समझौता हुआ था। शांति समझौते के अनुसार लड़ाका समूहों को हथियार और गोला-बारूद का इस्तेमाल न करने के लिए कहा गया था, लेकिन इसके बाद भी कई बार झड़प और वसूली के चलते चिंता की स्थिति बनी रही।

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