न्यू ऑरलियंस में नए वर्ष की पार्टी मनाते हुए लोगों पर शम्सुद्दीन जब्बार ने ट्रक से रौंद और गोलियां चला कर आतंकी हमले में 15 को मार दिया और 30 को घायल कर दिया। दरअसल न्यूयॉर्क के Times Square में सैंकड़ों फिलिस्तीन एवं आतंकी संगठन हमास समर्थकों ने इज़रायल के विरोध में झंडे लहराते हुए “इंतिफादा क्रांति” का आह्वाहन किया था और उसके एक घंटे बाद जब्बार ने तांडव मचा दिया। जब्बार अमेरिकी सेना में भी काम कर चुका है।
क्या आतंकवाद विरोधी देशों को आतंकवाद से निपटने के लिए कोर्ट पर निर्भर रहने की बजाए इनको इन्हीं की भाषा में जवाब देने के लिए एकजुट होना चाहिए? इनके परिवार, समर्थक और इलाके पर नकेल डालनी चाहिए। इनके परिवार को मिलने वाली किसी भी सरकारी सुविधा ख़त्म करने के साथ बैंक खातों को भो सील कर देना चाहिए। किसी भी तरह की नरमी नहीं बरतनी चाहिए। इन पाबंदियों का विरोध करने वालों, चाहे वह मानवाधिकार हो या कोई और, को फ़ौरन हिरासत में लेकर कुछ समय के लिए इनकी भी सुविधाएं छीन लेनी चाहिए।
जब तक हिटलर बन कार्यवाही नहीं होगी, बेगुनाहों का खून बहना बंद नहीं होगा। इस तरह आतंकी हमलों से डराया जाता रहेगा। क्या दुनिया में किसी भी मुस्लिम, मुस्लिम देश या किसी भी मुस्लिम संगठन को इनके विरुद्ध सख्ती करने सड़क पर आकर शोर मचाते देखा है? इस गहरी साज़िश को समझना होगा। जेहादियों को उन्हीं की भाषा में जवाब मिलते देख ये पाखंडी शान्ति-शान्ति जपते घरों से बाहर निकल आएंगे। उस स्थिति में इन पाखंडियों से पूछना होगा जब ये जेहादी बेगुनाहों का खून बहा रहे थे तब इनका सामाजिक बहिष्कार क्यों नहीं किया।
लेखक चर्चित YouTuber |
जब्बार के ट्रक से ISIS के झंडे मिले और उसने कुरान का संदर्भ देते हुए कई वीडियो भी बनाए जो जांच एजेंसियों को मिले हैं।
इंतिफादा एक अरबी शब्द है जिसका मतलब होता है बगावत या विद्रोह और अक्सर इसका प्रयोग इज़रायल के खिलाफ किया जाता है लेकिन कल इसे लगता है अमेरिका को चुनौती देने के लिए किया गया जिसका मतलब मुस्लिमों ने “इंतिफादा क्रांति” का ऐलान कर अमेरिका के खिलाफ बगावत का ऐलान कर दिया है।
प्रदर्शनकारियों ने मांग की जैसी पिछले वर्ष छात्रों के आन्दोलनों में भी की गई थी कि इज़रायल को दी जाने वाली अमेरिकी मदद बंद करो; यहूदीवाद ख़त्म करो और ईरान पर कोई युद्ध नहीं के पोस्टर भी लिए हुए थे।
इतना ही नहीं बुर्का/हिज़ाब पहने हुए एक महिला प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए कह रही थी - “हम तुम्हें वापस यूरोप भेज रहे हैं, तुम गोरे कमीनों; वापस यूरोप जाओ वापस यूरोप जाओ”। एक बात और कही गई कि “2024 यहूदियों के अपराधों के खिलाफ जंग का था और हम हर साल यहां आएंगे”। यानी इस्लामिक उग्रवादी अब अमेरिकियों को अमेरिका छोड़ने को कह रहे हैं क्योंकि उन्हें तो वे यूरोप से आए मानते हैं।
कुछ दिन पहले एक यूनिवर्सिटी में एक मुस्लिम स्कॉलर ने ऐलान किया था कि हमारा लक्ष्य अमेरिका को इस्लामिक राष्ट्र बनाना है। मतलब यहां भारत में गज़वा-ए-हिंद करना है और वहां गज़वा-ए-अमेरिका करना है।
अमेरिका और यूरोप के कई देश भारत में मुस्लिमों के उत्पीड़न का आरोप लगाते है और हमारे देश के “सेकुलर” मोदी पर बरस पड़ते हैं। अब जो अमेरिका में शुरू हो चुका है, उससे अमेरिका पर भी मुसलमानों को प्रताड़ित करने के आरोप झेलने पड़ेंगे। यह बिलकुल वैसे ही स्थिति हो जाएगी कि अमेरिका भारत में आतंकी हमलों को Law & Order Problem कहता था लेकिन 9/11 के बाद समझ आया आतंकवाद क्या होता है।
समस्या मुस्लिमों के सबसे बड़ी यह है कि उन्हें भारत में या कहीं भी सब कुछ मिलने पर भी संतुष्टि नहीं होती। और अनेक देशों को भारतीय मुस्लिम नहीं देखते कि किस तरह भारत में मिलने वाली सुविधाएं उन्हें नहीं मिलती। चीन ने जो हालत की हुई है उइगर मुस्लिमों की, वह देख कर भी कुछ नहीं समझते कि हम भारत में चैन से रह रहे हैं।
भारत के मुस्लिमों ने हिज़ाब के लिए कोहराम मचाया था और देश भर में उपद्रव किए लेकिन कल नए साल से स्विट्ज़रलैंड ने बुर्का पहनने पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया और किसी ने उल्लंघन किया तो 1000 Swiss Franks या 1144 डॉलर का जुर्माना देना होगा।
भारतीय मुस्लिमों को यह भी याद रखना चाहिए कि 17 यूरोपीय देशों ने मुस्लिमों को अपने अपने देश से बाहर करने का फैसला किया है।
कल की घटना ट्रंप के लिए इस्लामिक आतंकवाद और कथित खालिस्तानी पन्नू के लिए चेतावनी है।
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