प्रयागराज महाकुंभ (साभार: Leonardo AI)
प्रयागराज महाकुंभ 2025 को लेकर मुस्लिम कट्टरपंथियों के आगे अपनी दुकान चलाने की खातिर माथा टेक चुकी पार्टियों की चीखा-चिल्ली स्वाभाविक है। ऑप इंडिया की निम्न रपट इन सभी पर बहुत जबरदस्त प्रहार है। सरकार और दूसरे व्यवसायिक संस्थानों की आय में हो रहे उछाल ने इन सभी सनातन विरोधियों की नींद और रोटी-पानी तक हराम हो चुकी है। इस कटु सच्चाई सनातन विरोधियों की गुलाम मीडिया भी सच्चाई बताने की हिम्मत नहीं कर पा रही। हिन्दुओं को नहीं भूलना चाहिए कि अयोध्या में राममन्दिर का कितने सालों तक विरोध हुआ। लेकिन राममन्दिर बनने के बाद जितनी जनता पुरुषोत्तम श्रीराम के दर्शन करने जाती है, ताज महल घूमने जाने वालों की संख्या में बहुत गिरावट आ चुकी है। काशी विश्वनाथ और उज्जैन में महाकाल धामों के विकास होने से श्रद्धालुओं की जो वृद्धि हुई है उससे उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश राज्यों की आमदनी में भी इजाफा हुआ है। और यह इजाफा राज्य सरकारों का ही नहीं होटल और अन्य व्यवसायिक में भी हुआ है। इन सभी को देखते हुए इन मुस्लिम तुष्टिकरण करने वालों का चीखना-चिल्लाने से परेशान नहीं होना चाहिए। जितना ज्यादा ये सनातन विरोधी चीखे-चिल्लाने से हिन्दू एकजुट होकर अपनी वोट से इन्हे धूल चटा रहा है।
इन मुस्लिम तुष्टिकरण करने वालों को नहीं भूलना चाहिए कि समय कालचक्र घूम रहा है। अब जितना ज्यादा सनातन विरोध होगा उतना ही इन सनातन विरोधियों को नुकसान हो रहा है। याद रखिए वह दिन भी ज्यादा दूर नहीं जब इन सनातन विरोधियों को इनका परिवार ही अलग-थलग कर देखा, क्योकि हिन्दुओं में एक बात अच्छी तरह घर करने लगी है कि जब मुस्लिम सनातन को पराजित करने एकजुट हो सकता है तो सनातन को बचाने हिन्दू क्यों नहीं। उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कोई गलत नहीं कहा कि "बटोगे तो कटोगे"। देखिए ऑप इंडिया की रपट:-
प्रयागराज महाकुंभ 2025 में प्रशंसा हर तरफ हो रही है। कुंभ ना सिर्फ सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह अर्थव्यवस्था को भी निखारने का काम कर रहा है। महाकुंभ के आयोजन के दौरान भारत के कई व्यवसायिक क्षेत्रों में भारी उछाल देखने को मिला है। इनमें सबसे अधिक उछाल होटल इंडस्ट्री में देखने को मिल रहा है। इससे प्रयागराज के व्यवसायी काफी खुश हैं।
महाकुंभ मेले के कारण प्रयागराज के कारोबार में दो से तीन गुना तक की बढ़ोतरी हो गई है। होटलों में अगले कई दिनों तक कमरे खाली नहीं हैं। होटल के साथ-साथ खान-पान के सामान, स्थानीय उत्पाद, कंबल, ऊनी कपड़ों और इलेक्ट्रॉनिक सामानों की बिक्री में वृद्धि देखी जा रही है। प्रयागराज में फ्लाइट्स की बुकिंग में 162 प्रतिशत का उछाल देखने को मिल रहा है।
फ्लाइट्स के अलावा रेलवे, बसों, टैक्सियों आदि की कमाई में भी जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। ट्रेनों से लेकर बसों एवं टैक्सियों तक में लोग खचाखच भर करके कुंभ नहाने के लिए प्रयागराज पहुँच रहे हैं। छोटे-छोटे व्यवसाय करने वाले लोगों से लेकर होटल-रेस्टोरेंट और ऑनलाइन बुकिंग का काम करने वाली कंपनियाँ भी इस बूम से काफी खुश हैं। कुंभ खत्म होने तक यानी 45 दिनों में उन्हें भारी मुनाफा होने की उम्मीद है।
प्रयागराज होटल एंड रेस्टोरेंट वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह ने अमर उजाला को बताया कि श्रद्धालु और पर्यटकों द्वारा बुकिंग कराने के कारण होटल इंडस्ट्री को 30 से 40 फीसदी तक का मुनाफा हो रहा है। उनका मानना है कि आने वाले दिनों में यह मुनाफा बढ़कर 50 प्रतिशत तक पहुँचने की उम्मीद है। थोक और खुदरा व्यापारी भी कुछ ऐसी ही उम्मीद कर रहे हैं।
कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र गोयल का मानना है कि महाकुंभ के अवसर पर सिर्फ होटल और टेंट सिटी का कारोबार 2,500 से लेकर 3,000 करोड़ रुपए तक का हो सकता है। केंद्रीय व्यापार मंडल के महामंत्री शिवशंकर सिंह का मानना है कि एफएमसीजी उत्पाद, ऑटोमोबाइल, सीसीटीवी कैमरा, केबल और खाने-पीने के सामान की बिक्री में भारी वृद्धि हुई है।
शिवशंकर सिंह का कहना है कि मकर संक्रांति के स्नान तक खुदरा व्यापार में भी 20 से 25 प्रतिशत वृद्धि देखने को मिली है। व्यापारियों को उम्मीद है कि कुंभ स्नान में विशेष स्थान रखने वाले मौनी अमावस्या पर यह बिक्री और भी अधिक बढ़ने की उम्मीद है। हस्तशिल्पी इस बार 35 करोड़ रुपए तक का कारोबार कर सकते हैं। व्यापार मंडल के वरिष्ठ उपाध्यक्ष मोहम्मद कादिर का भी ऐसा ही मानना है।
मोहम्मद कादिर का कहना है कि महाकुंभ मेले के कारण प्रयागराज में खाद्य सामग्री, अनाज, पूजा सामग्री, कपड़े, कंबल, गद्दे, इलेक्ट्रॉनिक सामान, टेंट के कपड़े आदि के व्यापार में दोगुना की बढ़ोतरी हुई है। मोहम्मद कादिर का कहना है कि मेले में जैसे श्रद्धालुओं और पर्यटकों की आवाजाही बढ़ेगी वैसे-वैसे वृद्धि में और भी अधिक वृद्धि होगी और व्यापारियों को फायदा होगा।
कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के अनुमान के मुताबिक, सिर्फ होटलों, धर्मशालाओं और टेंट से ही 40,000 करोड़ रुपए के व्यापार की संभावना है। पैक खाद्य सामग्री, पानी, बिस्किट, जूस, और भोजन से जुड़ा 20,000 करोड़ रुपया का कारोबार होगा। वहीं तेल, दीपक, गंगाजल, मूर्तियाँ, अगरबत्ती, धार्मिक पुस्तकों आदि की बिक्री से 20,000 करोड़ रुपए का व्यापार होगा।
इसी तरह परिवहन यानी रेलवे-टैक्सी आदि से 10,000 करोड़ रुपए का व्यवसाय होने का अनुमान है। टूर गाइड, ट्रैवल पैकेज और पर्यटक सेवाओं से 10,000 करोड़ रुपए का व्यापार अनुमानित है। वहीं, विज्ञापन और प्रचार गतिविधियों से 10,000 करोड़ रुपए के व्यापार का अनुमान है। स्थानीय उत्पादों, कपड़ों, गहनों और स्मृति चिन्हों से 5,000 करोड़ रुपए का व्यापार हो सकता है।
CAIT ने अनुमान लगाया है कि अस्थायी मेडिकल कैंप, आयुर्वेदिक उत्पाद और दवाइयों से 3,000 करोड़ रुपए का व्यापार होगा। इसी तरह डिजिटल भुगतान सेवा, वाई-फाई सेवा और ऑनलाइन टिकटिंग बुकिंग यानी ई-टिकटिंग से 1,000 करोड़ का व्यापार होने का अनुमान लगाया गया है। बता दें कि इस महाकुंभ में डाबर, मदर डेयरी और आईटीसी जैसे बड़े ब्रांडों ने 3,000 करोड़ रुपए खर्च किए हैं।
इस तरह 26 फरवरी तक चलने वाले 45 दिनों के इस महाकुंभ मेले में 2 लाख करोड़ रुपए का बिजनेस होने का अनुमान लगाया गया है। हालाँकि, इंडस्ट्री के जानकार इस व्यापार को 4 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा बता रहे हैं। वहीं, सरकार का अनुमान है कि मेले से उसे 25,000 करोड़ रुपए का राजस्व मिल सकता है। उत्तर प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार ने कुंभ मेले में करीब 6,900 करोड़ रुपए खर्च किए हैं।
दरअसल, कुंभ मेले में दुनिया भर से 40 करोड़ श्रद्धालुओं और पर्यटकों के आने का अनुमान है। अगर हर पर्यटक औसतन 5000 रुपए खर्च करता है तो महाकुंभ से 2 लाख करोड़ रुपए का व्यापार हो सकता है। वहीं, इंडस्ट्री का अनुमान है कि मेले में औसतन प्रति व्यक्ति खर्च 10,000 रुपए हो तो यह आँकड़ा 4 लाख करोड़ रुपए को पार सकता है। इससे देश की जीडीपी एक फीसदी से भी अधिक बढ़ सकती है।
No comments:
Post a Comment