सैफ अली खान पर हमला : सूचनाओं में विरोधाभास है ; कोई गहरा राज लगता है !

सुभाष चन्द्र

रात के अंधेरे में ढाई बजे पूरी तरह एक बंद बिल्डिंग के अपार्टमेंट में एक व्यक्ति घुसता है और सैफ पर हमला करता है और निकल कर चला जाता है। जिस सैफ अली खान की 1200 करोड़ की संपत्ति है, उसके पास क्या ऐसे भी सुरक्षा अधिकारी नहीं हैं जो उसकी रक्षा कर सकते? 

इस मामले में जो भी ख़बरें चल रही हैं, उनमे Clarity की कमी है जैसे परसों(जनवरी 16) R Bharat पर रिपोर्ट दी गई कि हमले के समय करीना कपूर सोनम कपूर और कुछ अन्य के साथ पार्टी में गई हुई थी लेकिन कल (जनवरी 17)के दैनिक जागरण में लिखा है कि सैफ पर हमले के समय घर में करीना कपूर, 2 बच्चे, 3 नौकर और 4 महिला सहायिका मौजूद थे

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पहले बताया कि सैफ को उसका बेटा इब्राहिम ऑटो में अस्पताल ले गया क्योंकि कोई कार चलाना नहीं जानता था और किसी चैनल पर यह बताया गया कि सैफ को घर का कोई नौकर ले गया और फिर बताया गया कि सैफ को उसका बेटा तैमूर अस्पताल ले गया

कल(जनवरी 17) R -Bharat पर ऑटो ड्राइवर ने कहा है कि सैफ के साथ एक आदमी और एक बच्चा था लेकिन महिला कोई नहीं थी मेरा ऑटो एक महिला ने रुकवाया था अब सवाल उठता है कि यदि करीना घर में थी तो वह अस्पताल साथ क्यों नहीं गई?

वैसे 23 साल के इब्राहिम को कार चलानी न आती हो, यह बात हजम नहीं होती क्योंकि फ़िल्मी घरानो के बच्चे तो स्कूल जाते हुए ही कार चलाना सीख जाते हैं और घर में अगर करीना थी तो ये कैसे हो सकता है कि उसे कार चलानी न आती हो, जो ऑटो में जाने की जरूरत पड़ी?

सैफ का परिवार 12वीं मंजिल पर रहता है ऐसा भी तो हो सकता था कि 11 मंजिल तक किसी भी पडोसी से मदद मांगी जा सकती थी अस्पताल ले जाने के लिए या किसी से कोई संबंध हैं ही नहीं जो मुमकिन नहीं लगता

पुलिस ने कथित हमलावर वारिस अली सलमानी को पकड़ा है लेकिन असली भेद सामने आएगा,  नहीं कह सकते क्योंकि राजे रजवाड़ो और नवाबों के खानदानों में क्या होता है किसी को पता नहीं चलता एक थ्योरी चली थी कि वह चोरी के इरादे से गया था जबकि उसकी बीवी ने बताया कि उसे सैफ के मैनेजर ने कारपेंटर के काम के लिए बुलाया था इससे यह भी लगता है कि उसे बिल्डिंग और सैफ के घर के बारे में जानकारी रही होगी ऐसा भी कहा गया कि हमलावर ने नौकरानी से एक करोड़ रुपए की मांग की लेकिन सैफ से मांग की हो, ऐसा नहीं बताया गया

सबसे बड़ी खबर तो यह रही कि हमलावर बड़े आराम से कपड़े बदल कर गया (शायद इसलिए कि उसके कपड़ों पर खून लगा हो)

दिल्ली में चुनाव चल रहे हैं और अखिलेश यादव भी आए थे केजरीवाल को समर्थन देने के लिए लेकिन मुस्लिम वोटों की खातिर सैफ पर हुए हमले को लपक लिया केजरीवाल पगला गया कि इतने बड़े कलाकार को भी सुरक्षित नहीं रख सकी सरकार, राज्य और केंद्र सरकार दोनों जिम्मेदार है 

मतलब हर किसी के घर पर सरकार हाजिर रहनी चाहिए लेकिन केजरीवाल तो अपने घर में बुला कर स्वाति मालीवाल की पिटाई करा देता है, उसके लिए अमित शाह को दोष क्यों नहीं दिया और खुद मुंह खोलने के लिए तैयार नहीं था 16 फरवरी, 2020 को मुख्यमंत्री की शपथ लेने के एक हफ्ते बाद 23 फरवरी को इसके ताहिर हुसैन ने दिल्ली में दंगे कर दिए जो एक हफ्ते चले जब बीच में ट्रंप आया हुआ था

अखिलेश यादव को सैफ जैसी तड़प कभी हिंदू कलाकारों के लिए नहीं हुई, सुशांत सिंह राजपुत, दिशा सालियान और कई अन्य कलाकारों की मौत पर कभी कुछ नहीं बोले मुस्लिम वोटों के लिए महाकुम्भ पर टीका टिप्पणी करने में और उसमे दोष निकलने में लगे हैं इसलिए ही तो योगी ने नारा दिया “बटोगे तो कटोगे” और दिल्ली में यदि फिर से केजरीवाल आया तो एक बार फिर दंगे किए जाएंगे और हिंदुओं पर हमले होंगे

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