यह सबसे बड़ा अचम्भा है कि मुस्लिम समुदाय के लोग प्रयागराज “कुंभ” में जाना चाहते हैं, वहां अपनी दुकानें लगाना चाहते हैं और जो उनके चाहने वाले नेता हैं, वो कल तक मंदिरों के निर्माण का विरोध करते थे कि इससे क्या किसी को रोजगार मिलेगा? और जो सेक्युलरिस्ट इसके शोर मचाते है उन्हें जवाब देना होगा हिन्दू शोभा यात्राओं पर मुस्लिम घरों और मस्जिदों से पत्थर फेंकने वालों की क्यों वकालत कर रहे हो?
महाकुंभ हिन्दुओं की परम आस्था का केंद्र है लेकिन वहां मुस्लिमों के जाने की बात करने से पहले कुछ बातें ध्यान में लाना आवश्यक है। “वेटिकन” रोमन कैथोलिक ईसाइयों का देश है जिसकी आबादी मात्र 764 थी 2023 में लेकिन वहां किसी गैर ईसाई को रहने की अनुमति नहीं है, केवल रोमन कैथोलिक ही रह सकते हैं। क्रिसमस के मौके किसी भी गैर-ईसाई को चर्च में जाने की अनुमति नहीं।
इसी तरह मक्का में गैर मुस्लिमों को जाने की अनुमति नहीं है और यदि कोई चला जाता है तो उस पर भारी जुर्माना लगा कर Deport कर दिया जाता है। इतना ही नहीं मक्का में हज के बाद भी किसी हिन्दू जाने की अनुमति नहीं।
इसके अलावा जेरूसलम के पुराने शहर में Temple of Mount पर अल अक्सा मस्जिद में इज़रायल में रहने वाले मुस्लिम या इज़रायल की यात्रा पर जाने वाले मुस्लिम और पूर्वी इज़रायल में रहने वाले फिलिस्तीनी ही मस्जिद में जा सकते हैं। कभी कभी सुरक्षा कारणों ने इज़रायल उन पर भी पाबंदी लगा देता है।लेखक
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ऐसे में कुंभ में जाने का मुस्लिमों का फितूर समझ नहीं आता। उन्हें कुंभ में किसी तरह की कोई आस्था नहीं है, क्योंकि कुंभ में तो सभी हिंदू देवी देवताओं का आह्वान किया जाता है और वे आते है। सपा नेता कह रहा है कुंभ में लोग मरेंगे। कौन मारेगा?
एक दूसरे के धर्म/मजहब के लिए आदर लोकतंत्र और कथित सेकुलरिज्म में जरूरी है। मुस्लिमों के किसी त्यौहार में कभी हिंदुओं की तरफ से कोई विघ्न नहीं डाला जाता लेकिन मुस्लिमों के इलाकों से भगवान गणेश की शोभायात्रा निकले, रामनवमी की शोभायात्रा निकले, हनुमान जयंती की शोभायात्रा निकले और या तिरंगा यात्रा ही क्यों न हो, सब पर मुस्लिम बस्तियों के घरों से पत्थरों की वर्षा की जाती है। यानी हर हिंदू त्यौहार में दंगा किया जाता है तो फिर कुंभ में जाने का क्या मतलब है?
वैसे दावा किया जाता है कि अमरनाथ गुफा को एक मुस्लिम ने ढूंढा था लेकिन अमरनाथ यात्रा पर अक्सर आतंकी हमले किए जाते रहे हैं और देश का कोई मुस्लिम नेता उसकी निंदा नहीं करता।
देश के विभिन्न हिस्सों में खासकर गुजरात में गरबा नृत्य नवरात्रि में माँ दुर्गा और राधा-कृष्ण की आराधना का पर्व होता है और इन देवी देवताओं से मुस्लिमों का क्या मतलब है लेकिन फिर भी जोर जबरदस्ती मुस्लिम लड़के गरबा में घुसते हैं। इतना शौक है तो आप भी कीजिए अपने घरों की महिलाओं के साथ गरबा लेकिन अपने मुस्लिम इलाकों में।
मुस्लिमों की फितरत बन चुकी है हिंदुओं को थूक और मूत मिला हुआ खाना खिलाने की, और इसलिए उनकी दुकान लगाने पर कुंभ में पाबंदी लगाई गई है तो कुछ गलत नहीं है। माहौल बिगाड़ने की कोशिश करने के लिए मौलाना शहाबुद्दीन रिजवी ने दावा कर दिया कि कुंभ की धरती वक्फ बोर्ड की है।
जब योगी ने चेतावनी दी कि ऐसा दावा करने वाले अपनी खाल बचाने में ही गनीमत समझें तो मौलाना उल्टा हो गया और खुद अब वक्फ बोर्ड को लुटेरों का बोर्ड बता रहा है और मुस्लिमों से कह रहा है कि कुंभ में संतों पर पुष्पवर्षा करो। क्या भरोसा है उनका, पुष्पों को ही पेशाब से धो कर पुष्पवर्ष कर दी जाए।
सुप्रीम कोर्ट कहीं कुंभ में मुस्लिमों की दुकान खोलने के आदेश न दे दे। आपको याद होगा कांवड़ यात्रा के दौरान उन्होंने दुकानों पर नेमप्लेट लगाने से मना कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट को ऐसे मामले में “सेकुलर कीड़ा” काट सकता है।
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