दिल्ली चुनाव अरविन्द केजरीवाल और कांग्रेस के लिए Do or die का चुनाव है। बीजेपी को खोने के लिए कुछ नहीं, क्योकि दिल्ली में बीजेपी अपना जनाधार बढ़ाने में पूरी तरह से असफल है। अगर केजरीवाल पार्टी दिल्ली हारती है, उस हालत में पंजाब में केजरीवाल पार्टी सरकार भी खतरे में आ जाएगी। समय से पहले सरकार गिरने की सम्भावनायें है और कांग्रेस दुबारा से पंजाब पर कब्ज़ा कर सकती है, जो कांग्रेस के लिए ऑक्सीजन का काम करेगी। राजनीतिक गलियारों में त्रिशंकु सरकार बनने की शंका व्यक्त की जा रही है। अगर यह शंका सही साबित होती है तो उस स्थिति में केजरीवाल को समर्थन कर 2013 वाली भयंकर गलती कांग्रेस को नहीं करनी होगी। अगर कांग्रेस बीजेपी को सत्ता से दूर रखने के लिए केजरीवाल को समर्थन देती है उस हालत में कांग्रेस दिल्ली ही नहीं शेष भारत से भी अपना बचा हुआ जनाधार खो देगी। यह भी शंका व्यक्त की जा रही है कि केजरीवाल सत्ता हथियाने के लिए विधायकों की खरीददारी के लिए भी तैयार बैठा है। और इस horse trading से कांग्रेस ही नहीं बीजेपी को भी चुने हुए अपने विधायकों पर गिद्ध निगाह रखनी होगी।
INDI अलायंस में लगातार आ रही दरारों के बीच अब जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने तो इंडिया अलायंस खत्म करने की ही बात कह डाली है। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव के बाद इसकी कोई बैठक नहीं हुई है। यह गठबंधन लोकसभा चुनाव तक ही था तो इसे खत्म कर देना चाहिए। इसके पास न कोई एजेंडा है और न ही कोई लीडरशिप। इंडी अलायंस की आखिरी बैठक 1 जून 2024 को हुई थी। उसके बाद हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। सभी चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन दोयम दर्जे का रहा है। हरियाणा और महाराष्ट्र में तो उसके करारी हार झेलनी पड़ी। इसके साथ ही इंडी अलायंस में नेतृत्व परिवर्तन की मांग उठने लगी। ममता बनर्जी ने तो यहां तक कह दिया कि INDIA ब्लॉक मैंने बनाया, मौका मिला तो इसको लीड करूंगी। राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि इसका नेतृत्व करने वाले इसे ठीक से नहीं चला सकते, तो मुझे मौका दें। इसके बाद लालू यादव ने भी राहुल की बजाए इंडी गठबंधन का नेतृत्व ममता को देने की वकालत की थी। उनके बेटे तेजस्वी ने तो यह कहकर गठबंधन की कहानी ही खत्म कर दी कि इसको सिर्फ लोकसभा चुनाव तक के लिए ही बनाया गया था।
चुनाव के बाद इंडी गठबंधन टूट कर बिखर जाएगा खटाखट-खटाखट
लोकसभा चुनाव के दौरान ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ 16 मई को एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए भविष्यवाणी की थी- “4 जून को इंडी गठबंधन तितर-बितर हो जाएगा और विपक्ष बलि का बकरा खोजेगा। चुनाव के बाद शहजादे चाहें दिल्ली वाले हों या लखनऊ वाले, ये लोग छुट्टियों पर विदेश चले जाएंगे। पराजय के जिम्मेदार बलि के बकरे को खोजा जाएगा खटाखट-खटाखट। 4 जून के बाद यह इंडी गठबंधन टूट कर बिखर जाएगा खटाखट-खटाखट।” पीएम मोदी के लगातार तीसरे कार्यकाल के कुछ महीनों बाद ही उनकी भविष्यवाणी अक्षरश: सच साबित हो रही है। इंडी अलायंस में शामिल पार्टियों के नेता आपस में ही टकरा रहे हैं। दलों ही नहीं, बल्कि उनके दिलों में दरारें बढ़ती जा रही हैं। लोकसभा चुनाव में उम्मीद से कुछ ज्यादा सीटों के अहंकार में डूबी कांग्रेस और उसके युवराज अकेले पड़ते जा रहे हैं। दिल्ली चुनाव से पहले बी ममता बनर्जी से लेकर लालू यादव तक ने राहुल गांधी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। अब अखिलेश, तेजस्वी और केजरीवाल ने राहुल की खिलाफत का झंडा उठा लिया है। और राहुल गांधी, भविष्यवाणी के अनुरूप वे विदेश में मौज-मस्ती की छुट्टियां मना रहे हैं। वह भी तब, जबकि उनकी पार्टी अपने एक प्रधानमंत्री के निधन से मातम में डूबी है।
दिल्ली चुनाव से पहले अलग-थलग दिख रहीं इंडी ब्लॉक की पार्टियां
दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले ही I.N.D.I. ब्लॉक की पार्टियां अलग-थलग नजर आ रही हैं। कांग्रेस के खिलाफ AAP के संयोजक अरविंद केजरीवाल, ममता बनर्जी और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव एकजुट हो गए हैं। कांग्रेस नेता अजय माकन ने केजरीवाल को देश के लिए खतरनाक और फ्रॉड किंग तक बता डाला है। इस बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने कहा है कि दिल्ली में AAP हमारी विरोधी पार्टी है। केजरीवाल जनता के बीच भ्रम फैला रहे हैं कि भाजपा और कांग्रेस का सीक्रेट गठबंधन हो गया है। केजरीवाल का यह दावा भी बेबुनियाद है कि दिल्ली में एक बार फिर उनकी पार्टी दोबारा चुनाव जीतेगी। गहलोत बोले- केजरीवाल कैसे कह सकते हैं भाजपा-कांग्रेस साथ हैं। केजरीवाल जब चुनाव में उतरते हैं तो उनके अपने पैंतरे और गणित होता है, लेकिन वह यह कैसे कह सकते हैं कि भाजपा और कांग्रेस साथ में चुनाव लड़ रहे हैं। वो जानते हैं कि ये असंभव है। काबिले जिक्र है कि दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों पर 5 फरवरी को वोटिंग होगी। 8 फरवरी को नतीजे आएंगे।
माकन ने अरविंद ‘फर्जीवाल’ से गठबंधन सबसे बड़ी गलती मानी
लोकसभा चुनाव के गलबहियां डालने वाली AAP और कांग्रेस दोनों ने ही ऐलान कर दिया है कि वे दिल्ली चुनाव में एक-दूसरे के खिलाफ लड़ेंगे। इसके साथ ही करीब एक महीने पहले दिल्ली चुनावों में AAP और कांग्रेस के गठबंधन की अटकलों पर विराम लग गया। अरविंद केजरीवाल ने एक्स पर पोस्ट में साफ कहा कि आम आदमी पार्टी अपने दम पर चुनाव लड़ेगी। उसके कांग्रेस के साथ किसी भी तरह के गठबंधन की संभावना नहीं है। इसके कुछ दिन बाद 25 दिसंबर को कांग्रेस नेता अजय माकन ने दिल्ली कांग्रेस की तरफ से आम आदमी पार्टी के खिलाफ 12 पॉइंट का व्हाइट पेपर रिलीज किया था। तब उन्होंने कहा था कि लोकसभा चुनाव के लिए AAP के साथ गठबंधन में आना कांग्रेस की सबसे बड़ी भूल थी, जिसे अब सुधारा जाना चाहिए। इसके साथ ही अरविंद केजरीवाल को देश का फ्रॉड किंग यानी सबसे बड़ा धोखेबाज बताया था। माकन ने कहा कि अगर केजरीवाल को एक शब्द में परिभाषित करना हो, तो वो शब्द ‘फर्जीवाल’ होगा। मुझे लगता है कि आज दिल्ली की जो हालत है और कांग्रेस जो यहां कमजोर हुई, उसका एक ही कारण है कि हमने 2013 में 40 दिन के लिए AAP को सपोर्ट किया था।
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